योगी की सिद्धि क्यों नष्ट हुई
सम्राट विक्रमादित्य ने, असीम धैर्य का परिचय देते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए उसी तान्त्रिक के पास, जिस तान्त्रिक ने उन्हें लाने का काम सौंपा था | कुछ …
सम्राट विक्रमादित्य ने, असीम धैर्य का परिचय देते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए उसी तान्त्रिक के पास, जिस तान्त्रिक ने उन्हें लाने का काम सौंपा था | कुछ …
अपनी धुन के पक्के सम्राट विक्रमादित्य ने, बिलकुल भी विचलित न होते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए तान्त्रिक के पास, जिसने उन्हें लाने का काम सौंपा था | …
अपनी धुन के पक्के विक्रमादित्य ने, बिलकुल भी विचलित न होते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए तान्त्रिक के पास, जिसने उन्हें लाने का काम सौंपा था | थोड़ी …
सम्राट विक्रमादित्य ने, अपने धर्म का पालन करते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए उस तान्त्रिक के पास, जिसने उन्हें लाने का काम सौंपा था | थोड़ी देर बाद …
सम्राट विक्रमादित्य ने, बिलकुल भी विचलित न होते हुए, तथा अपने धर्म का पालन करते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए उसी तान्त्रिक के पास, जिसने उन्हें लाने का …
सम्राट विक्रमादित्य ने, बिलकुल भी विचलित न होते हुए, तथा अपने धर्म का पालन करते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए उसी तान्त्रिक के पास, जिसने उन्हें लाने का …
स्वर्ण सिंहासन की छब्बीसवीं पुतली मृगनयनी ने राजा भोज को बताया कि राजा विक्रमादित्य न सिर्फ अपना राजकाज पूरे मनोयोग से चलाते थे, बल्कि त्याग, दानवीरता, दया, वीरता इत्यादि अनेक श्रेष्ठ गुणों के वे धनी थे । वे किसी तपस्वी …
राजा विक्रमादित्य ने, बिलकुल भी विचलित न होते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और बिना कुछ बोले चल दिए उसी तान्त्रिक के पास, जिसने उन्हें लाने का काम सौंपा था | …
राजा विक्रमादित्य ने, असीम धैर्य का परिचय देते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए उसी तान्त्रिक के पास, जिसने उन्हें लाने का काम सौंपा था | थोड़ी देर बाद …
अपनी धुन के पक्के राजा विक्रमादित्य ने, बिलकुल भी विचलित न होते हुए, वापस उसी पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए उसी तान्त्रिक के पास, जिसने उन्हें लाने का काम सौंपा …