बरमूडा ट्रायंगल जैसे अभिशप्त, पैशाचिक और रहस्यमय समुद्री क्षेत्र, दुनिया में कई जगहों पर हैं | ऐसा ही एक कुख्यात पैशाचिक समुद्री क्षेत्र मध्य जापान के समुद्री किनारे से थोड़ी दूर प्रशान्त महासागर में है जो अब तक सैकड़ों जहाज़ों को बड़े ही खतरनाक और रहस्यमय तरीके से निगल चुका है | प्रशान्त महासागर का यह क्षेत्र काफी अशान्त है |
अभी तक यहाँ इतनी भीषण दुर्घटनाएं हो चुकी हैं कि स्वयं जापान की सरकार ने इस पूरे क्षेत्र को प्रतिबंधित घोषित कर रखा है | बरमूडा ट्रायंगल की तरह यह क्षेत्र भी एक त्रिकोण के आकार का है जो जापान से लेकर बोनिन आइलैंड (Island of Bonin) और फिलिपीन समुद्र (Philippine Sea) के काफी हिस्से को घेरे हुए है |
आंकड़ों की माने तो इस समुद्री क्षेत्र की रहस्यमयी शक्तियों के कारनामे, साल-दो साल या दशकों पुराने नहीं बल्कि शताब्दियों पहले यहाँ पैशाचिक हलचल शुरू हो गयी थी | आज दुनिया इस क्षेत्र को प्रशान्त महासागर के बरमूडा ट्रायंगल या द ड्रैगन ट्रायंगल (The Dragon Triangle) के नाम से जानती है |
सन 1955 में नौ जापानी युद्धक जहाज, जिनमे कुछ मालवाहक जहाज भी थे, अचानक इस क्षेत्र से ग़ायब हो गए | बिना कोई निशान छोड़े वो नौ जहाज इस दुनिया से गायब हो चुके थे | इन जहाज़ों का पता लगाने के लिए जापान की सरकार ने अपना विशेष जहाज ‘काइयो मारू 5’ (Kaio Maru No. 5) भेजा |
कुछ दिनों तक उसने उस इलाके में खोजबीन की लेकिन सफलता हाँथ नहीं लगी | लेकिन कुछ दिनों बाद जापानी सरकार का वो विशेष जहाज भी, उसी क्षेत्र में, बड़े ही रहस्यमय तरीके से गायब हो गया | ये पहला मौका था जब उस भूतिया समुद्री क्षेत्र ने वैश्विक समुदाय का ध्यान अपनी तरफ खींचा था |
अगले पन्द्रह से बीस वर्षों में दर्ज़नों छोटी-बड़ी नावें और जहाज इसी पैशाचिक समुद्री क्षेत्र में, रहस्यमय तरीके से समाते चले गए | वैज्ञानिकों की माने तो प्रशान्त महासागर का यह अशान्त क्षेत्र (ड्रैगन ट्रायंगल), विश्व के उन चुनिन्दा 12 खतरनाक भंवर वाले क्षेत्रों में से एक है जहाँ अपने पृथ्वी ग्रह की विद्युतचुम्बकीय तरंगे अपनी सर्वाधिक शक्तिशाली अवस्था में हैं, किसी और स्थान की तुलना में |
जापानी वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि उस कथित समुद्री क्षेत्र में जाने पर वास्तविक उत्तर दिशा और पृथ्वी के चुम्बकीय उत्तर का अजीब तरीके से एकीकरण हो जाता है जिससे वहाँ पर सभी दिशाएं एक में मिली हुई लगती हैं और दृश्य बड़ा ही भयावह हो जाता है | दिशाओं के एकीकरण से वहाँ दिशा का ज्ञान होना लगभग असंभव हो जाता है और साथ ही वहाँ से निकलना भी |
इस कुख्यात, रहस्यमयी समुद्री क्षेत्र को ड्रैगन ट्रायंगल के नाम से बुलाने के पीछे चीन देश की एक पौराणिक कथा है जिसमे समंदर के नीचे रहने वाला एक भयानक ड्रैगन बड़े-बड़े समुद्री जहाज़ों को उनके नाविकों और यात्रियों समेत समंदर में नीचे खींच लेता था और उन मनुष्यों को खा कर अपनी भूख मिटाता था |
ड्रैगन से सम्बंधित इस तरह की कहानियाँ वहाँ हज़ारों साल से प्रचलित हैं यही वजह है कि आम बोलचाल की भाषा में वहाँ के लोग इसे ड्रैगन ट्रायंगल के नाम से बुलाते हैं |
कहा जाता है कि प्रसिद्ध मंगोल योद्धा कुबलई खां (Kublai Khan) ने, तेरहवीं शताब्दी में, जब जापान पर आक्रमण करके उसको जीतने की सोची तो अपनी सेना के साथ वो इसी समुद्री क्षेत्र के आस-पास से होते हुए गुजरा | जैसा की होना था | कुबलई खां ने अपने जीवन की भीषणतम त्रासदी देखी | प्रलयंकारी मंजर था | चालीस हज़ार प्रशिक्षित और सुसज्जित सैनिकों के साथ उसके विशालकाय समुद्री युद्धपोत उसकी आँखों के सामने उसी भयावह समुद्र के आगोश में समा गए |
उसके बाद उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में भी गायब होने की ऐसी घटना घटी | हाल के वर्षों में नौ युद्धक पोतों और उनको खोजने गए काइयो मारू-5 के गायब होने की घटना अब तक रहस्य बनी हुई है |
यद्यपि एक अनुमान के मुताबिक जापान के वैज्ञानिकों ने अनौपचारिक रूप से, अत्याधुनिक और संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ वहाँ अनुसन्धान कार्य जारी रखा है लेकिन काइयो मारू-5 के ग़ायब होने के बाद से चूंकि जापान की सरकार ने उस क्षेत्र में, समुद्री यात्राओं और हर तरह के समुद्री परिवहन पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया है इसलिए उस पैशाचिक क्षेत्र का रहस्य भी अभी तक समंदर के पानी में ही दफ़न है |
प्रशान्त महासागर के इस बरमूडा ट्रायंगल के बारे में वैज्ञानिक चाहे जो थ्योरी दें या अनुमान लगाए लेकिन पौराणिक रहस्यों के धुंध से घिरी इस जगह का सम्मोहन आज भी बरकरार है | वहाँ कुछ है ऐसा जिसे जानने के लिए खोजकर्ताओं का दिल आज भी मचलता है |
रहस्यमय के अन्य आर्टिकल्स
भूत, प्रेतों, पिशाचों की रहस्यमय दुनिया इसी जगत में है
तंत्र साहित्य में ब्रह्म के सच्चिदानन्द स्वरुप की व्याख्या
कुण्डलिनी शक्ति तंत्र, षट्चक्र, और नाड़ी चक्र के रहस्य