विष्णु के अंशावतार श्री भरत जी का भ्रातृ प्रेम अतुलनीय व अनिवर्चनीय था
विष्णु के अंशावतार श्री भरत जी का भ्रातृ प्रेम अतुलनीय व अनिवर्चनीय था श्री भरत जी श्री राम के ही स्वरूप हैं । वे व्युहावतार माने जाते हैं और उनका वर्ण ऐसा है कि ‘भरतु रामही की अनुहारी । सहसा …