इंग्लिश काउंटी नोरफ़ॉल्क (Norfolk) से कुछ ही किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में स्थित है बिरशेम न्यूटन एयरफील्ड (Bircham Newton Airfield) | द्वितीय विश्वयुद्ध के समय में खासा सक्रीय रहा यह एयरफील्ड आज CITB (Construction Industry Training Board) के काम आ रहा है |
इसका निर्माण ब्रिटेन की शाही वायुसेना यानी RAF (Royal Air Force) ने कराया था | द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही इसे भवन निर्माण की ट्रेनिंग देने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा था | सन 1950 के आस-पास की बात है |
लन्दन की एक निजी कंपनी ने ट्रेनिंग पर गए छात्रों के लिए वहाँ एक फिल्म बनाने की सोची और उसके लिए अपने तकनीकि विशेषज्ञों को कैमरा टीम के साथ वहाँ भेज दिया |
शुरुआत के एक-दो दिन तक तो सब ठीक रहा लेकिन फिर वहाँ यूनिट के सदस्यों के साथ विचित्र प्रकार की भूतिया घटनाएं होने लगी | फिर वहाँ भूतों का खौफ इतना बढ़ा की फिल्म निर्माण टीम के सभी सदस्य एक-एक करके वहाँ से भागने लगे |
उन्ही में से एक था जेम्स | उसे स्क्वाश (Squash) खेलने का बहुत शौक था | टीम के आधे से ज्यादा सदस्य जा चुके थे लेकिन जेम्स रुका हुआ था | उस एयरफील्ड में बने हुए भवनों के भीतरी हिस्से में स्क्वाश खेलने के लिए दो कोर्ट बने हुए थे | शाम का वक्त था और जेम्स पूरी ताक़त से स्क्वाश खेल रहा था |
पसीने से तर जेम्स को अचानक लगा कि उसे कोई देख रहा है | खेलना छोड़कर उसने अपनी निगाह दाहिनी ओर घुमाई, द्वितीय विश्वयुद्ध के जमाने की सेना के पायलट की पोशाक में एक अधेड़ उम्र का स्वस्थ व्यक्ति वहाँ खड़ा उसे घूर रहा था |
जेम्स ने इससे पहले वहाँ ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं देखा था | उसके चेहरे पर नाराजगी का भाव था मानो उसे वहाँ जेम्स का स्क्वाश खेलना कतई पसंद न आ रहा हो | तेज धड़कते दिल से जेम्स भी उसे लगातार घूरे जा रहा था |
लेकिन जेम्स के शरीर का रक्त उस समय जम गया जब उसके सामने वह पायलट दीवार से आर-पार हो गया | अगले दिन उसने भी उस जगह को छोड़ दिया | इस घटना का पता लोगों को तब चला जब इसकी खोजबीन में प्रसिद्ध परामनोवैज्ञानिक पीटर क्लार्क लगे | ब्रिटिश मीडिया में तरह-तरह की बातें हो रही थीं |
पीटर की सहायता बी. बी. सी. रेडियो ने भी की और मीडिया ने उनकी खोज को विस्तार से लिखा कि वहाँ एअरपोर्ट के हॉल में अदृश्य सैनिकों की आवाजें, हवाई जहाज के उड़ने और लैंड करने की आवाजें भी आती थीं |
कुछ सालों बाद बी. बी. सी. ने वहाँ होने वाली डरावनी घटनाओं पर एक वृत्तचित्र (Documentary) बनाने की सोची और 1972 में उसने अपनी टेलीविज़न कैमरा टीम वहाँ भेजी | उनके साथ इस बार प्रसिद्ध घोस्ट हंटर जॉन भी थे | जानकारी के अनुसार जॉन ने वहाँ रहने वाली अशरीरी प्रेतात्माओं से संपर्क किया | जिससे पता चला कि वहाँ कुल चार भूत थे |
उनमे से एक था विली जो RAF में सिपाही था | लोग बताते हैं कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ही विली ने आत्महत्या कर ली थी | जॉन ने जब उसकी प्रेतात्मा से संपर्क किया तो उसने बताया कि उसे पता था कि वो मर कर भूत बन चुका था |
लेकिन विली के अलावा वहाँ तीन और भूत सक्रिय थे | उनमे दो पुरुष और एक महिला का प्रेत था | उनके नाम गैरी (डस्टी), पैट और ओर्नोल्ड थे | तीनों आपस में गहरे दोस्त थे और तीनो ही स्क्वाश खेलने के शौक़ीन थे | सन 1940 में एक लॉकहीड विमान के रूटीन फ्लाइट के दौरान हुए हादसे में तीनो मारे गए थे | रनवे पर लैंड करने के दौरान ही विमान दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से क्रैश हो गया था |
जॉन के अनुसार, विमान हादसे में अचानक हुई मौत की वजह से वो ये मानने को तैयार ही नहीं हो रहे थे कि ‘वे मर चुके थे’ | हाँ, उन तीनो प्रेतात्माओं को ये जरूर अजीब लगता था कि वे लोग दूसरे लोगों को देख सकते थे, उन्हें महसूस कर सकते थे लेकिन बाकी दुनिया उन्हें भाव ही नहीं दे रही थी यहाँ तक की उनकी तरफ देख भी नहीं रही थी |
एक्सोर्सिस्म किया गया, हॉल में प्रार्थनाएं की गयी तब कही जा कर उन्हें इस धरती की नश्वर चीजों का मोह छूटा | मोह और आसक्ति के बंधन ढीले पड़ते ही उनमे मुक्ति के लिए अकुलाहट पैदा हुई और फिर कब वे इस दुनिया के पार चले गए, शायद उन्हें इसका पता ही न चला हो |
बंधन जब मोह और आसक्ति को हो तो उसमे चैन नहीं आता, मन हमेशा अशान्त बना रहता है | नश्वर वस्तुओं में आसक्ति हमेशा बंधन का कारण बनती हैं और जीवात्मा को पता ही नहीं चल पाता कि वो क्यों कष्ट भोग रहा है |
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