मिनोआन सभ्यता का रहस्यमय चक्र जो अभी तक अनसुलझा है

Phaistos_diskप्राचीन यूनानी द्वीप समूह का सबसे बड़ा और घना द्वीप है क्रीट (Crete) | यह भूमध्य सागर के द्वीपों, सिसिली (Sicily), सार्डिनीया (Sardinia), सायप्रस (Cyprus), और कॉर्सिका (Corsica) के बाद पांचवां सबसे बड़ा द्वीप है | असल में कई सारे छोटे-छोटे द्वीपों से घिरा हुआ क्रीट अपने आप में काफी बड़ा क्षेत्र घेरे हुए है |

यूनान की वर्तमान अर्थव्यवस्था, और उसकी सांस्कृतिक विरासत में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला क्रीट, कभी मिनोआन सभ्यता (Minoan Civilization), जो की यूरोप की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है, का केंद्र हुआ करता था |

यूनानी दंतकथाओं के अनुसार यहाँ के दिकती पर्वत श्रृंखला (Mount Dicte) में स्थित दिक्तेअन गुफा (Diktaean Cave) में ही उनके भगवान ज़ीउस (God Zeus) का जन्म हुआ था | मान्यताओं के अनुसार इसके दक्षिणी भाग में स्थित पैक्सिमेडिया द्वीप (Paximadia Island) में यूनानी देवता अपोलो (Apollo) और देवी आर्टेमिस (Artemis) जन्मी थी |

तीन जुलाई सन 1908 का दिन था | यूनानी सभ्यता में रूचि रखने वाले इटैलियन पुरातत्ववेत्ता, लुइगी पर्निएर (Luigi Pernier), इस क्रीट टापू के फैस्टोस (Phaistos) नामक स्थान पर, एक मिनोआन सभ्यता के राजमहल के भग्नावशेष की खुदाई का कार्य कर रहे थे | यह महल भी किसी प्राचीनकाल के भूकम्प या ज्वालामुखीय विस्फोट से धराशायी हुआ था |

उस दिन गर्मी तेज़ थी | पर्निएर उस क्षेत्र के बेसमेंट में काम कर रहे थे | जब पीछे की तरफ एक आड़ी, खड़ी दीवार तोड़ी गयी तो सामने एक विशाल कमरा था | हज़ारों वर्ष बाद कोई उस कमरे में प्रवेश कर रहा था | इधर-उधर बिखरी हुई वस्तुएं पर्निएर को रोमांचित कर रही थी | लेकिन पर्निएर की पैनी निगाह एक गोल सी चकरी (Disc) पर आ के टिक गयी |

पर्निएर ने आहिस्ते से उस डिस्क को उठाया जिस पर चित्र लिपि में कुछ न समझ में आने वाली चीजें लिखी थीं | फैस्टोस, मिनोआन सभ्यता के सबसे धनी और व्यस्त शहरों में से एक था | बहुत दूर देश के व्यापारी भी अपनी विशालकाय जहाज़ों के साथ यहाँ व्यापर करने आते थे | उनमे भारत के भी व्यापारी थे |

आज से 110 साल पहले खोजी गयी उस डिस्क में क्या लिखा है, यह आज भी रहस्य बना हुआ है | तपायी हुई सख्त मिटटी से बनी हुई उस प्लेट की, कार्बन डेटिंग पद्धति से, जब आयु पता की गयी तो पता चला कि यह तो ईसा पूर्व दूसरी सहस्त्राब्दी से भी पहले की है यानी आज से चार हज़ार वर्ष पूर्व की बनी हुई |

उस डिस्क पर खुदे हुए, उसके असामान्य अभिलेख आज भी विभिन्न देशों के विद्वानों को चकित किये हुए हैं | कोई भी उसको डिकोड करने में सफल नहीं हो सका है आज तक | इस डिस्क में 45 अद्वितीय प्रतीकों से कुल 241 चित्र-खंड उत्कीर्ण हुए हैं जिनके बारे में माना जाता है कि ये प्राचीन यूनान की उसी रहस्यमय लेखन प्रणाली से लिए गए हैं जिसे अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है |

15 सेंटीमीटर व्यास वाली इस डिस्क के दोनों तरफ गोल, दक्षिणावर्त सर्पिलाकार खांचों में रहस्यमय चित्र खुदे हुए हैं जिनमे एक बाज, शिरस्त्राण (यूनानी योद्धाओं द्वारा पहना जाने वाला Helmet), पँखों वाले सिर, और मधुमक्खी के छत्ते जैसी आकृतियाँ बनी हुई हैं |

पुरातत्ववेत्ता फैस्टोस को, विश्व की अति प्राचीन कालीन नगरीय व्यवस्था में विकसित हुआ मानते हैं | पूरे क्रीट टापू में नवपाषाण युग से ही बस्तियां बसनी शुरू हो गयी थी लेकिन मिनोआन सभ्यता के उत्कर्ष काल (ईसा पूर्व पंद्रहवीं शताब्दी यानी आज से तीन हज़ार पाँच सौ वर्ष पूर्व) में फैस्टोस और उसके आस-पास के नगरों की चमक-दमक अपनी चरम पर थी |

यूनानी पौराणिक कथाओं के अनुसार फैस्टोस में राजा राडामैन्थिस (King Radamanthis) का राज था जो सम्राट मिनोस (Emperor Minos) का भाई था | ये वही मिनोस था जो पूरे क्रीट द्वीप का पहला शासक और देवता ज़ीउस तथा यूरोपा का पुत्र था |

पुरातत्ववेत्ता आर्थर इवांस (Arthur Evans) ने इसी मिनोस के नाम पर पूरी सभ्यता का नाम मिनोआन सभ्यता (Minoan Civilization) रखा | दंतकथाओं के अनुसार सम्राट मिनोस ने राजा एजिअस (King Aegeus) को नियुक्त कर रखा था कि वह प्रत्येक नौवें वर्ष सात युवा लड़के और सात युवा लड़कियों को, डाडुलस (Daedalus) की रचना लेबिरिन्थ (Labyrinth) में भेज दें जिससे की वे मिनोटौर (Minotaur) का आहार बन सकें |

minotaurयूनानी दंतकथाओं के अनुसार डाडुलस एक निष्णात शिल्पी था जिसने अपनी प्रसिद्ध रचना लेबिरिन्थ (Labyrinth) का निर्माण किया था | डाडुलस ने क्रीट द्वीप पर एक महलनुमा व्यूह की संरचना की थी जिसका नाम लेबिरिन्थ था यहाँ पर मिनोटौर (Minotaur) रखे जाते थे जो आधे मानव और आधे (बैल) पशु थे यानी कमर से ऊपर का हिस्सा मनुष्य का और कमर से नीचे का हिस्सा बैल के जैसे था |

कहीं कहीं इनका धड़ मनुष्य का और सिर पशु (बैल) का दिखाया गया है | दिखने में काफ़ी भयानक होते थे ये मिनोटौर | इनका सर्वप्रथम वर्णन होमर ने किया था लेकिन आज के समय में बनी कुछ पाश्चात्य जगत की फिल्मों में भी इन्हें दिखाया गया है |

यद्यपि, अभी तक, ऐसे प्राणियों का अस्तित्व प्रमाणित नहीं किया जा सका है लेकिन इनके पौराणिक गाथाओं में वर्णित हुए इन प्राणियों के अस्तित्व को पूरी तरह से कपोल कल्पित मान कर नकारा भी नहीं जा सकता |

मान्यताओं के अनुसार मिनोस, अपनी मृत्यु के बाद अधोलोक (पाताललोक) में मृतकों का अधिष्ठाता बना | फैस्टोस शहर में ही प्रसिद्ध यूनानी दैवज्ञ और भविष्यवक्ता एपिमेनिदिस (Epimenidis) का जन्म हुआ जिसके बारे में मान्यता है कि वह प्राचीन विश्व के सात सबसे बुद्धिमान मनुष्यों में से एक था |

यद्यपि यह डिस्क फैस्टोस के ही एक महल की खुदाई में मिली हैं लेकिन फिर भी इसके निर्माण स्थल, रचना काल और इस को बनाने के उद्देश्य के विषय में विद्वान एक मत नहीं हैं |

विद्वानों को लिए सबसे रहस्यमय उस डिस्क के दोनों तरफ सर्पिलाकार खांचों का बना होना है जिसमे अनसुलझे चित्र बने हुए हैं क्योंकि इस तरह के प्रतिमान (Pattern), उस काल की अन्य रचनाओं से मेल नहीं खाते |

ऊपर जिन पुरातत्ववेत्ताओं का उल्लेख हुआ है यानी सर आर्थर इवांस और लुइगी पर्निएर, इन दोनों ने उस रहस्यमयी डिस्क की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे | तब से अब तक कुल छब्बीस बार प्रयास हो चुका है लेकिन केवल इतना ही अनुमान लग पाया है कि यह एक ऐसा रेखिक (Linear) लेखन है जो प्राचीन विश्व की किसी भी ज्ञात भाषा से सम्बंधित नहीं है |

यद्यपि कुछ विद्वानों के अनुसार यह प्राचीन विश्व की हित्ती, कोई इन्डो-यूरोपियन या सेमेटिक भाषा का, उच्चारण की ईकाई से सम्बंधित लेख हो सकता है किन्तु, उनका यह तथ्य भी पूरी तरह से अनुमान पर आधारित है |

कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह लुइगी पर्निएर (Luigi Pernier) द्वारा ही रचित एक प्रकार का धोखा या फ्रॉड है लेकिन लगभग सारे विद्वान इससे सहमत नहीं हैं |

बहरहाल यह जरूरी नहीं कि जो वस्तु जहाँ से मिली हो वहीँ के रहस्यों को समेटी हो | कभी-कभी लोग दिन के उजाले में भी अँधेरे में ही हाथ-पैर चला रहे होते हैं लेकिन जब रात्रि आती है तो पता चलता है यह तो स्वयं प्रकाशित है केवल दिन के उजाले की वजह से यह दिख नहीं रहा था |

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