शिव पार्वती विवाह की कथा
कर्म काण्ड का अबाधित महत्त्व है। इससे अभ्युदय तो होता है, किंतु यह ब्रह्म का स्थान ग्रहण नहीं कर सकता। प्रकृति ब्रह्म की बहिरंग शक्ति हैं। वह जब स्वयं ब्रह्म के सम्मुख नहीं जा सकती, तब अपने उपासकों को ब्रह्म …
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कर्म काण्ड का अबाधित महत्त्व है। इससे अभ्युदय तो होता है, किंतु यह ब्रह्म का स्थान ग्रहण नहीं कर सकता। प्रकृति ब्रह्म की बहिरंग शक्ति हैं। वह जब स्वयं ब्रह्म के सम्मुख नहीं जा सकती, तब अपने उपासकों को ब्रह्म …
पूर्व समय की बात है, अरूण नाम का एक पराक्रमी दैत्य था। देवताओं से द्वेष रखने वाला वह दानव पाताल में रहता था। उसके मन में देवताओं को जीतने की इच्छा उत्पन्न हो गयी, अतः वह हिमालय पर जाकर भगवान् …
‘अवतार’ शब्द ‘अव’ उपसर्गपूर्वक ‘तृ’ धातु में ‘घ´’ प्रत्यय के संयोग से निष्पन्न हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – अपनी स्थिति से नीचे उतरना। इसके विभिन्न अर्थ भी हैं , जैसे – उतार, उदय, प्रारम्भ, प्रकट होना इत्यादि। जैसे …
भगवद्वचनों के अनुसार अधर्म में विशेष वृद्धि के कारण जगतरूपी भगवदीय बगीचा जब समय से पूर्व ही उजड़ने लगता है तो करूणावरूणालय प्रभु श्री राम कभी अदिति नन्दन, कभी देवहूति नन्दन, कभी कौशल्या नन्दन तो कभी यशोदा नन्दन के रूप …
श्री रामानुजाचार्य जी बड़े ही विद्वान , सदाचारी , धैर्यवान , सरल एवं उदार थे। यह आचार्य आलवन्दार (यामुनाचार्य) की परम्परा से थे। इनके पिता का नाम श्री केशव भटट था। ये दक्षिण के तिरूकुदूर नामक क्षेत्र में रहते थे। …
श्रीमद भागवत में एक कथा वर्णित है कि एक बार आततायी राजा कंस के भय से भयभीत होकर वसुदेव जी भगवान श्री कृष्ण को लेकर नन्द गोप यानी नन्द बाबा के घर में चल गये। वहां पहुंचकर उन्होंने बालक श्री …
देवी भुवनेश्वरी ने हमेशा विविध प्रकार के अवतार – लीलाओं के द्वारा दुष्ट दैत्यों का शर्वनाश करके इस संसार को सदैव ही विनाश से बचाया है। देवी भुवनेश्वरी ने आर्तजनों को हमेशा ही कष्ट से दूर किया है। शुम्भ निशुम्भ …
स्वारोचिष मन्वन्तर के समय की बात है। चैत्र वंश में सुरथ नाम के एक वीर राजा थे , जो राजा विरथ के पराक्रमी पुत्र थे। राजा विरथ बहुत ही दानी, धार्मिक और सत्यवादी राजा थे। राजा सुरथ के पिता विरथ …
एक बार जब देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध छिड़ गया और देवताओं को इस भीषण युद्ध में विजय प्राप्त हुई । युद्ध को जीतने के बाद देवताओं के हृदय में अहंकार की भावना उत्पन्न होने लगी । सभी देवता …
प्राचीनकाल में महिषासुर नामक एक महा पराक्रमी असुर का जन्म हुआ था , जो रम्भ नामक असुर का पुत्र था एवं दैत्यों का सम्राट था। उसने युद्ध में सभी देवताओं को हराकर इन्द्र के सिंहासन पर अपना अधिकर जमा लिया …