यह भूतिया कहानी है़ राजस्थान के भरतपुर मे स्थित एक कारखाने की, जहाँ एक भूत ने कर्मचारी बनकर एक महीने ड्यूटी की। लेकिन जब बाद में कारखाने के मालिक को इस अदभुत घटना के बारे में पता चला तो कारखाने का मालिक भौक्क्का रह गये। अब मन में यह सवाल उठता है़ कि यह भूत कौन था? उस भूत ने इम्प्लाई बनकर काम करने के लिए भरतपुर की इसी फैक्ट्री को क्यों चुना?
उस भूत का इस फैक्ट्री से क्या संबंध था? क्या इस फैक्ट्री पर पहले से ही भूत का साया था? लोग बताते हैं कि फैक्ट्री के मालिक ने उस भूत का वेतन भी दे दिया। इस कहानी में जानेंगे वह किस तरह? इस कारखाने की अविश्वसनीय भूत की कहानी जिस किसी ने भी सुनी, उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ।
लोग-बाग फैक्ट्री की भूतिया कहानी को सुनकर एक बार इस फैक्ट्री को देखने अवश्य आये। उन्होंने वहाँ काम कर रहे अन्य वर्करों से पूछा। कि उस भूत ने जब तक इस फैक्ट्री में काम किया तो काम करने के दौरान उसका अन्य कर्मचारियों के साथ कैसा व्यवहार था। उस भूत ने किसी को आघात तो नहीं पहुँचाया।
यह वह समय था जब कोरोना वायरस का संक्रमण चरम सीमा पर था। हर व्यक्ति इस संक्रमण से बचने का प्रयास कर रहा था। लेकिन कोरोना वायरस किसी न किसी को अपनी चपेट में ले लेता था। राजस्थान के भरतपुर की एक फैक्ट्री में विशाल जायसवाल (गोपनीयता की वजह से नाम बदल दिया गया है) नाम के व्यक्ति काम करते थे। वह अपनी ड्यूटी के प्रति बहुत समर्पित व्यक्ति थे।
फैक्ट्री के कर्मचारी विशाल जायसवाल का व्यवहार फैक्ट्री के मालिक को ही नहीं बल्कि फैक्ट्री में काम करने वाले हर कर्मचारी को पसंद आता था। लॉक डाउन घोषित हुआ तो फैक्ट्रियाँ बंद हो गयीं। सारा काम-काज ठप हो गया। दो- तीन महीने तो फैक्ट्रियों ने अपने कर्मचारियों को घर बैठे वेतन दिया। लेकिन बिना काम के फैक्ट्री में ऐसा कितने दिन चल पाता।
इसलिए अब फैक्ट्रियों ने अपने कर्मचारियों को वेतन देना भी बंद कर दिया। विशाल जायसवाल जो भरतपुर में एक फैक्ट्री के कर्मचारी थे, लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्री द्वारा वेतन न दिए जाने के कारण वह मायूस रहने लगे। वे प्रभु से प्रार्थना करते थे कि जल्द से जल्द लॉक डाउन समाप्त हो और ताकि वे वापस ड्यूटी पर जा सकें।
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लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा था। लॉक डाउन बढ़ता जा रहा था। इस बीच एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। फैक्ट्री में काम करने वाले विशाल जायसवाल कोरोना संक्रमण से पीड़ित हो गये और बहुत कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
विशाल जायसवाल की फैक्ट्री में यह बात पहुँचा दी गयी कि उनके यहाँ काम करने वाले कर्मचारी विशाल जायसवाल की मौत हो चुकी है़। विशाल जायसवाल के परिवार में उनकी पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। अब विशाल जायसवाल की मौत के बाद उनके घर का खर्चा चलना मुश्किल था।
लॉक डाउन समाप्त हुआ। फैक्ट्रियों को फिर से चलाने का आदेश हो गया। राजस्थान के भरतपुर की वह फैक्ट्री भी स्टार्ट हो गई, जिसमें विशाल जायसवाल काम करते थे। एक दिन फैक्ट्री के मालिक क्या देखते हैं कि ऑफिस में उनके सामने विशाल जायसवाल खड़े हैं। फैक्ट्री के मालिक ने जब विशाल जायसवाल को देखा तो वह चौंक उठे।
उन्होंने विशाल जायसवाल से कहा कि तुम्हारी तो मौत की खबर हमारे पास आई थी। फैक्ट्री के मालिक के इस प्रश्न पर विशाल जायसवाल मुस्कुरा कर बोले आपसे किसी ने मजाक किया होगा। विशाल जायसवाल ने फिर कहा की फैक्ट्री खुल गई है। मैं काम पर आ गया हूँ। इस बात पर फैक्ट्री मालिक बोले कि तुम जैसे मेहनती कर्मचारी मिलते कहाँ हैं! इसलिए हमारी फैक्ट्री के दरवाजे तुम्हारे लिए सदा ही खुले हैं।
तुम आज से ही ड्यूटी पर लग जाओ। विशाल जायसवाल फैक्ट्री में काम करने लगे। लेकिन साथ काम करने वाले कर्मचारियों ने अनुभव किया कि विशाल जायसवाल का व्यवहार बदल गया है। वह मशीन पर काम करते-करते अचानक गायब हो जाते थे। सबको बड़ा आश्चर्य लगता था कि अभी-अभी तो विशाल जायसवाल अपनी सीट पर काम कर रहे थे ।अचानक कहाँ चले गए? पूछने पर विशाल जायसवाल जवाब देते कि थोड़ा चहल-कदमी करने बाहर चला गया था ।
लेकिन उनके सहकर्मियों को ऐसा लगता था कि विशाल जायसवाल झूठ बोल रहें है। क्योंकि उन्हें चलने की आहट सुनाई ही नहीं देती थी। अब विशाल जायसवाल ओवर टाइम के साथ रात-दिन काम करते थे। एक बार विशाल जायसवाल से फैक्ट्री मालिक ने पूछा कि जब तुम दिन-रात फैक्ट्री में काम करते हो, तो ऐसे में सोते कब होगे।
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फैक्ट्री मालिक के इस प्रश्न पर विशाल जायसवाल हंस कर कहते कि “हमारे मुकद्दर में सोना कहाँ है मालिक!” वे समझ नहीं पाते थे कि विशाल जायसवाल क्या कहना चाहते हैं! उस रात फैक्ट्री के लगभग सारे इम्प्लाइ घर जा चुके थे। विशाल जायसवाल ओवरटाइम कर रहे थे कि फैक्ट्री का चौकीदार किसी काम से अंदर आया। उसने देखा विशाल जायसवाल जिस सीट पर बैठते हैं वहाँ एक जीर्ण-शीर्ण अवस्था में कोई अजनबी सा आदमी बैठा नजर आ रहा था।
यह देखकर फैक्ट्री का चौकीदार बहुत तेजी से चिल्लाता हुआ बाहर की तरफ भागा और फैक्ट्री के मालिक को अंदर लेकर आया। फैक्ट्री के मालिक जब उस चौकीदार के साथ अंदर आए तो उन्होंने देखा कि विशाल जायसवाल अपनी सीट पर बैठे काम कर रहे हैं।
यह देखकर फैक्ट्री के मालिक ने चौकीदार को बहुत डाँटा और उन्होंने उससे कहा कि कैसी ऊल जलूल बातें करने लगे हो! क्या नशा करने लगे हो? कहां है वह अजनबी। इस पर तो विशाल जायसवाल काम कर रहे हैं। अब चौकीदार ने सोचा शायद उसकी आंखो का भ्रम होगा।
फैक्ट्री में एक महीना काम करने के बाद विशाल जायसवाल ने फैक्ट्री आना बंद कर दिया। वह अपनी सैलरी भी नहीं ले गये थे। फैक्ट्री के मालिक उनसे मोबाइल से संपर्क करने की कोशिश करने लगे। लेकिन विशाल जायसवाल द्वारा दिए गए नंबर पर कोई भी फोन उठता ही नहीं था। तब फैक्ट्री के मालिक ने सोचा कि विशाल जायसवाल बीमार होंगे। इसीलिए फैक्ट्री नहीं आ रहे हैं। इसलिए उन्होनें सोचा कि घर जाकर उनका हाल-चाल भी पूछ लूं और उनका 1 महीने का वेतन भी दे आऊँ।
फैक्ट्री के मालिक जब विशाल जायसवाल के घर पहुँचे तो उनके घर जाकर उन्हें जो कुछ पता लगा, उसे जानने के बाद में वे पसीने-पसीने हो गये। विशाल जायसवाल के घर जाकर पता चला कि उनकी 3 महीने पहले ही मौत हो चुकी है। फैक्ट्री के मालिक को तो विशाल जायसवाल की पत्नी की बातों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ।
फैक्ट्री के मालिक ने विशाल जायसवाल की पत्नी को जब बताया कि उनके पति पिछले 1 महीने से फैक्ट्री में काम कर रहे थे। तो वहआश्चर्य में पड़ गई। वह सोंच रहे थे कि आखिर वह कौन था जो विशाल जायसवाल के रूप में उनकी फैक्ट्री में काम कर रहा था? जब उन्होंने मन में सोचा कि हो न हो, विशाल जायसवाल का भूत होगा। यह सोंचकर वो अंदर तक हिल गये।
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फिर उन्होंने अपने आप को संभाला। फैक्ट्री मालिक ने विशाल जायसवाल की पत्नी से कहा कि बात कुछ भी हो लेकिन विशाल जायसवाल ने ड्यूटी टाइम ही नहीं बल्कि ओवर टाइम भी काम किया है। इसलिए उनका वेतन आप ले लीजिए। फैक्ट्री मालिक ने विशाल जायसवाल का वेतन ओवर टाइम मिला कर कुल पचास हजार रुपए उनकी पत्नी के हाथ में रख दिए।
विशाल जायसवाल की पत्नी की आंखों से आंसू बह निकले। वह यह सोच रही थी कि एक दिन मैं बच्चों से बातें कर रही थी कि काश! हमारे पास चालीस-पचास हजार रुपए होते तो घर में ही छोटी-मोटी दुकान खोल लेते। उस दिन उनके पति विशाल जायसवाल की आत्मा यह बात सुन रही थी। इसलिए 50,000 रुपए की व्यवस्था करने के लिए उनके पति ने मौत के बाद भी फैक्ट्री में काम किया। ताकि उनके परिवार को सहारा मिल सके।