उसका नाम एरिगो था | एरीगो का जन्म 18 अक्टूबर सन् 1921 को, ब्राजील के एक छोटे से गाँव में हुआ था । जन्म साधारण मिला था लेकिन बचपन से ही उसे विचित्र एवं रहस्यमय अनुभूतियाँ होने लगी थीं |
कभी उसे जागते हुए रहस्यमय दृश्य दिखायी पड़ते तो कभी स्वप्न में विचित्र प्रकार के सन्देश मिलते थे । प्रारम्भ में तो वह स्वयं भी इसकी वजह नहीं जान पा रहा था, लेकिन संकोची स्वाभाव का एरिगो, अपने माता-पिता से अक्सर अपने रहस्यमय अनुभवों की चर्चा करता था । उसके माता-पिता ने एरिगो के इन अनुभवों को सामान्य तरीके से लिया और उसे मन का भ्रम कहकर उसे समझा दिया ।
कुछ सालों तक ऐसे ही चलता रहा । लेकिन एक दिन एरीगो की ज़िन्दगी ने एक असामान्य मोड़ ले लिया | एरिगो के रिश्ते में चाची लगने वाली एक बूढ़ी औरत अपने पेट के ट्यूमर के कारण लगभग मृत्यु शैया पर पड़ी थी । उस दिन आखिरी बार मिलने गए लोगों में से एक ‘एरीगो’ भी थे । रिश्तेदार एवं परिवारीजन सभी उस वृद्ध महिला को घेर कर खड़े थे, जो बिस्तर पर पड़ी अपनी मृत्यु की राह देख रही थी ।
अचानक एरीगो को पता नहीं क्या समझ में आया, वह लगभग दौड़कर रसोई घर में गए और एक छोटा सा जंग लगा पुराना चाकू उठा लाये और कमरे में उपस्थित सभी व्यक्तियों को यह कह कर कि वह रोगी के उपचार के लिए एक विशेष प्रयोग करना चाहते हैं, सभी व्यक्तियों को बाहर निकल जाने का आग्रह किया ।
थोड़ी ही देर में उस कमरे में एरीगो और घर के वृद्ध अभिभावक को छोड़कर सभी सगे-सम्बन्धी बाहर निकल आए । कमरे में मौजूद दूसरा (वृद्ध) व्यक्ति इससे पहले कुछ समझ पाता उसके पहले ही एरिगो ने छोटे से चाकू से उस वृद्धा का पेट कुछ ही सेकेंड में चीर डाला । लेकिन आश्चर्यजनक रूप से बिस्तर पर लेटी रोगी महिला के चेहरे पर जरा भी तकलीफ के निशान प्रकट नहीं हुए |
पेट के भीतर मौजूद उस संतरे के आकार के ट्यूमर को उस वृद्ध अभिवावक ने भी देखा जिसे एरिगो ने काटकर बाहर निकाल दिया था और सबसे बड़ी बात उन बुजुर्गवार की आँखों के सामने ही एरिगो ने अपने दोनों हाथों से नसों के कटाव को आपसे में जोड़कर दबा दिया ।
इस परम-विचित्र ऑपरेशन में कुछ ही मिनट्स लगे होंगे । उन वृद्ध व्यक्ति के लिए सबसे रहस्यमय बात यह थी कि रोगी के पेट के ऊपर आपरेशन का कोई निशान भी नहीं था | ना तो उस महिला को किसी प्रकार की पीड़ा हुई और ना ही किसी प्रकार का रक्त स्राव । इतने बड़े ट्यूमर के निकलते ही उसकी चाची को महीनों की मर्मान्तक पीड़ा से छुटकारा मिल गया ।
जाने-माने प्रसिद्ध विद्वान ‘फ्रैंकिस किंग’ ने एक पुस्तक लिखी थी ‘मिस्टीरियस नालेज’ (Mysterious Knowledge) | इसी पुस्तक में उन्होंने ‘जोस एरीगो’ (Jose Arigo) नाम के इस विलक्षण शक्ति वाले व्यक्ति का उल्लेख किया था जो बिना किसी वैज्ञानिक उपकरण (Surgical Instrument) के शल्य चिकित्सा करता और कठिन से कठिन रोगों से मुक्ति दिला देता था ।
ब्राजील के एक छोटे से गाँव में जन्मे, जोस एरिगो नामक इस व्यक्ति को अपनी अद्भुत क्षमता के कारण भारी प्रसिद्धि मिली । अपनी चाची का, पाँच मिनट के भीतर, इस प्रकार से इलाज करने, कि वह मृत्यु-शैय्या से वापस लौट आयीं, से वह (अपने परिवारी जन एवं रिश्तेदारों में) अतीन्द्रिय क्षमता वाले मनुष्य के रूप में विख्यात होने लगे |
एक दिन उनके पुराने मित्र बिटेनकोर्ट (Bittencourt), जो कि उस राज्य के सीनेटर भी थे, ने एरिगो को आमंत्रित किया अपनी एक रैली में शामिल होने के लिए | उनके सभासद मित्र ने अपने साथ ही होटल में उनके रुकने की व्यवस्था करा दी |
कार्यक्रम की समाप्ति के बाद दोनों दोस्तों में बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो उनके मित्र ने बताया कि उनके दाहिने फेफड़े में कैंसर का ट्यूमर है और उस ट्यूमर की अतीव वेदना से वह अपनी जिन्दगी से निराश हो चुके हैं । उन्होंने बताया कि यहाँ के डॉक्टर्स ने इतने संवेदनशील स्थान पर आपरेशन करने से इन्कार कर दिया है क्योंकि इससे उनके जीवन के लिए खतरा हो सकता है ।
उनके मित्र ने अपनी इच्छा प्रकट की, कि इस रैली के बाद वो अमेरिका जाना चाहते हैं इसके ईलाज के लिए शायद वहाँ उनकी ज़िन्दगी बच जाये | जोस ने अपनी संवेदना प्रकट की और मदद का भरोसा दिया फिर बातचीत के बाद दोनों वहीँ सो गए |
देर रात के समय, एरिगो के मित्र ऐसा लगा जैसे किसी का हाथ उनके शरीर के ऊपर रेंग रहा हो । हाँलाकि कुछ ही मिनटों तक उन्हें ऐसा अनुभव हुआ उसके बाद वो निद्रा में चले गए । दूसरे दिन सुबह उन्होंने महसूस किया की उनके ऊपर के कपड़े फटे हुए थे जैसे किसी ने जान-बूझकर, क्षाती पर दर्द वाले स्थान के ऊपर चीरा लगाया हो । और उसी दिन से उन्हें अपने कष्ट से छुटकारा मिल गया | वो कष्ट जिसके उपचार में बड़े-बड़े चिकित्सकों ने भी अपनी असमर्थता प्रकट कर दी थी ।
अब तक जोस एरीगो की प्रसिद्धि काफी दूर तक फैल चुकी थी । केवल ब्राजील ही नहीं बल्कि अमेरिका एवं यूरोप के अन्य देशों से भी अधिक से अधिक संख्या में संख्या में रोगी, शोधकर्ता, डॉक्टर्स एवं वैज्ञानिक उनके पास आने लगे ।
उनकी शल्य चिकित्सा की चमत्कारिक प्रक्रिया एवं असाधारण सफलता को देखकर बड़े-बड़े शोधकर्ता भी हतप्रभ हो जा रहे थे । कई सारे प्रयोगों को प्रमाणिकता की कसौटी पर कसने के बाद लगभग सभी लोगों ने स्वीकार किया कि एरीगो के भीतर कोई अलौकिक शक्ति है (जिसे वे समझ नहीं पा रहे थे) जिसके द्वारा वह लोगों के रोग ठीक करते हैं ।
विश्व प्रसिद्ध पत्रिका टाइम्स के संवाददाता डेविड सेण्ट क्लेर उनकी प्रसिद्धि सुनकर वास्तविकता को जानने के लिए उनके पास पहुँचे । उनके सामने ही एरीगो ने, अपनी आँखों की रौशनी लगभग खो चुके एक अन्धे लड़के की आँख का आपरेशन किया ।
उस संवाददाता के सामने ही एरिगो ने अपने हाँथों से उस लड़के की आँख को उसके कोटर से बाहर निकाल कर उसकी झिल्ली को थोड़ा इधर-उधर किया और फिर उसी कोटर के भीतर बैठा दिया । इस पूरी प्रक्रिया में लड़के को किसी तरह की कोई पीड़ा नहीं हुई । इस छोटे से, कुछ ही मिनटों के (बिना किसी कष्ट के) ऑपरेशन से, उस बच्चे को वरदान के रूप में आँखों की रौशनी मिल गई ।
इस पूरी प्रक्रिया को अपनी आँखों के सामने होता देखकर डेविड भौचक्के थे | उन्हें लगा कि अभी-अभी कुछ ऐसा हुआ जो वैज्ञानिक और भौतिक नियमों से परे था | सब कुछ जांचने परखने के बाद संवाददाता डेविड ने लिखा कि ‘निश्चित रूप से एरीगो के भीतर कोई ऐसी अलौकिक शक्ति है जिससे वह इस प्रकार के असम्भव काम करने में सफल होते हैं । वैज्ञानिक आधार पर उनके रहस्यमय कामों की व्याख्या करना मुश्किल है’।
वैज्ञानिक जानते हैं कि किसी वस्तु को अगर बहु-आयामीय संसार (Multi-Dimensional World) से, अपेक्षाकृत क्षुद्र-अयामीय संसार (Less-Dimensional World) में लेकर आया जाये तो उस वस्तु से सम्बंधित बहुत सारी जानकारियों का लोप हो जाता है | वैज्ञानिक भाषा में इसे Curse of Dimensionality कहते हैं |
कोई भी प्रक्रिया, सूक्ष्म जगत (जो की बहु-अयामीय संसार है) में जिस प्रकार से हो रही है, जरूरी नहीं कि स्थूल जगत (जो की अपेक्षाकृत क्षुद्र-अयामीय संसार है) में भी बिलकुल वैसी ही दिखाई पड़े | वही प्रक्रिया सूक्ष्म जगत में थोड़ा विस्तार (यह Time और Space दोनों में या किसी एक में हो सकता है) से हो रही होगी जिसे हम आप अपने संसार में, पाँच मिनट में पूरा हुआ खेल जैसा समझ सकते हैं |
यद्यपि वो पूरी प्रक्रिया हमारी आँखों के सामने ही हो रही होगी लेकिन ना तो उस प्रक्रिया को हम पूरी तरह देख सकेंगे और ना ही महसूस कर सकेंगे क्योंकि (अपेक्षाकृत क्षुद्र-अयामीय संसार में रहने की वजह से) हम ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं | और चमत्कारों का क्या है, उसका सामना तो तब तक होता रहेगा जब तक कि अंतिम सत्य से सामना ना हो जाये..
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