फ्रांस के एक शहर में उड़नतश्तरी देखी गयी’, ‘अमेरिका में कुछ चश्मदीदों ने एलियंस को देखने का दावा किया’, ‘भारत के इस शहर में आदिकाल से स्थित सरोवर में आज भी रात को एलियंस उतरते हैं’, इस तरह की ख़बरें आपने बहुत पढ़ी होंगी |
कुछ ‘विशेष’ समाचार पत्र इन ख़बरों को प्रमुखता से छापते हैं, और छापें भी क्यों न आखिर जन-सामान्य इन्हें पसंद जो करता है | लेकिन अक्सर ऐसी ख़बरों में जानकारियाँ अधूरी रहती हैं क्योंकि शुरुआत में जो जानकारियाँ मिलती हैं उनमे तथ्य कम और दृष्टिकोण ज्यादे रहते है |
अक्सर ‘विद्वानों’ को जिन तथ्यों पर अधिक भरोसा रहता है वह उन्ही तथ्यों के आधार पर रहस्यों को सुलझाने की कोशिश करते हैं लेकिन ऐसा करने के दौरान दूसरे तथ्यों को सिरे से नकार देना-ये गलत है | विद्वानों की दुनिया छोड़, जब हम-आप अपनी दुनिया में आते हैं तो लगता है कि ‘काश हमें भी कोई उड़नतश्तरी दिखाई देती’, या ‘हमारा भी सामना कभी एलियंस से होता’ |
लेकिन ऐसा वास्तविक दुनिया में कभी हो नहीं पाता क्योकि हमें पता नहीं होता की ‘कब कहाँ क्या होने वाला है ? आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो है तो इसी दुनिया में, लेकिन वहां जाने पर आपको, निश्चित रूप से दूसरी दुनिया के नज़ारे दिखाई देंगे |
जी हाँ हम बात कर रहे एम्-त्रिकोण (M-Triangle) की | इन दिनों शोधकर्ताओं के लिए रूस के पर्म प्रांत का एम-त्रिकोण एक अबूझ पहेली बना हुआ है । मास्को (Moscow) से लगभग 600 मील पूरब की ओर, उरल पर्वतों (Ural Mountains) के पास पर्म (Perm) और स्वेर्द्लोवस्क (Sverdlovsk) क्षेत्र की सीमाओं पर ‘मोल्योब्का’ (Molyobka) नाम का गाँव है |
उस गाँव के विपरीत दिशा में सिल्वा नदी (Sylva River) के किनारे का जो पूरा क्षेत्र है उसे ‘मोल्योब्का-त्रिकोण’ (Molyobka-Triangle) या आम भाषा में एम्-त्रिकोण (M-Triangle) कहते हैं | इस जगह की विचित्रता बहुत कुछ कुख्यात बरमूडा-त्रिकोण से मिलती जुलती है, इस वजह से भी इसे एम्-त्रिकोण कहते हैं |
किसी समय यह क्षेत्र वहाँ के स्थानीय, मानसी लोग (Mansi People) के लिए काफी पवित्र माना जाता था | रूस के सर्वाधिक रहस्यमय क्षेत्रों मे से माना जाने वाला यह क्षेत्र 1980 मे पहली बार प्रकाश मे आया जब यहाँ पर रहस्यमय आवाज़ें सुनाई पड़ने लगीं । यह रहस्यमय घटनाएँ पर्म क्षेत्र के एम-त्रिकोण या पर्म विषम जोन कहे जाने वाले 70 वर्ग मील में होती हैं ।
रूस के इस क्षेत्र मे अजीबोगरीब घटनाएँ अब आम बात हो गई है । दैनिक जीवन में होने वाली सामान्य घटनाओं की तरह यहाँ ‘असामान्य’ घटनाएं होती हैं, जैसे आकाश के बादलों से नीचे धरती पर आती हुई प्रकाश किरण-पुंज (Light Beam), हवा में उड़ती हुई विचित्र तरह की उड़नतश्तरियां, घने जंगलों की गहराइयों से अचानक बाहर आती विचित्र, किन्तु बिलकुल पारदर्शक चीजें, कभी-कभी आकाश में बनने वाले अनोखे चिन्ह व अक्षर तथा दूसरी दुनिया से आने वाली बिलकुल ही अजीब तरह की आवाजें |
इन अचानक उठने वाली रहस्यमय आवाजों को ‘जड़ीकृत ध्वनि’ का नाम दिया गया। उदाहरण के लिए, हम जड़ीकृत ध्वनि से होने वाले प्रभाव की बात कर सकते हैं । यदि आप इस एम-त्रिकोण में जलती हुई लकड़ियों के पास बैठे हों तो आपको लगेगा कि कोई ट्रैक्टर आ रहा है । आप उसके आने का इंतज़ार करते रहेंगे परंतु आस-पास कोई ट्रैक्टर नहीं होगा और धीरे धीरे वह आवाज कम होते-होते गायब हो जायेगी ।
शोधकर्ताओं का तो यह भी कहना है कि उन्होने ट्रेफिक कि ध्वनि और ऐसी गाड़ियों कि आवाज रिकॉर्ड करी जो तेज रफ्तार से, बिलकुल बगल से निकलती प्रतीत हुई परंतु हैरानी की बात ये थी कि सबसे नजदीक की सड़क वहाँ से 40 किमी दूर थी…तो फिर गाड़ियों कि आवाज़ें कहाँ से आई?
उन्हें वहाँ पर कई बार बिना वाद्य यन्त्र के ऑर्केस्ट्रा की आवाजें सुनाई दी और आकाश मे विचित्र चिन्ह एवं आकार बनते दिखाई दिये । कुछ महीनों तक शोध करने पर ऐसा पाया गया है कि इस अकेली वीरान जगह पर कुछ दिन गुजार कर मंदबुद्धि व्यक्ति भी चपल एवं चतुर बन जाते हैं ।
इस जगह पे आने वाले हर एक व्यक्ति को कुछ अज्ञात और चमत्कारिक शक्तियों की उपस्थिति का एहसास होता है, मानो वह इस दुनिया से अलग कोई अलग ही दुनिया हो । एक अनूठे उदाहरण के अनुसार, एक बिलकुल बेरोजगार और सेना से ठुकराया हुआ व्यक्ति यहाँ दो हफ्ते व्यतीत करने के बाद बतौर अन्तरिक्ष यात्री की उच्च क्षमता वाली नौकरी के लिए चुन लिया गया ।
एक और विचित्र बात इस इलाके में मोबाइल फोन के इस्तेमाल से जुड़ी हुई है । इस इलाके मे विभिन्न कंपनियों के नेटवर्क होने के बावजूद फोन काम नहीं करते परंतु एक मिट्टी का टीला है जिसे कॉल बॉक्स कहते है, जिस पर चढ़ कर कॉल संभव हो जाती है । ऐसा पाया गया कि उस छोटे से टीले पर चढ़ते ही आप दुनिया के किसी भी हिस्से में कॉल कर सकते हैं और उस मिट्टी के ढेर से उतरते ही कॉल कट जाती है ।
इस स्थान पर उड़न तश्तरी जैसे विचित्र उड़न खटोलों का दिखना एक आम बात है । इस क्षेत्र में सिल्वा नदी के किनारे वाले इलाके में अचानक हवा में आग की लपटें उठती हैं । इसका कारण वैसे तो इस क्षेत्र की धरती के नीचे तेल के भंडार का होना माना जाता है और तेल के ऊपर आने से आग की लपटें उठ सकती हैं ।
वैज्ञानिक दृष्टि से इस कारण को मान भी लिया जाये तो भी जब तक यह साबित नहीं होता, यह एक रहस्यमय एवं असामान्य घटना ही कही जाएगी । एक रशियन लेखक, अलेक्सेंडर म्यागचेंकोव (Alexander Myagchenkov) जिन्होंने “UFO-Unannounced Visit” नाम की एक पुस्तक भी लिखी है, कहते हैं कि “यद्यपि इस इलाके में जो घटनाएं घट रही हैं उन पर विश्वास करना कठिन है लेकिन फिर भी इन घटनाओं की तुलना, दुनिया के किसी भी अन्य भाग में घटने वाली विचित्र घटनाओं से नहीं की जा सकती, वो उन सबसे अलग हैं” |
अलेक्सेंडर तो ये भी दावा करते हैं कि जो लोग यहाँ घूमने आते हैं वो भी कभी-कभी अपने अन्दर (यहाँ वास करने के दौरान) अद्भुत, अतिमानवीय क्षमताएँ अनुभव करते हैं | एक दूसरे रशियन लेखक, एमिल बचुरिन (Emil Bachurin), ने भी अपनी टीम के साथ यहाँ का दौरा किया था |
अपने अनुभवों को उन्होंने, इसी विषय पर लिखी गयी अपनी एक पुस्तक में समेटा | इस पुस्तक में उन्होंने बताया है कि यहाँ होने के दौरान आपको बिलकुल ही अजीब, विचित्र अनुभव हो सकते हैं | कभी वो शानदार हो सकते हैं तो कभी-कभी थर्रा देने वाले भी हो सकते हैं |
अपनी टीम के अनुभवों को साझा करते हुए वो इसमें लिखते हैं कि “एकदम शुरुआत में ही उन लोगों की मुठभेड़ एक विचित्र ‘शक्ति-स्रोत’ से हुई…वो क्या चीज थी, ठीक से समझ नहीं पाए वे लोग लेकिन वो एक प्रकार का शक्ति-स्रोत ही थी, दिखने में बिलकुल पारदर्शी उस शक्ति पुंज ने वहाँ के घने जंगलों एवं ऊँची झाड़ियों से होते हुए उनका पीछा किया |
उस शक्ति पुंज से एक विशिष्ट प्रकार की ऊष्मा निकल रही थी…जिसके अनुभव को शब्दों में लिखना मुश्किल है” | उस मुठभेड़ और उस शक्ति पुंज द्वारा पीछा किये जाने के फलस्वरूप उनकी टीम के कई सदस्य गंभीर रूप से झुलस गए |
इस स्थान पर अक्सर ही विचित्र आवाज़ें सुनाई पड़ती हैं जिनके स्रोत का कभी पता नहीं लगाया जा सका । ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनमे पर्म ज़ोन में आने वाले गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति बिना किसी इलाज के ही ठीक हो गए।
अगर आप अपने जीवन में रहस्य और रोमांच को पसंद करते हैं तो आपको एक बार वहाँ ज़रूर जाना चाहिए, हो सकता है आपके अनुभव बाकी दुनिया के अनुभवों से बिलकुल अलग हों, लेकिन वो जो भी होंगे “कभी न भूलने वाले अनुभव” होंगे | हो सकता है कि वहाँ जाने के बाद आप, बरमूडा-त्रिकोण की तरह, इस दुनिया में कभी वापस ही न आ पाए, क्योंकि वहां के अनसुलझे रहस्यों पर अभी शोधकार्य तो चल ही रहे हैं |
खतरे बहुत हैं इस दुनिया में…लेकिन खतरों का क्या, कभी भी आ सकते हैं…वो भी बिना किसी पूर्व सूचना के ! अब इन दिल की धड़कनों को ही ले लीजिये, ज़िन्दगी में कब, कहाँ, किस मोड़ पर साथ छोड़ देंगी आप को पता है क्या ?
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