महाभारत
महाभारत कर्ण वध
इतिहास प्रसिद्ध कुरुक्षेत्र का महाभारत का युद्ध कुल 18 दिन चला। आज हम आपको महाभारत के 17 वें दिन की घटना से अवगत करा रहे हैं। जो महाभारत के युद्ध में कर्ण और अर्जुन संग्राम के नाम से जानी जाती …
कर्ण की उत्पत्ति कैसे हुई और महाभारत के सारे पात्र किन-किन देवता, दानव और असुरों के अंश से उत्पन्न हुए
जरासन्ध, शिशुपाल, शल्य, धृष्टकेतु और कंस पूर्व जन्म में कौन थे वैशम्पायन जी कहते हैं, जनमेजय! अब मैं यह वर्णन करता हूँ कि किन-किन देवता और दानवों ने किन-किन मनुष्यों के रूप में जन्म लिया था। दानवराज विप्रचित्ति जरासन्ध और …
श्री कृष्णद्वैपायन, वेदव्यास जी की आज्ञा से वैशम्पायन जी का जनमेजय को महाभारत की कथा सुनाना
शौनक जी ने कहा, सूतनन्दन! महाभारत की कथा बड़ी ही पवित्र है। इस में पाण्डवों का यश गाया गया है। सर्प-सत्र के अन्त में जनमेजय की प्रार्थना से भगवान् श्रीकृष्णद्वैपायन ने वैशम्पायन जी को यह आज्ञा दी थी कि तुम …
अंगूठा कट जाने बाद भी एकलव्य ने धनुष-बाण चलाने की नयी विद्या का आविष्कार कर डाला
अजीब संयोग था वह सब, न पांडव राजकुमारों का वह कुत्ता ईश वंदना में तल्लीन एकलव्य का ध्यान भंग करने के लिए उनके पास पहुंचता, न ही उनकी प्रार्थना में विध्न पहुंचता, न ही एकलव्य उस कुत्ते को भौंकने से …
पाण्डवों के लाक्षागृह से सकुशल भाग निकलने की कथा
पाँचों पांडव जब अपनी माँ के साथ वारणावत पहुंचे तो पाण्डवों के शुभागमन का समाचार सुनकर वारणावत के नागरिक शास्त्र-विधि के अनुसार मंगलमयी वस्तुओं की भेंट लेकर प्रसन्नता और उत्साह के साथ सवारियों पर चढ़कर उनकी अगवानी के लिये, उनके …
दुर्योधन ने कुटिलता पूर्वक पांडवों को वारणावत भेजने की योजना बनाई और धृतराष्ट्र के साथ मिल कर उन्हें भेज दिया
कुरुवंश के राजकुमार, कौरव और पाण्डव अब बड़े हो रहे थे | दुर्योधन ने जब देखा कि युधिष्ठिर के छोटे भाई भीमसेन की शक्ति असीम है और अर्जुन का अस्त्र-ज्ञान तथा अभ्यास विलक्षण है तो उसका कलेजा जलने लगा । …
जब पाण्डवों को विवश हो कर वारणावत की यात्रा के लिए निकलना पड़ा तो विदुर ने सांकेतिक और गुप्त भाषा में उन्हें खतरे से आगाह क्या
दुर्योधन की कुटिल चालों के अनुसार जब धृतराष्ट्र ने पाण्डवों को वारणावत जाने की आज्ञा दे दी, तब दुरात्मा दुर्योधन को बड़ी प्रसन्नता हुई उसने अपने मन्त्री पुरोचन को एकान्त में बुलाया और उसका दाहिना हाथ पकड़कर कहा, “भाई पुरोचन …
व्यासजी द्वारा पांडवों को द्रौपदी के पूर्वजन्म के बारे में बताना
परीक्षित नंदन जन्मेजय को महाभारत की कथा सुनते हुए वैशम्पायन जी कहते हैं-जनमेजय ! द्रौपदी के जन्म की कथा और उसके स्वयंवर का समाचार सुनकर पाण्डवों का मन उसे देखने के लिए बेचैन हो गया । उनकी व्याकुलता और द्रौपदी …
कर्ण वध के पश्चात्, दुर्योधन का पाण्डव सेना में अपना पराक्रम दिखाना, अपनी भागती हुई सेना को प्रेरित करते हुए एकत्रित करने का असफल प्रयास करना और अंत में घोर विलाप करना
कर्ण वध के पश्चात्, युद्ध स्थल का आँखों देखा हाल बताते हुए संजय धृतराष्ट्र से कहते हैं-महाराज ! उस समय कौरव-सैनिक भीमसेन के भय से व्याकुल होकर भाग रहे थे । उनकी यह अवस्था देख दुर्योधन हाहाकार करके उठा और …