चैतन्य महाप्रभु जी की कहानी
शास्त्रों में धर्म , अर्थ , काम तथा मोक्ष – इन चार पुरूषार्थ का सम्यक रूप से वर्णन हुआ है, परंतु भगवद्विमुख मानव – जीवन में भगवान के प्रति प्रेम का उदय एवं संवर्द्धन हो कैसे – ऐसे दिव्य सर्वसाधन …
शास्त्रों में धर्म , अर्थ , काम तथा मोक्ष – इन चार पुरूषार्थ का सम्यक रूप से वर्णन हुआ है, परंतु भगवद्विमुख मानव – जीवन में भगवान के प्रति प्रेम का उदय एवं संवर्द्धन हो कैसे – ऐसे दिव्य सर्वसाधन …
भगवान सूर्य की स्तुति में भक्त प्रातःकाल प्रार्थना करते हुए कहता है कि ‘हे भगवान सूर्य! मैं आपके उस श्रेष्ठ रूप का स्मरण करता हूँ , जिसका मण्डल ऋग्वेद है, तनु यर्जुर्वेद है, किरणें सामवेद हैं तथा जो ब्रह्मा और …
अखिल विश्व ब्रह्माण्ड में भूलोक, भूलोक में भी जम्बू, प्लक्ष तथा क्रोच् आदि द्वीपों में जम्बू द्वीप; पुनः जम्बू – द्वीपान्तर्गत किम्पुरूष, कुरूमाल आदि वर्षों में भारत वर्ष श्रेष्ठ माना जाता है। भारत वर्ष का माहात्म्य यहाँ की सम्भ्यता और …
श्री रामानुजाचार्य जी बड़े ही विद्वान , सदाचारी , धैर्यवान , सरल एवं उदार थे। यह आचार्य आलवन्दार (यामुनाचार्य) की परम्परा से थे। इनके पिता का नाम श्री केशव भटट था। ये दक्षिण के तिरूकुदूर नामक क्षेत्र में रहते थे। …
सर्व व्यापक निर्गुण निराकार ब्रह्म अनुभवगम्य है। उसका प्रत्यक्ष दर्शन नहीं होता, किंतु उसके साकार रूप सूूर्य का प्रकाश, नित्य ब्रह्म का प्रत्यक्ष प्रकाश् हैै। शत पथ ब्राह्मण में कहा गया हैे कि ‘असौ वा आदित्यो ब्रह्म अहरहः पुरस्तताज्जायते’ (7।4।1।14) …
श्रीमद भागवत में एक कथा वर्णित है कि एक बार आततायी राजा कंस के भय से भयभीत होकर वसुदेव जी भगवान श्री कृष्ण को लेकर नन्द गोप यानी नन्द बाबा के घर में चल गये। वहां पहुंचकर उन्होंने बालक श्री …
उत्कल प्रदेश पुरूषोत्तम अवतार प्रभु श्री जगन्नाथ जी की पुण्यलीलायों की भूमि है। नित्य लीला से युक्त उत्कल प्रदेश अपनी विश्ववन्द्य पुरूषोत्तम – संस्कृति के निमित्त विश्व में प्रसिद्ध है। पार्वती वल्लभ , श्री शंकर , गगनविलासी श्री सूर्य नारायण …
देवी भुवनेश्वरी ने हमेशा विविध प्रकार के अवतार – लीलाओं के द्वारा दुष्ट दैत्यों का शर्वनाश करके इस संसार को सदैव ही विनाश से बचाया है। देवी भुवनेश्वरी ने आर्तजनों को हमेशा ही कष्ट से दूर किया है। शुम्भ निशुम्भ …
स्वारोचिष मन्वन्तर के समय की बात है। चैत्र वंश में सुरथ नाम के एक वीर राजा थे , जो राजा विरथ के पराक्रमी पुत्र थे। राजा विरथ बहुत ही दानी, धार्मिक और सत्यवादी राजा थे। राजा सुरथ के पिता विरथ …
एक बार जब देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध छिड़ गया और देवताओं को इस भीषण युद्ध में विजय प्राप्त हुई । युद्ध को जीतने के बाद देवताओं के हृदय में अहंकार की भावना उत्पन्न होने लगी । सभी देवता …