क्या परम पिता परमात्मा नित्य अवतार लेते हैं
काल बड़ा ही निर्दयी है | जैसे जैसे समय आगे बढ़ता है, वैसे वैसे ही पल-प्रहर, दिन-रात, माह-वर्ष, युग-कल्प आदि बदलते रहते हैं। इन सब के बदलने के बाद भी ईश्वर वही रहता है। जो कृतयुग, त्रेता और द्वापर में …
काल बड़ा ही निर्दयी है | जैसे जैसे समय आगे बढ़ता है, वैसे वैसे ही पल-प्रहर, दिन-रात, माह-वर्ष, युग-कल्प आदि बदलते रहते हैं। इन सब के बदलने के बाद भी ईश्वर वही रहता है। जो कृतयुग, त्रेता और द्वापर में …
भगवान समस्त जगत के समस्त प्राणियों के नियामक हैं । उनकी लीला एवं उनके संकल्पों का रहस्य, माया में पड़ा हुआ जीव किसी भी साधन से नहीं जान सकता। भगवत्कृपा से ही जीव उनके संबंध में थोड़ा बहुत जान पाता …
ब्रह्म एक ही है | एकोहम द्वितीयो नास्ति। उस एक ही सत् (ब्रह्म), को ज्ञानी जन इन्द्र, मित्र, वरूण, अग्नि, दिव्य सुपर्ण गुरूत्मान, यम और मातारिश्वा के नाम से भी पुकारते हैं। भारतीय शास्त्रों के अनुसार नाम दो प्रकार का …
भारत के दस सबसे डरावनी जगहों की बात जब भी चलेगी, गुजरात के दमस बीच का नाम उनमे ज़रूर आएगा | गुजरात के औद्योगिक शहर सूरत के समुद्री तट पर स्थित दमस बीच जिसे अंग्रेजी में लोग Dumas (डुमस) बीच …
राजा विक्रमादित्य ने, तनिक भी विचलित न होते हुए, वापस पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए उसी तान्त्रिक के पास, जिसने उन्हें लाने का काम सौंपा था | थोड़ी देर बाद …
भगवान ने केवल मनुष्य रूप में ही जन्म नहीं लिया है बल्कि विभिन्न योनियों में वे प्रकट हुए हैं | लेकिन भगवान जन्म क्यों लेते हैं? इसके उत्तर में स्वयं प्रभु ही सहज उत्तर दते हैं ‘अनुग्रहाय भूतानाम्’ कितना औदार्य …
अपनी जिद पर अड़े राजा विक्रमादित्य का मन बहलाव करने के लिए बेताल ने उन्हें मार्ग में एक कथा सुनाई | मध्य क्षेत्र के गौड़ देश में वर्धमान नाम का एक नगर था, जिसमें गुणशेखर नाम का राजा राज करता …
विक्रमादित्य द्वारा पिछली कथा के प्रश्न का उत्तर देने के बाद बेताल उनके कंधे से फिर उठ गया | बेताल के फिर से उड़कर वृक्ष पर जा लटकने के बाद भी विक्रमादित्य ने अपना धैर्य नहीं खोया और धीरज बनाये …
बेताल के फिर से उड़कर वृक्ष पर जा लटकने के बाद भी विक्रमादित्य ने अपना आपा नहीं खोया और धैर्य बनाये रखा | विक्रम फिर से गए, बेताल को वृक्ष से उतारा, अपने कंधे पर लादा और चल दिए तांत्रिक …
अपनी धुन के पक्के राजा विक्रमादित्य ने, वापस उसी पेड़ पर लौटने वाले बेताल को फिर से अपनी पीठ पर लादा और चल दिए उस तान्त्रिक के पास | थोड़ी देर बाद बेताल ने अपना मौन तोड़ा और कहा “तुम …