थाईलैंड की शाही थाई सेना के सार्जेंट थियन की पूर्वजन्म की घटना
यह घटना थाईलैंड की शाही थाई सेना के एक सार्जेंट से संबंधित है | इस सार्जेंट का नाम था थिएन (Sgt. Thien) | सार्जेंट थिएन के शरीर पर जन्म से ही कुछ ऐसे निशान थे जो विचित्र थे और किसी अनदेखी अनसुनी घटना के परिणाम स्वरुप उत्पन्न हुए प्रतीत होते थे |
लेकिन सार्जेंट थिएन इन निशानों को अपने पूर्वजन्म से सम्बंधित मानते थे | जैसे, जन्म से ही सार्जेंट थियन के बाएं कान के ऊपर से उसकी खोपड़ी तक ऊपर उठा हुआ एक बालदार तिरछी रेखा जैसा विचित्र चिन्ह था | इन सब के बारे में उनका कहना था कि उन्हें अपने पूर्व जन्म की मृत्यु तक की तथा उसके बाद, वर्तमान जन्म लेने से पहले तक की घटनाओं की स्मृति है |
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अपने पिछले जन्म के बारे में बताते हुए सार्जेंट थिएन कहते थे कि एक बार पशु चोरी करने के अपराध में गांव वालों ने उन पर हमला किया और उनके सिर में उस स्थान पर छूरा भोंका था जहां अब वह चिन्ह बना हुआ था |
उन्होंने दावा किया कि अपने पिछले जन्म की मृत्यु के पश्चात उन्हें अपने ही शरीर को देखने की भी स्मृति थी | उन्होंने बताया की अपने बचपन में वह उस घटना की प्रत्येक बात बता सकते थे | उनके अनुसार पूर्व जन्म में उनकी मृत्यु के समय तक उनके दाहिने पैर के अंगूठे में एक खुला हुआ घाव था जो भर नहीं रहा था तथा उनके हाथों और पैरों में गोदने के चिन्ह बने हुए थे |
आश्चर्य जनक बात यह थी कि इस जन्म में भी उनके दाहिने पैर के उसी अंगूठे में जन्मजात विकृति थी और उनके वर्तमान जन्म के समय से ही, पूर्वजन्म के गोदने वाले स्थान पर, उसी के अनुरूप चिन्ह बने हुए दिखाई देते थे | उनके द्वारा दिए गए इन विवरणों की पुष्टि, उनके पिछले जन्म के गाँव के मुखिया ने भी की थी | वह मुखिया उसे पूर्व जन्म में जानता था |
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इसी प्रकार से उसके पूर्वजन्म तथा वर्तमान जन्म के सगे संबंधियों तथा सेना के उच्च अधिकारियों ने भी, जो तथ्यों से भली प्रकार से परिचित थे, उनके कथन की पुष्टि की थी | बाद में सेना में कुछ लोगे उन्हें ‘जमीदार’ नाम से बुलाने लगे, क्योंकि उन्होंने सेना के पड़ाव के निकट की कुछ भूमि पर अपना अधिकार जताया था जो पूर्व जीवन में उनकी संपत्ति थी |
सार्जेंट थिएन की यह पूर्वजन्म की घटना उन सैकड़ों हज़ारो व्यक्तियों में से एक व्यक्ति की घटना है, जो पूर्व जन्म की स्मृति का दावा करते हैं | लेकिन यह घटना, पुनर्जन्म की उन दुर्लभ घटनाओं में से भी एक है जिनमे पूर्वजन्म के शारीरिक लक्षण एवं चिन्ह वर्तमान जन्म में भी हुबहू उभर आते है मानो उसने पूर्वजन्म की मृत्यु के तुरंत बाद वर्तमान जन्म ले लिया हो |
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पुनर्जन्म की इस प्रकार की घटनाएं, आज के आधुनिक विकासवादियों के लिए एक पहेली की तरह है जिसका कोई समुचित तर्क उनके पास न होने की वजह से वे इसे फ़र्ज़ी, फ्राड या धार्मिक अन्धविश्वास कहकर इसका मजाक उड़ाने की कोशिश करते हैं |
लेकिन जिस प्रकार से सत्य को सिद्ध होने की आवश्यकता नहीं होती वह स्वयंसिद्ध होता है उसी प्रकार से हिन्दू धर्म का पुनर्जन्म और कर्मफल सिद्धांत स्वयंसिद्ध है, उस पर लोगों का विश्वास करना/न करना, केवल समय की बात है |