रात के लगभग 10 बजे का समय था। उस समय मैं और मेरा मित्र अपनी कार से गुड़गांव के एम जी रोड से होते हुये गाजियाबाद जा रहे थे। काली अंधेरी रात थी। हमारी गाड़ी अत्यंत सूनसान इलाके से गुजर रही थी। हम जिस जगह से आ रहे थे वहाँ से यहाँ इस जगह पहुँचने में लगभग चार घंटे का समय लग गया था।
हमें मंजिल पर पहुँचने के लिए अभी दो घंटे का सफर तय करना बाकी था। चलते-चलते हमें भूख लग आयी थी। हम दोनों मित्रों के मन में बस एक ही चाह थी कि कहीं रास्ते में कोई ढाबा दिख जाये। ताकि खाना खा लिया जाये और कार के रेडिएटर में थोड़ा पानी भी डाल दें। क्योंकि गाड़ी का इंजन गर्म हो चला था।
तभी हमारी नजर सड़क के किनारे दूर जल रही लाइट पर पड़ी। हमने सोंचा कि हो न हो, कोई छोटा-मोटा ढाबा ही है़। जिसकी लाइट हमें नजर आ रही है़। जैसे-जैसे हम उस रौशनी के करीब पहुँचते जा रहे थे वैसे-वैसे वह ढाबा हमें साफ साफ नजर आने लगा था।
हमने देखा कि उस ढाबे पर कोई बूढ़ी महिला सफेद रंग की साड़ी पहने रोटियां बेल रही थी। ढाबे पर गरम-गरम रोटियां सिंकती हुए देखकर हमारी भूख और बढ़ गई थी। सड़क से हमने अपनी कार उस ढाबे की तरफ मोड़ दी। लेकिन जैसे ही हम दोनों मित्र खाना खाने के लिए ढाबे पर अपनी कार से नीचे उतरे तो हैरान रह गये। मैंने जो कुछ देखा अवाक रह गया।
पढ़िए उस खौफ़नाक रात की कहानी
मैंने देखा कि दूर से जो बूढ़ी महिला रोटी बेलती हुई नजर आ रही थी, वह अब एक जवान और खूबसूरत लड़की में बदल गई थी। मैंने अपने मित्र को अपनी कोहनी मारते हुए धीरे से कहा, अरे अमिताभ भाई, जब हम इस लेडी को दूर से देख रहे थे तो यह बूढ़ी नजर आ रही थी। लेकिन पास आते ही वह बूढ़ी महिला खूबसूरत लड़की के रूप में कैसे बदल गई?
कहीं यह लड़की कोई भूतनी-वूतनी तो नहीं। मेरा मित्र मुझ पर नाराज होकर बोला कि क्या बे, बिना सिर पैर की बातें करते हो। लगता है तुम आजकल हॉरर मूवी बहुत देखने लगे हो। फिर मेरा मित्र समझाते हुये मुझसे बोला, हो सकता है यह हमारी आँखो का भ्रम हो और यह भी तो हो सकता है कि पहले इसकी माँ रोटी सेक रही हो और उसकी यह बेटी रोटियाँ बेल रही हो। मेरा मित्र फिर मुझसे बोला, अरे! रोटियां कोई भी बनाए, हमें तो केवल खाना खाने से मतलब है।
लेकिन मेरे मन में शंका के भूत ने जन्म ले लिया था। हम लोग ढाबे की बेंच पर बैठ गए। वह रोटियाँ बनाती हुई लड़की हमें देखकर मुस्कुरा रही थी। मेरा मित्र उस लड़की का खूबसूरत रूप देखकर पागल हुआ जा रहा था। मैंने सोचा जब तक वह लड़की खाना लेकर आये, तब तक अपने मित्र की कही हुई बात को चेक करता हूँ।
यदि इसकी माँ ढाबे में होगी तो वह भी अंदर ही कहीं होगी। मैं हाथ धोने के बहाने से ढाबे के उस ओर आगे बढ़ गया जहाँ से ढाबे का पूरा भीतरी हिस्सा देखा जा सकता था। लेकिन जब ढाबे के अंदर की ओर दाएं- बाएं अपनी गर्दन घुमा कर देखा तो कहीं भी उसकी माँ नजर नहीं आई। अब मेरा माथा ठनका कि इस सुनसान इलाके में एक अकेली सुंदर लड़की ढाबा कैसे चला रही है !
मैंने वापस आकर अपने मित्र को बताया कि ढाबे के अंदर कोई नहीं है। उसकी बूढ़ी माँ भी नहीं है। मेरी यह बात सुनकर, मेरा दोस्त मुझे डांटने लगा कि तुम यहाँ इस ढाबे पर सी आई डी की तरह जाँच-पड़ताल करने आये हो या खाना- खाने। इससे पहले कि मैं उससे कुछ कहता तभी उसके किसी मित्र का फोन आ गया। वह पूछ रहा था कि तुम लोग कहाँ हो?
मेरे मित्र ने बताया कि हम लोग गुडगांव के एम जी रोड पर हैं। जब उसने गुड़गांव के एम जी रोड का नाम सुना तो वह चौंका। उसने कहा कि इस रोड पर रात में गुजरना खतरे से खाली नहीं है। तुम अपनी गाड़ी से नीचे तो नहीं उतरे हो। इस पर मेरे मित्र ने कहा हम लोग एक ढाबे पर रुके हुए हैं। तब उसके मित्र ने फोन पर फिर पूछा कि यह ढाबा कहाँ है?
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इस बार मेरे मित्र ने बताया कि हम दोनों मित्र एम जी रोड पर पुरानी ईटों की भठ्ठी के पास पीपल के पेड़ के नीचे एक ढाबा है, वहाँ खाना खाने के लिए रुके हैं। हमारे मित्र अमिताभ के अपने मित्र को फोन पर अपनी लोकेशन बताने के बाद उसने जो कुछ बताया वह चौंकाने वाला था। उसने बताया कि उस एम जी रोड पर कहीं भी ढाबा नहीं है।
वहां ईटों के भठ्ठी के पास एक कब्रिस्तान अवश्य है जहाँ भूत-भूतनियों के डरावने किस्से अक्सर सुने जाते हैं। मेरा मित्र यह सब सुनकर पसीने पसीने हो गया। उसे समझ में आ गया हम लोग इस समय किसी भूतिया स्थान पर हैं। उसने धीरे-धीरे सारी बात मुझे बतायी। मैंने अपने मित्र से कहा कि मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि यहाँ कुछ दाल में काला है।
लेकिन तुम तो उस भूतनी को आई लव यू बोलने को तैयार थे। हम दोनों मित्रों ने जान लिया कि अब आपस में बहस करके समय बर्बाद करने से कोई फायदा नहीं, कोई खतरा उत्पन्न हो उससे पहले ही यहाँ से भाग चलें। इससे पहले की वह खूबसूरत भूतनी अपना भुतहा खाना लेकर हम तक पहुँचती, हम उठ खड़े हुए।
अब तक रोटी सेंक रही उस भूतनी को भी इस बात का एहसास हो चुका था कि हमें उस ढाबे वाली लड़की के भूतनी होने की असलियत का पता चल चुका है। वह अब हम मित्रों की तरफ क्रोधित होकर देखने लगी। देखते ही देखते वह लड़की फिर से बुढ़िया बन गई। उसका चेहरा बहुत डरावना था। उसका कोयले से अधिक काला रंग था।
अंदर की ओर धसी हुई आंखें थीं। नाक के स्थान पर केवल एक बड़ा छेद था। बड़े-बड़े जानवरों की तरह कान और उसके बिखरे हुए लाल बाल थे। वह खौफनाक भूतनी चिल्लाती हुई हमारी ओर बढ़ी। जैसे कि वह हमें कच्चा चबा जायेगी ।मेरे मित्र ने गाड़ी पर बैठते ही गाड़ी स्टार्ट कर ली थी। मैं भी लपक कर कार में सवार हो गया। हम कार स्टार्ट कर तेजी से वहाँ से भाग निकले।
बिखरे हुये लाल बालों वाली वह डरावनी भूतनी हमारी कार के पीछे लगभग आधा किलोमीटर तक दौड़ती रही। फिर उसने हमारा पीछा छोड़ दिया। अब हम दोनों मित्रों ने चैन की साँस ली और फिर गुड़गांव की एम जी रोड पर रात को न आने की कसम खाई।