क्या महर्षि च्यवन के पौत्र ऋषि रुरु ने अपनी आधी आयु, अपनी मृत पत्नी को दे कर उसे जीवित किया था और क्या रुरु ने ही अपनी, सर्पों के विनाश की प्रतिज्ञा के चलते महर्षि सहस्त्रपाद को सर्पयोनी से मुक्त किया था
उग्रश्रवा जी कहते है “ब्रह्मन् ! भृगु पुत्र च्यवन ने अपनी पत्नी सुकन्या के गर्भ से एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रमति था । महात्मा प्रमति बडे तेजस्वी थे । फिर प्रमति ने घृताची नाम की अप्सरा से …