पंचतन्त्र की कहानियाँ-बुद्धिमान सियार और सिंह की कहानी
एक जंगल में एक सिंह रहता था । सिंह का नाम खरनखर था । वह बड़ा बलवान था | वह जब दहाड़ता था तो जंगल का कोना-कोना गूंज उठता था । जंगल के छोटे-बड़े सभी जानवर उससे डरा करते थे …
एक जंगल में एक सिंह रहता था । सिंह का नाम खरनखर था । वह बड़ा बलवान था | वह जब दहाड़ता था तो जंगल का कोना-कोना गूंज उठता था । जंगल के छोटे-बड़े सभी जानवर उससे डरा करते थे …
एक वन में हाथियों का एक झुंड रहता था । झुंड का एक सरदार था । उसे यूथपति या गजराज कहते थे । गजराज विशालकाय था, लंबी सूंड़ थी और लंबे तथा मोटे दांत थे । खंभे के समान मोटे-मोटे …
एक गांव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था । उसकी कोई संतान नहीं थी । पति और पत्नी दोनों संतान की कामना से लगातार व्रत, उपवास और पूजा-पाठ किया करते थे । वर्षों पूजा-पाठ करने के पश्चात् …
एक नदी किनारे वृक्ष पर एक बंदर रहता था । बंदर अकेला था | वह वृक्ष के मीठे-मीठे फलों को खाता और आनंदमय जीवन बिताया करता था । मन में कोई चिंता तो रहती नहीं थी, इसलिए बडा स्वस्थ रहता …
बहुत समय की बात है, एक नगर में चार मित्र रहते थे । उनमें परस्पर बड़ी प्रीति थी । वे साथ रहते थे और साथ ही घूमा-फिरा करते थे। चारों मित्रों में तीन तो अधिक पढ़े-लिखे विद्वान थे, पर चौथा …
एक झील के किनारे चार प्राणी रहते थे – कौवा, कछुआ, चूहा और मृग। कौवा वृक्ष पर रहता था, कछुआ जल में निवास करता था, चूहा बिल में रहता था | और मृग झाड़ी में | चारों प्राणियों में बडी …
एक वन में एक सियार रहता था । सियार बड़ा ही चालाक और धूर्त था । वह दिन-भर तो छिपा रहता था, पर जब रात होती तो शिकार के लिए बाहर निकलता और बड़ी ही चालाकी से छोटे-छोटे जीवों को …
एक तालाब के किनारे एक सारस रहता था । सारस बड़ा मक्कार था । वह प्रतिदिन तालाब की मछलियों को खाया करता और बड़े सुख से साथ जीवन व्यतीत करता था | उसे जब भी भूख लगती, तालाब के किनारे …
किसी समय एक राज्य में तीन युवक थे – एक था राजा का लड़का, दूसरा था मंत्री का लडका और तीसरा था, वहां के एक बड़े व्यापारी का लड़का । तीनों युवकों में घनिष्ठ मित्रता थी । तीनों युवक साथ-साथ …
एक नदी के तट पर साधुओं का आश्रम था । आश्रम में साधु-महात्मा रहते थे | वे भिक्षा मांगकर खाते और भगवान के भजन-कीर्तन में लगे रहते थे। साधुओं के गुरु जी बड़े तपस्वी थे। उनमें कई चमत्कारी, शक्तियां थीं। …