विक्रम बेताल की कहानियां, सबसे महान त्यागी कौन
अपनी धुन के पक्के विक्रमार्क ने उस श्मशान के बेताल को अपने कन्धों पर लादा और चल दिए अपने गंतव्य की ओर | थोड़ा समय बीतने पर बेताल ने उन्हें अगली कथा सुनाना प्रारंभ किया | मदनपुर नगर में वीरवर …
अपनी धुन के पक्के विक्रमार्क ने उस श्मशान के बेताल को अपने कन्धों पर लादा और चल दिए अपने गंतव्य की ओर | थोड़ा समय बीतने पर बेताल ने उन्हें अगली कथा सुनाना प्रारंभ किया | मदनपुर नगर में वीरवर …
वृन्दावन, मथुरा एवं द्वारकापुरी में जो-जो अवतार लीलाएं हुई हैं तथा प्राचीन मुनि-ऋषियों के द्वारा सूचित प्रतियुगोचित जो-जो लीला अवतार समूह इस धरती पर हुए हैं, उनके विस्तार-प्रसारपूर्वक् जो वेदवेद्य अवतारी भगवान अपने नित्यधाम श्री पुरूषोत्तमपुरी क्षेत्र में समुपविष्ट हैं, …
अपने काम में लगातार असफल रहने के बाद भी राजा विक्रमादित्य तनिक भी विचलित नहीं हुए और जा पहुंचे उस पेड़ के पास जहाँ बेताल उल्टा लटका था | वहां से उन्होंने फिर से बेताल को अपने कंधे पर लादा …
अपनी धुन के पक्के विक्रमार्क ने जब बेताल को अपने कंधे पर लादा और आगे बढ़े तो मार्ग में उन्हें बेताल ने अगली कथा सुनायी | प्राचीन काल में किसी समय अंग देश के एक गाँव मे एक धनी ब्राह्मण …
राजा विक्रमादित्य जब बेताल को पीठ पर लाद कर ले चले तो मार्ग में बेताल ने उन्हें अगली कथा सुनायी | बेताल ने कहा मिथलावती नाम की एक नगरी थी । उसमें गुणधिप नाम का राजा राज्य करता था । …
बेताल ने राजा विक्रमादित्य को कथा सुनाने का क्रम जारी रखा | कर्मपुर नाम की एक नगरी थी। उसमें कर्मशील नाम का राजा राज्य करता था। उसके दरबार में अन्धक नाम का दीवान था । एक दिन दीवान ने कहा, …
राजा विक्रमादित्य की पीठ पर सवार होते ही बेताल ने उनसे कहा “तुम भी बड़े हठी हो राजन, मैंने तुम्हे बताया है कि वो तान्त्रिक तुम्हारा शत्रु है, तुम्हारे जीवन का प्यासा है फिर भी तुम उसकी सहायता के लिए …
बेताल ने विक्रमादित्य को अपनी प्रतिज्ञा याद दिलाते हुए अगली कहानी सुनाना प्रारम्भ किया | भोगवती नाम की एक नगरी थी । उसमें राजा अमर्त्यसेन राज करता था । उसके पास चिन्तामणि नाम का एक पालतू तोता था । एक …
राजा विक्रमादित्य भी अपनी धुन के पक्के थे | बेताल ने जैसे ही उनका कन्धा छोड़ा और वापस पेड़ पर जा कर लटका, वे वापस उसे लाने के लिए चल पड़े | विक्रमादित्य ने उसे पेड़ से उतारा, अपने कंधे …
अवतार का अर्थ सामान्य जन्म से नहीं है। अवतारी की तो जन्म-कर्म-जैसी समस्त लौकिक क्रियाएं दिव्य होती हैं। गीता में श्री भगवान ने अवतार के संबंध में समस्त जिज्ञासाओं का समाधान बड़ी स्पष्टता से किया है एवं कहा है “यद्यपि …