दानवीर विक्रमादित्य ने समुद्र देव से उपहार स्वरुप प्राप्त दुर्लभ मणियों तथा पवन वेगी घोड़े को ब्राहमण को दान कर दिया
सम्राट विक्रमादित्य बहुत बड़े प्रजापालक व प्रजाहितैषी थे । उन्हें हमेंशा अपनी प्रजा की सुख-समृद्धि की ही चिन्ता सताती रहती थी । एक बार उन्होंने एक महायज्ञ करने की ठानी । असंख्य राजा-महाराजाओं, पण्डितों और ॠषियों को आमन्त्रित किया । …