भूत होते हैं या नहीं, यह ऐसा प्रश्न है जो सदियों से चला आ रहा है। कुछ लोग इसे अनावश्यक का प्रश्न मानते हैं तो कुछ महत्वपूर्ण। क्योंकि कुछ लोगों का ऐसा विचार है की इस धरती पर भूत नहीं होते। यह एक कोरा अंधविश्वास है और मनगढ़ंत बातें है। लेकिन कुछ लोगों का ऐसा मानना हैं कि भूतों का अस्तित्व है।
अब किसकी बात पर विश्वास किया जाए और किस पर नहीं। लेकिन यहाँ यह बात कहना आवश्यक है कि यदि हम अपनी बात किसी प्रमाण के साथ कहें तो उस बात में दम होगा। लेकिन बेसिर-पैर केवल हवा में बातें करना किसी को कभी विश्ववसनीय नहीं लगेगा। भूत-प्रेत वास्तव में होते है या नहीं, आज हम इस संबंध में विस्तार से चर्चा करेंगे। जिससे शायद आपको इस बात का ठोस उत्तर मिल जाए भूत होते हैं कि नहीं।
क्या आप हमारे एक सवाल का उत्तर देंगे कि मनुष्य की मृत्यु क्यों होती है? संभवतःआपका उत्तर यही होगा कि मनुष्य की मृत्यु इसलिए होती है क्योंकि उसके अंदर विचरण करने वाली जीवन शक्ति समाप्त हो जाती है। लेकिन आपका यह उत्तर पूरा नहीं है। बल्कि यह कहा जाना चाहिए कि आपका यह उत्तर शत-प्रतिशत सत्य भी नहीं है।
मनुष्य के पास दो शरीर होता है
क्योंकि मनुष्य की मौत होने के कारण को उसके भीतर की जीवन शक्ति समाप्त होने से सम्बंधित होने की जो बात जो आप समझ रहे हैं वह पूरी तरह गलत है। मनुष्य मुख्यतः दो प्रकार के शरीर के कारण इस धरती पर जीवित रहता है़।
प्रथम प्रकार का शरीर जो हमें प्रत्यक्ष दिखाई देता है़ और दूसरा वह शरीर, जो मनुष्य के अंदर विद्यमान रहता है़ जिसे हम सूक्ष्म शरीर कहते हैं। यहां पर मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि सदैव मनुष्य के स्थूल शरीर की मौत होती है जबकि उसके अंदर विचरण करने वाला सूक्ष्म शरीर अनंत वर्षों तक जीवित रहता है। आइए जानते हैं यह पूरा रहस्य क्या है?
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क्या है सूक्ष्म शरीर का रहस्य
जैसा की आपको पहले भी स्पष्ट किया है़ कि दरअसल मनुष्य का हाड़-मांस का पुतला जो हमें प्रत्यक्ष से दिखाई देता है वह स्थूल कहलाता है़। जबकि मनुष्य के अंदर भी एक शरीर होता है जिसे सूक्ष्म शरीर कहा जाता है। ऐसे में जब तक मनुष्य का सूक्ष्म शरीर, उसके स्थूल शरीर में विद्यमान रहता है तब तक मनुष्य की उस अवस्था को जीवित अवस्था कहते हैं।
लेकिन जैसे ही मनुष्य के स्थूल शरीर में से उसके अंदर का सूक्ष्म शरीर उसे हमेशा के लिए छोड़कर निकल जाता है। तो ऐसी स्थिति में स्थूल शरीर मृतप्राय हो जाता है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में मनुष्य के स्थूल शरीर की आयु अधिकतम 120 वर्ष बतायी गई है। जिसे आयुर्वेद या कुछ यौगिक साधनाओं की सहायता से कुछ वर्ष और जीवित रखा जा सकता है। लेकिन मनुष्य के पंच तत्व से बने स्थूल शरीर के अंदर धड़कन के रूप में गतिमान सूक्ष्म शरीर की आयु असंख्य वर्ष की होती है।
जब मनुष्य के स्थूल शरीर का समय समाप्त हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसका सूक्ष्म शरीर, उसके स्थूल शरीर को सदा के लिए त्याग कर उससे निकल पड़ता है। इसे ही उस जीव की मृत अवस्था कहते है। लेकिन मानव का सूक्ष्म शरीर जिसका जीवन अनन्त वर्ष तक का है वह पहले वाले स्थूल शरीर से निकलने के बाद, जन्म लेने के लिए किसी दूसरे स्थूल शरीर की प्रतीक्षा में रहता है। कभी-कभी एक स्थूल शरीर से निकलने के बाद सूक्ष्म शरीर को दूसरा स्थूल शरीर शीघ्र नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी, वह सूक्ष्म शरीर बिना स्थूल शरीर के वातावरण में विचरण करता रहता है।
यह सूक्ष्म शरीर तब तक वातावरण में विचरण करता रहता है जब तक की उसे कोई स्थूल शरीर नहीं मिल जाता, जन्म लेने के लिए । ऐसी स्थिति में सूक्ष्म शरीर वातावरण में भटकता रहता है इसे ही भूत कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो स्थूल शरीर के बिना एक सूक्ष्म शरीर की स्थिति भूत कहलाती है। लेकिन हर मनुष्य का सूक्ष्म शरीर भूत हो यह आवश्यक नहीं। कुछ महान आत्माओं के सूक्ष्म शरीर देव तुल्य होते हैं।
भूत-प्रेत उन मानवों के सूक्ष्म शरीर होते हैं जो धरती पर आजीवन अनुचित कार्यों में लिप्त रहते हैं। इसके विपरीत जो स्थूल शरीर जीवन भर जप-तप, साधना में लीन रहते हैं अथवा मानव कल्याण के लिए या सदा दूसरों की भलाई में लगे रहे होते हैं उनकी मृत्यु के पश्चात उनके सूक्ष्म शरीर, स्थूल शरीर से बाहर निकलने के बाद देव स्वरूप में विद्यमान रहते हैं। कहने का अर्थ यह है कि आप माने या ना माने, लेकिन मनुष्य के चारों ओर भूत-प्रेत आदि का भी अपना अस्तित्व है।
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जो इन भूत-प्रेत आदि की आहटों का अनुभव करते हैं वे उनके अस्तित्व को मानते हैं। लेकिन जो व्यक्ति आत्माओं की आहट को महसूस करते हुए भी उसे नकारते हैं क्योंकि उनकी दृष्टि में भूत प्रेत का कोई अस्तित्व नहीं है। वे लोग किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित हो सकते हैं। ऐसे लोग महसूस करने के बाद भी इस शक्ति को मानना नहीं चाहते।
आपने देखा होगा कि कभी-कभी वातावरण में अनायास ही आपको सुगंध या दुर्गंध की अनुभूति होती है। यह अनुभूति क्षणिक होती है जो पल भर में गायब हो जाती है। यदि अचानक आने वाली गंध सुगंध है तो सच मानिये आपके आसपास से कोई अच्छी आत्मा गुजरी है। जिसके प्रभाव के कारण ही आपको सुगंध की अनुभूति हो रही थी। इसके विपरीत यदि यह महक दुर्गंध में होती है तो हो सकता है कि आपके आसपास से भूत-प्रेत का विचरण हुआ है ।
लेकिन आपको इन रहस्यमय अनुभूतियों से भयभीत नहीं होना है क्योंकि हमारे यहां आस-पास विचरण करने वाले यह सूक्ष्म शरीर बिना कारण किसी को कष्ट नहीं पहुँचातें हैं। क्योंकि सूक्ष्म शरीर के रूप में जीवित रहने वाली यह आत्माएं अपने ही संसार में व्यस्त रहती हैं।
कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि भूत-प्रेत आदि आत्माएं वह हैं जो स्थूल शरीर से निकलने के बाद जब तक किसी लोक में पंचतत्वों से बनी हुई शरीर में जन्म नहीं ग्रहण कर लेती और वातावरण में भटकती रहती हैं।
भूत का शाब्दिक अर्थ है बीता हुआ, कहने का अर्थ यह कि भूत बीते हुए वे जीव हैं जो अपनी स्थूल काया में नहीं, बल्कि सूक्ष्म शरीर के रूप में अस्तित्व में हैं और अदृश्य रूप में विद्यमान हैं। निष्कर्ष यही है़ कि इस संसार में भूतों का अस्तित्व है़ आप माने या न मानें यह आपकी मर्जी।