कहते हैं कि भूत प्रेत से ज्यादे खतरनाक भूत प्रेत का डर होता है और इन भूत प्रेतों से सामना हो जाने पर, इनसे ज्यादा इनका डर परेशान करता है | जहाँ तक नास्तिकों की बात है तो नास्तिक लोग भगवान् और भूत आदि बातों पर विश्वास नहीं करते हैं और कहते हैं कि आज के साइंस के जमाने में भूत या भगवान् जैसी किसी सुपरनैचुरल चीज के अस्तित्व के बारे में बात करना ही बेवकूफी है |
नास्तिक लोगों का सारा कॉन्फिडेंस आज के मॉडर्न साइंस के आधार पर होता है पर उनको ये पता ही नहीं की ये मॉडर्न साइंस अपनी किसी थ्योरी पर लम्बा टिकता ही नहीं क्योंकि इस में सबसे मुख्य तत्व “चेतना” का अभाव है | कहने का तातपर्य यह है कि विज्ञान अभी अपनी शैशवावस्था में है | अभी यह जड़ पदार्थों में ही उलझा हुआ है | चेतन जगत में इसने अभी प्रवेश ही नहीं किया है |
चेतना कितनी रहस्यमय चीज है की इसको सिर्फ परिभाषा या सन्दर्भों से नहीं समझा जा सकता है | वैसे तो चेतन तत्व से सम्बंधित जानकारियों के बारे में हमारे दुर्लभ ग्रन्थ भरे पड़े हैं| परन्तु यहाँ हम बात कर रहे हैं कि भूत प्रेत होते हैं की नहीं और अगर होते हैं तो क्या किसी को नुकसान पहुंचा सकते हैं?
तो इसका जवाब हमारे ग्रंथों में हैं दिया है की भूत प्रेत जरूर होते हैं ! वास्तव में भगवान् द्वारा बनायीं गयी 84 लाख योनियों में से एक है प्रेत योनि जिसमें ऐसे मनुष्य जो जीवन भर सांसारिक वासनाओं और आसक्तियों में पड़े रहते हैं, जिन्हें अपने सुख भोग के अतिरिक्त और कुछ नहीं सूझता वे जन्म लेते है |
ऐसे मनुष्य जो जीवन भर भोग वासनाओं के पीछे ही भागें हैं, जिनके जीवन का सांसारिक भोग भोगने के अलावा और कोई उद्देश्य ही नहीं, वो जीवन छूटने पर बहुत पछताते हैं और मृत्यु के बाद वही सांसारिक वासनायें, सुख भोगने की इच्छाएं, और आसक्तियां अक्सर उन्हें प्रेत योनि में जन्म लेने को विवश करती हैं |
प्रेत योनि में जन्म लेने वाली जीवात्मा तरह तरह के कष्ट लगातार भोगती रहती है जब तक कि उसके अधिकांश पापों का प्रायश्चित ना हो जाय | प्रायश्चित होने पर वो बन्धन और आसक्तियां भी टूटने लगती हैं जो उस जीवात्मा को प्रेत योनि में बांधे रखने को विवश करती है |
नास्तिक लोग जो एयर कंडीशन्ड रूम में बैठकर भूत प्रेत, भगवान आदि चीजों को हाईपोथेटीकल क्रैप (काल्पनिक बकवास) बताकर बुद्धजीवी बनते हैं, उन्हें अगर एक रात एकदम अकेले श्मशान में बिताना हो तो उनकी सारी बुद्धि जीवता और बहादुरी एक सेकेंड में दुम दबाकर भाग जाती है |
भगवान् न करे कभी उनका सामना किसी वास्तविक प्रेत से हो जाए लेकिन किसी कारण वश यदि ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा हालत ख़राब ऐसे ही लोगों की होती भी है |
वास्तव में एक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस दुनिया में कई जीवित लोग प्रेतों के समान जीवन जीते हैं | लालच और भोग की इच्छाएं जब किसी के जीवन को पूरी तरह अपने गिरफ्त में ले लेती हैं तो तो वह व्यक्ति या तो पशुवत जीवन जीता है या जीते जी मृतक के समान हो जाता है |
वह भौतिक जगत में गतिमान अन्य प्राणियों के समान जीवित तो होता है किन्तु उसकी मनुष्यता मर चुकी होती है | इससे हम समझ सकते हैं कि लालच और वासनाओं का अंधापन ही हमें जीवन (यानी प्रकाश) से मृत्यु (यानी अन्धकार) की ओर ले जाता है |
पर एक असली आस्तिक आदमी (बनावटी, ढोंगी या आडम्बरी आस्तिक नहीं) को हर समय अपने साथ ईश्वर का अनुभव होता रहता है और उसे सुख दुःख हर अवस्था में ईश्वर की कृपा का ही अनुभव होता है तो ऐसे व्यक्ति को कभी भी भूत प्रेत आदि से डर नहीं लगता और ना ही उसे कोई भूत प्रेत परेशान भी कर सकते हैं क्योंकि ऐसे आस्तिक लोगों का मानना हैं की उन्हें जो भी तकलीफ मिली है या मिलेगी, वो सिर्फ और सिर्फ सब उन्ही के पूर्व के बुरे कर्मों का परिणाम है जो ईश्वरीय प्रेरणा या इच्छा से उनके सामने इन तकलीफों के स्वरुप में प्रकट हुई है | और ईश्वर की इच्छा या प्रेरणा को बदलने की ताकत किसी और में नहीं सिर्फ और सिर्फ ईश्वर में हैं |
इसलिए बड़ी से बड़ी विपत्ति पड़ने पर भी इनके चेहरे की मुस्कान बिना कम हुए यही कहती है,- जैसी प्रभु की इच्छा | इसलिए हमें सदैव लालच और अन्य बुरे कार्यों से दूर रहते हुए, दूसरों की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए |
याद रखिये, लालच और वासनाओं से दूर रहते हुए, निर्दोषों और निसहायों की सहायता करना ही वो कार्य हैं जो चित्त में प्रसन्नता उत्पन्न करते हैं, शाश्वत प्रसन्नता (Eternal Happiness) | और ये प्रसन्नता ही उस शक्ति के मूल में है जो भूत प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों के प्रति हमारे मन में भय नहीं उत्पन्न होने देती |
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