राजा विक्रमादित्य ने जब ज्योतिषी के धैर्य को परखने के लिए लकड़हारे का रूप धरा
स्वर्ण सिंहासन की बीसवीं पुतली ज्ञानवती ने राजा भोज को बताया कि राजा विक्रमादित्य सच्चे ज्ञान के बहुत बड़े पारखी थे तथा ज्ञानियों का अत्यधिक सम्मान करते थे । उन्होंने अपने राज दरबार में चुन-चुन कर विद्वानों, पंडितों, लेखकों और …