इटली में घटित हुई पुनर्जन्म की हैरान कर देने वाली घटना
डॉक्टर कार्मेलो सिमोना (Dr. Carmelo Simona) और उनकी पत्नी ऐडला (Edala) की एक पुत्री थी जिसका नाम था ऐलेक्जेंड्रीना सिमोना (Alexandrina Simona) | ऐलेक्जेंड्रीना के जन्म के समय डॉक्टर कार्मेलो की पत्नी एडला की हालत बिगड़ गयी थी और डॉक्टर्स की टीम को उनकी जान बचाने के लिए उनका ऑपरेशन करना पड़ा |
उस ऑपरेशन से उनकी पत्नी की जान तो बच गयी लेकिन डॉक्टर्स का कहना था की फिर वो कभी माँ नहीं बन पाएंगी | डॉक्टर कार्मेलो और उनकी पत्नी अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे | बिलकुल नन्ही परी थी वह |
लेकिन अक्सर किस्मत कुछ लोगों से उसी को छीन लेती है जो उन्हें सबसे अधिक प्रिय होता, अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय | डॉक्टर कार्मेलो और उनकी पत्नी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ | पांच वर्ष की छोटी सी उम्र में 15 मार्च सन 1910 को दक्षिणी इटली में स्थित पलेरमो सिटी, सिसीली (Palermo City, Sicily), में उनकी बेटी ऐलेक्जेंड्रीना की मृत्यु हो गई |
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माँ-बाप पर मानो वज्राघात हुआ हो, दोनों सदमे थे | मौत के 3 दिन बाद उस दुखियारी मां ने एक सपना देखा कि जैसे कोई उससे कह रहा हो कि “उसकी मृत पुत्री ऐलेक्जेंड्रीना का पुनर्जन्म उसी की कोख से फिर होगा” | मां को इस स्वप्न पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि ऐलेक्जेंड्रीना के जन्म के समय हुई शल्यक्रिया के परिणाम स्वरुप उसे अब यह कतई उम्मीद नहीं रह गई थी कि वह अब और संतानों को कभी जन्म दे पाएगी |
परंतु भगवान् की बनायी इस दुनिया के खेल निराले हैं | उस स्वप्न के बाद, नौ महीने पूरे होने से पहले ही, 22 नवंबर सन 1910 को उस मां ने दो, जुड़वां बालिकाओं को जन्म दिया | उनमे से एक बालिका की आकृति, उसकी पूर्व मृत पुत्री ऐलेक्जेंड्रीना की आकृति से बिल्कुल मिलती-जुलती थी, इसलिए उसका भी नाम ऐलेक्जेंड्रीना सिमोना ही रखा गया |
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दोनों में कुछ समानताएं तो बहुत महत्वपूर्णऔर चौंका देने वाली थी | एक समानता तो यह की थी दोनों ही शांति प्रिय, स्वच्छता का ध्यान रखने वाली, और अकेले में रहकर स्वयं से ही खेलना पसंद करती थी | स्वभावगत समानताओं के अलावा दोनों में कुछ शारीरिक समानताएं भी थी | दोनों के चेहरे तो मिलते ही थे, दोनों की बाईं आंख में अधिरक्तता का लक्षण भी था और दोनों के दाहिने कानों से स्त्राव हुआ करता था |
दोनों ही लडकियाँ (पूर्वजन्म की मृत ऐलेक्जेंड्रीना और वर्तमान जन्म की जीवित ऐलेक्जेंड्रीना ) बाएं हाथ से ही अपना सारा काम करती थी और दोनों को ही अपने धुले कपड़ों को तह करके संभाल कर रखने में बहुत आनंद मिलता था | इसी तरह से दोनों ही लड़कियों को पनीर से चिढ़ थी तथा उन्हें अपने हाथों को साफ और सुन्दर रखने का बहुत शौक था |
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जब ऐलेक्जेंड्रीना सिमोना द्वितीय, जब 10 वर्ष की हुई तो एक दिन उसे तन्द्रावस्था में इस बात का ज्ञान हुआ कि वह मानरियल (Monreale) नामक स्थान पर कभी गई थी | जबकि जब से वह पैदा हुई थी तब से वह कभी भी वहां नहीं गयी थी | फिर भी उसने अपनी माँ से कहा कि “वह सींग वाली एक महिला के साथ मानरियल गई थी | और वहां उसे लाल कपड़े पहने हुए पुजारी मिले थे” |
दिमाग पर थोड़ा जोर देने पर उसकी मां को याद आया कि पहले वाली ऐलेक्जेंड्रीना की मृत्यु के कुछ महीने पहले वह उसे लेकर मानरियल गई थी | उसके साथ में एक महिला भी थी जिसके माथे पर भद्दे सींग थे | वहां उनकी भेंट यूनानी पुजारियों से हुई, जिन के नीले कपड़ों को लाल रंग की वस्तुओं से अलंकृत किया गया था |
शारीरिक समानता, आदतों की अभिन्नता तथा ऐलेक्जेंड्रीना सिमोना प्रथम के जीवन काल की घटनाओं की स्मृति के कारणों से डॉक्टर कारमेलो सिमोना और उनके मित्रों को भी विश्वास हो गया था कि ऐलेक्जेंड्रना सिमोना प्रथम ने ही, द्वितीय के रूप में पुनः जन्म लिया है |