क्या महर्षि च्यवन के पौत्र ऋषि रुरु ने अपनी आधी आयु, अपनी मृत पत्नी को दे कर उसे जीवित किया था और क्या रुरु ने ही अपनी, सर्पों के विनाश की प्रतिज्ञा के चलते महर्षि सहस्त्रपाद को सर्पयोनी से मुक्त किया था

क्या महर्षि च्यवन के पुत्र ऋषि रुरु ने अपनी आधी आयु

उग्रश्रवा जी कहते है “ब्रह्मन् ! भृगु पुत्र च्यवन ने अपनी पत्नी सुकन्या के गर्भ से एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रमति था । महात्मा प्रमति बडे तेजस्वी थे । फिर प्रमति ने घृताची नाम की अप्सरा से …

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अर्जुन का धर्मराज युधिष्ठिर से क्षमा माँगना तथा उनके सामने कर्ण के वध की प्रतिज्ञा करना

अर्जुन का धर्मराज युधिष्ठिर के सामने कर्ण के वध की प्रतिज्ञा करना

महाभारत युद्ध के बीच जब श्री कृष्ण के समझाने पर अर्जुन ने धर्मराज युधिष्ठिर का अपमान कर दिया तो युधिष्ठिर अत्यंत दुखी हो कर वन को जाने लगे तब श्री कृष्ण ने उन्हें रोक लिया और अर्जुन की प्रतिज्ञा और …

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महाभारत युद्ध के बीच में कर्ण और शल्य के बीच हुए वाकयुद्ध का क्या परिणाम निकला

महाभारत युद्ध के बीच में कर्ण और शल्य के बीच हुए वाकयुद्ध का क्या परिणाम निकला

कुरुक्षेत्र के मैदान में होने वाले महाभारत के युद्ध से अत्यंत दूर बैठे संजय ने धृतराष्ट्र से कहा “महाराज ! जब महान् धनुर्धर कर्ण युद्ध के लिये तैयार हो गया तो उसे देखकर समस्त कौरव वीर हर्षध्वनि करने लगे । …

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द्रोणाचार्य ने अर्जुन को कौन से अमोघ शक्ति दी, उसका क्या नाम था और क्या-क्या क्षमतायें थी

द्रोणाचार्य ने अर्जुन को कौन से अमोघ शक्ति दी

महाभारत काल में जब द्रोणाचार्यन अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर आदि पांडवों तथा दुर्योधन आदि कौरवों को अस्त्र और शस्त्र शिक्षा दे रहे थे तो उनमे में से उन्हें अर्जुन सबसे मेधावी लगे | अर्जुन गुरु द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे | …

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रंगमण्डप में अर्जुन ने विचित्र और मायावी हथियारों का प्रदर्शन किया, उसे कर्ण से महान चुनौती मिली और वंश को लेकर अन्य लोगों से अपमानित हुए कर्ण को दुर्योधन को अंगदेश का शासक बनाया

रंगमण्डप में अर्जुन ने विचित्र और मायावी हथियारों का प्रदर्शन किया

परीक्षित नंदन जन्मेजय को महाभारत कथा सुनाते हुए वैशम्पायन जी कहते हैं “जनमेजय ! द्रोणाचार्य ने राजकुमारों को अस्त्रविद्या में निपुण देखकर कृपाचार्य, सोमदत्त, बाह्रीक, भीष्म, व्यास और विदुर आदि के सामने धृतराष्ट्र से कहा, ‘राजन् ! सभी राजकुमार सब …

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जब मयासुर दैत्य द्वारा रचित दिव्य, अद्भुत त्रिपुरों के नाश के लिए भगवान शिव ने योद्धा का रूप धारण किया और उनके रथ के सारथी बने भगवान ब्रह्मा जी

जब मयासुर दैत्य द्वारा रचित दिव्य, अद्भुत त्रिपुरों के नाश के लिए भगवान शिव ने योद्धा का रूप धारण किया

एक बार दुर्योधन ने कर्ण के विषय में समझते हुए राजा शल्य से कहा “महाराज शल्य ! पूर्वकाल में महर्षि मार्कण्डेय ने मेरे पिताजी से एक उपाख्यान कहा था । वह सब कथा मैं आपको सुनाता हूँ । उसे सुनिये …

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पाण्डवों के प्रति धृतराष्ट्र के मन में जहर किसने भरा, किसने उनकी बुद्धि भ्रष्ट की, क्या वो शकुनी नहीं कोई और था

पाण्डवों के प्रति धृतराष्ट्र के मन में जहर किसने भरा, किसने उनकी बुद्धि भ्रष्ट की

परीक्षित के पुत्र जन्मेजय को महाभारत की कथा सुनते हुए वैशम्पायन जी कहते हैं “जनमेजय ! द्रुपद को जीत लेने के एक वर्ष बाद राजा धृतराष्ट्र ने पाण्डु नन्दन युधिष्ठिर को युवराज पद पर अभिषिक्त कर दिया । एक तो …

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क्या श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन ने युधिष्ठिर का घोर अपमान किया था और अपना गुणगान किया था तथा बाद में श्रीकृष्ण और अर्जुन दोनों ने युधिष्ठिर से क्षमा मांगी थी

क्या श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन ने युधिष्ठिर का घोर अपमान किया था

महाभारत युद्ध के दौरान जब अर्जुन द्वारा कर्ण का वध न किये जाने पर, युधिष्ठिर ने अर्जुन को धिक्कारा और उनके गांडीव को धिक्कारा तथा उन्हें अपना गाण्डीव किसी अन्य योद्धा को सौंप देने को कहा तो अर्जुन अत्यंत क्रोधित …

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मद्र्राज शल्य को अपना सारथी बनाने के लिए अंगराज कर्ण और दुर्योधन ने अथक परिश्रम किया

मद्र्राज शल्य को अपना सारथी बनाने के लिए अंगराज कर्ण और दुर्योधन

राजा शल्य को समझाते हुए दुर्योधन ने कहा “वीरवर ! सारथि तो रथी से भी बढ़कर होना चाहिये । इसलिये आप संग्राम भूमि में कर्ण के घोड़ों का नियन्त्रण कीजिये । जिस प्रकार त्रिपुरों के नाश के लिये देवताओं ने …

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महाभारत युद्ध के समाप्त होने पर अश्वत्थामा द्वारा पाण्डवों का कपट पूर्वक वध करने का विचार करना

महाभारत युद्ध के समाप्त होने पर अश्वत्थामा द्वारा पाण्डवों का कपट पूर्वक वध करने का विचार करना

महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था और भीमसेन ने दुर्योधन का बेरहमी से वध कर डाला था | तब अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृत वर्मा ये तीनों वीर दक्षिण की ओर चले और सूर्यास्त के समय शिविर के पास पहुँच गये …

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