प्राणायाम का रहस्य

अगर यह कहा जाये कि श्वास लेना भी एक कला है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुनियों ने वनों और पर्वतों में रहकर श्वास लेने की कला को, ब्रह्माण्डीय शक्तियों से न केवल सीखा बल्कि इस कला का उत्तरोत्तर विकास किया ।

“योग विज्ञान की रीति से श्वास लेने की क्रिया ही प्राणायाम है़”

पुराणों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि जिसने भी इस प्राणायाम के रहस्य को जान लिया उसने इस धरती पर न केवल स्वस्थ्य एवं दीर्घ जीवन-काल व्यतीत किया, बल्कि प्रचण्ड यौगिक शक्तियों को भी प्राप्त किया। अगर हम अपनी भारतीय संस्कृति के इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो पाएंगे कि प्राचीन काल में ही हमारे ऋषि-मुनियों, तपस्वियों ने छोटे-बड़े जीवों के श्वास लेने के तरीकों को देखा।

कुछ विशिष्ट जीव श्वास लेने की कला में पारंगत थे। हमारे प्राचीन योग गुरूओं ने जाना कि श्वास लेने की सही रीति जानने के कारण कुछ प्राणियों को जीवन काफी लम्बा होता है। जबकि कुछ जीवों द्वारा दोष पूर्ण तरीके से श्वास लेने के कारण उनकी आयु अल्प होती है़। दरअसल हमारे ऋषियों ने इस विषय पर लंबा शोध कार्य किया, कि वे कौन से कारण है जिसके कारण कछुए आदि जैसे जीवों का जीवन दीर्घायु हो जाता हैं और जब कि खरगोश चूहे आदि जीवों का जीवन अपेक्षाकृत काम होता हैं।

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विभिन्न परीक्षणों के बाद हमारे प्राचीन काल के विद्वान इस निष्कर्ष पर आये कि छोटा सा जीव कछुआ श्वास लेने की बड़ी कला से परिचित है। इसी तरह जल में रहने वाली व्हेल मछली भी प्राणायाम के रहस्य को जानती है़। इसीलिए उसका जीवन लंबा होता है़। पीपल, बरगद आदि जैसे पेड़ों के लंबे समय के जीवन काल पाने का यही एक मात्र राज है।

सबसे पहले हम जानेंगे की यह प्राणायाम क्या है़?

” सरल शब्दों में कहा जाये तो अपनी श्वास को ऋषि-मुनियों अथवा योग गुरुओं के द्वारा बताए गए निर्देशानुसार लेने और छोड़ने कला को ही प्राणायाम कहते हैं।”

एक तर्क के अनुसार इस धरती पर किसी भी जीव को निश्चित साँसे लेकर उसे जीवन व्यतीत करने भेजा गया है यदि उसने उन श्वांसों को शास्त्र वर्णित गति के अनुसार लिया और छोड़ा तो सच जानिए उसने लंबा जीवन जीने का रहस्य जान लिया विद्वानों के अनुसार, “प्राणायाम हमारे आंतरिक और बाह्य स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण अंग है यह वह चिकित्सक है जो हमारे तंत्रों को स्वस्थ बनाए रखता है।”

प्राणायाम में छिपा है लंबी आयु का रहस्य

वैज्ञानिक की दृष्टि से समझे तो हमारे शरीर में कार्य करने वाले निम्नलिखित पांच तंत्र है अस्थि-तंत्र, तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र, ग्रंथि तंत्र और रक्त से सम्बंधित, रक्त परिसंचरण तंत्र। प्राणायाम इन सभी तंत्रों पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालता हैं। कुल मिलाकर कहना चाहिए की प्राणायाम में लंबी आयु का रहस्य छिपा है।

जानिए 7 प्राणायामों का रहस्य

हमारे योग गुरुओं ने प्राणायाम के अंतर्गत अनेक को योगाभ्यास करने के परामर्श दिए हैं। लेकिन आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में यदि हम नीचे दिए गए 7 प्राणायामों को अपने जीवन में अपना लेते हैं तो ऐसा मानकर चलिए कि हमने स्वस्थ और दीर्घ जीवन का रहस्य पा लिया। इन प्राणायामों को एक प्रशिक्षित योग गुरू के निर्देश में ही सीखना चाहिए।

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  • अनुलोम-विलोम प्राणायाम का रहस्य

सर्वप्रथम हम जिस योग की चर्चा करने जा रहे हैं वह योग तनाव मुक्त जीवन जीने की राह बताता है। इस चमत्कारिक प्राणायाम का नाम है अनुलोम विलोम। जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कि इस योग में जो क्रिया की जाती है उसके तुरंत बाद उसकी विपरीत क्रिया करनी होती है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम में योगी सर्वप्रथम अपनी नाक के बाएं वाले छिद्र से श्वास लेता है और दाएं छिद्र से छोड़ता है।

उसके बाद वह दाएं छिद्र से सांस लेता है और बाएं छिद्र से छोड़ता है। यह क्रिया आरंभ में 5 मिनट से बढ़ाते हुए 10 मिनट तक की जा सकती है । विश्वास कीजिए जिसने भी इस योग को अपना लिया। उसने कोरोना जैसे वायरसों से लड़ने के लिए अपने आप को वज्र बना लिया। अनुलोम विलोम करने से जहां चिंता और तनाव दूर होते हैं वहीँ ये प्राणायाम हाई ब्लड प्रेशर, टीबी, लंग्स प्रॉब्लम आदि अनेक रोगों से आप को दूर रखता है

  • उज्जायी प्राणायाम का रहस्य

यह वह प्राणायाम है जो योगी को निरोगी ही नहीं रखता बल्कि योग करने वाले के गले को सुरीला बनाता है। थायराइड जैसी तमाम बीमारियों में रामबाण माने जाने वाले इस प्राणायाम का नाम उज्जायी है। उज्जायी प्राणायाम में सर्वप्रथम नाक के दोनों छिद्रों से श्वास ली जाती है लेकिन श्वास छोड़ते समय केवल एक ही छिद्र का उपयोग किया जाता है। इस प्राणायाम मैं योग करने के दौरान आवाज उत्पन्न करनी होती है। यह प्राणायाम सर्दी- खांसी बुखार और कफ-बलगम आदिके उपचार में अपना चमत्कारिक प्रभाव डालता है।

  • शीतकारी प्राणायाम का रहस्य

आपको जानकर संभवतः अविश्वसनीय लगेगा, लेकिन यहां शत प्रतिशत सत्य है कि प्राचीन काल में ग्रीष्म ऋतु में वनों-जंगलों और गुफाओं में रहने वाले ऋषि मुनि मौसम की भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए एक ऐसे प्राणायाम का उपयोग करते थे जो उन्हें तन-मन में शीतलता प्रदान करता था ।

इस प्राणायाम का नाम है शीतकारी प्राणायाम, इस प्राणायाम में योगी श्वास को अपने दांतो के बीच से लेता है और उसके बाद इस श्वास को धीरे-धीरे नासिका से छोड़ता है। यह क्रिया योगी कई बार करता है। शीतकारी प्राणायाम गर्मी में शीतलता प्रदान करने का अद्भुत योग है। इसके अलावा यह शीतकारी प्राणायाम गले के तमाम रोगों से मुक्ति दिलाता है।

  • सूर्यभेदी प्राणायाम का रहस्य

योगी को सदा निरोगी एवं युवा बनाये रखने के लिए सूर्यभेदन या सूर्यभेदी प्राणायाम बहुत अधिक उपयोगी है। इस प्राणायाम में पहले अपनी नाक के दायीं छिद्र से श्वांस भरी जाती है और फिर बाएं छिद्र से निकाली जाती है। यह प्राणायाम जहाँ योगी को वृध्दावस्था से दूर रखता है वही मनुष्य को अकाल मृत्यु से बचाता है। गठिया, सिर दर्द एवं पेट की कृमि आदि को नष्ट करने के लिए यह योग आश्चर्यजनक प्रभाव डालता है।

  • शीतली प्राणायाम का रहस्य

यह प्राणायाम भी तन-मन को शीतलता प्रदान करने वाला है़। इस प्राणायाम का नाम है शीतली प्राणायाम। भीषण गर्मी में भी अद्भुत शीतलता उत्पन्न करता है इस शीतली प्राणायाम का अभ्यास। यदि आप गर्मियों में कुत्ते को देखें तो पाएंगे कि वह गर्मी से बचने के लिए अपनी जीभ को बाहर निकालकर सांस लेता है।

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क्या आप जानते हैं इस क्रिया के द्वारा वह अपने शरीर में शीतलता का संचार करता है। शीतली प्राणायाम जहाँ शरीर को ठंडक पहुँचाता है़। वहीं मस्तिष्क को शांति पहुँचाता है। इस प्राणायाम में योगी अपनी जिह्वा को वृत्ताकार बनाकर श्वास लेने के बाद अपना मुंह बंद करके धीरे-धीरे अब अपनी नासिका से श्वास को छोड़ता है।

  • भ्रामरी प्राणायाम का रहस्य

प्राणायाम हमें समाधि की ओर ले जाता है। यह वह अद्भुत योग है जो योगी को समाधि की ओर ले जाता है। इस प्राणायाम का नाम है भ्रामरी, जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इसी प्राणायाम के अंतर्गत मधुमक्खी के समान ध्वनि उत्पन्न की जाती है।

सर्वप्रथम अपनी आंखों को हथेली से बंद करते हुए हांथों के अंगूठे से दोनों कानों को बंद किया जाता है और उसके बाद मधुमक्खी समान भन-भन की ध्वनि निकाली जाती है। यह प्राणायाम जहां मन- मस्तिष्क को शांत रखता है वहीं योगी को समाधि की अवस्था तक ले जाने में सहायक होता है।

  • भस्त्रिका प्राणायाम का रहस्य

इस प्राणायाम का नाम है भस्त्रिका, जो योगी के जीवन में शक्ति बढ़ाने का अदभुत मार्ग है़। इस प्राणायाम के द्वारा योगी अपने फेफड़ों को बलवान बनाता है। इस प्राणायाम में तेज गति से श्वास ली जाती है और सीने पर दबाव डालते हुए तीव्र गति से श्वास छोड़ी जाती है। इस प्राणायाम को साधारण, मध्यम और तीव्र तीनों गतियों से किया जा सकता है। भस्त्रिका प्राणायाम कफ और कोल्ड की तमाम परेशानियों से भी मुक्ति दिलाता है।

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