‘वास्तु’ शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। जिसका अर्थ होता है ईंट, पत्थर अथवा लकड़ी आदि से निर्मित रचना अर्थात हमारा घर या भवन, जिसमें हम रहते हैं। और ‘दोष’ शब्द भी मूलतः संस्कृत भाषा का ही है, जिसका अर्थ त्रुटि या कमी से है। अब हमें यह समझना है कि यह वास्तु दोष क्या होता है?
जब हमारा घर या भवन शास्त्रों के निर्देशानुसार (अर्थात वैज्ञानिक रीति से) निर्मित नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में जो उसमें दोष उत्पन्न हो जाते हैं, उसे वास्तुदोष कहते हैं। यह वास्तुदोष पूरे मकान में हो सकता है या भवन के किसी विशेष हिस्से में भी हो सकता है। मकान की गलत दिशा भी इसका एक कारण हो सकती है। किसी भी मकान में सामान्य रूप से प्रवेश द्वार, ड्राइंग रूम, रसोई, स्टडी रूम, पूजा घर सीढ़ियाँ और वाशरूम आदि होता है।
यदि इन सभी के निर्माण के समय यदि हम वास्तु शास्त्र के नियमों का ध्यान नहीं रखते तो परिणाम स्वरूप उस घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। यह वास्तु दोष हमें अपने भवन में सुख पूर्वक नहीं रहने देता।
वास्तु दोष के 10 लक्षण
आपका अपना घर वास्तु दोषों के कारण बीमार है अथवा नहीं, इस बात को जानने के लिए आपको नीचे दिए गए 10 लक्षणों पर ध्यान देना होगा। यदि इनमें से एक लक्षण भी दिखाई देता है़ तो यकीन मानिये, आपके घर में निश्चित रूप से वास्तु दोष है़। उस वास्तु दोष को तलाश कर उसे दूर करने में ही बुद्धिमानी है़।
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1. घर में सुकून की कमी
दिन भर घर से बाहर रोजी- रोटी के सिलसिले में काम-काज के बाद जब कोई व्यक्ति वापस घर लौटता है तो ऑफिस की थका देने वाली व्यस्तता और राह की भीड़-भाड़ एवं शोरगुल से दूर उसे कुछ पल घर में सुख-चैन और शांति के चाहिए। लेकिन वास्तु दोष युक्त घर में उसे सुख-चैन नहीं मिलता। जब वह दिन भर के बाहरी कोलाहल से दूर अपने निवास पर लौटता है तो उसके बावजूद घर में आने के बाद भी उसके चित्त में स्थिरता नहीं होती ।
निश्चित रूप से ऐसा होना इस बात का संकेत होता है कि आपके भवन में सकारात्मक ऊर्जा के स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा विद्यमान है़। जिसका एकमात्र कारण वास्तु दोष होता है। घर के मुख्य द्वार की दिशा दक्षिण या पश्चिम में होना इसका कारण हो सकता है़।
इसके अतिरिक्त आपके घर की बैठक अथवा शयन कक्ष में भी कोई वास्तु दोष हो सकता है जो घर में रहने वाले लोगों को सुकून देने में बाधा उत्पन्न करता है। इसके साथ ही घर का वास्तु दोष शयन कक्ष में चैन वाली नींद नहीं आने देता। दोष युक्त वास्तु से परिपूर्ण घर में रहने वाला व्यक्ति हमेशा थकान और आलस्य से ग्रस्त रहता है़।
2. घर के सदस्यों में मतभेद
यदि आपके घर में अनबन और कलह का वातावरण रहता है। घर के लोग आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। उनके विचारों में टकराव और मतभेद दिखाई देता है। वे एक दूसरे का सम्मान नहीं करते। बल्कि एक दूसरे पर चीखते- चिल्लाते रहते हैं। तो सच मानिये ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से घर में वास्तु दोष होता है जो परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम को पनपने नहीं देता। बल्कि पारिवारिक रिश्तों में दूरियाँ बना देता है़।
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3. यदि आर्थिक संकट का आगमन
वास्तु दोष युक्त घर में रहने के बाद, रहने वाले को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। यदि आपकी कोई दुकान या कारोबार है़ तो उसमें लाभ होने के स्थान पर हानि होने लगती है। यदि आप नौकरी पेशा हैं तो उसमें भी समस्या होने लगती है। जिसके कारण समय से वेतन नहीं मिलता है़।
कहने का अर्थ यह कि अत्यंत परिश्रम करने के बावजूद ऐसे घर में धन का अभाव देखने को मिलता है। निश्चित रूप से वास्तु दोष युक्त घर से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है़। जिसके कारण घर में धन के आगमन का रास्ता अवरुद्ध हो जाता है।
4 .घर के बच्चों का मन और ध्यान पढ़ाई में न लगना
यदि घर के बच्चों का मन भटकाव की दिशा की ओर अग्रसर है़। उनका मन पढ़ाई के प्रति एकाग्रचित्त नहीं हो पा रहा है तो यह सब घर के वास्तुदोष का ही परिणाम है़। ऐसे घर में वास्तुदोष के कारण माँ सरस्वती की कृपा का अभाव होता है। जिसके कारण घर के बच्चे परीक्षाओं में फेल हो जाते हैं अथवा कम अंक प्राप्त करते हैं। उन्हें अपने अथक परिश्रम के बाद भी वह सफलता नहीं मिलती जो मिलनी चाहिए।
5. अस्वस्थ वातावरण उत्पन्न होना
जिस घर में वास्तु दोष होता है वहाँ रहने वाले लोग अधिकतर अस्वस्थ रहते हैं। क्योंकि उस घर का दोषयुक्त वातावरण घर के सदस्यों को स्वस्थ रहने नहीं देता और उनकी अस्वस्थता का कारण होता है। ऐसे घर में एंजाइटी की बीमारी के चलते बहुत सारा धन मेडिसिन में खर्च होता है। ऐसे घर के लोग का अधिकांश समय बिस्तर पर लेटे हुए ही बीतता है।
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वास्तु दोष युक्त घरों में रहने वाले लोग सुबह देर से बिस्तर से उठते हैं और दिनभर में बिस्तर पर पड़े रहना इनकी आदत होती है। वे स्वस्थ रहते हुए भी अपने आप को अस्वस्थ महसूस करते हैं। ऐसे घरों में उदासी और मनहूसियत छायी रहती है़ और उत्साह और प्रसन्नता का अभाव रहता है़।
6. घर की उन्नति में रुकावट
जब घर के सदस्यों की तरक्की की राह अवरुद्ध हो जाये। कठिन परिश्रम के पश्चात भी प्रतिफल न प्राप्त हो पा रहा हो तो ऐसे घर में निश्चित रूप से कोई गंभीर वास्तु दोष होता है। इसके कारण घर के सदस्यों के करियर की राह कठिन होती है़।
7. पड़ोसियों से संबंधों में बिगाड़
ऐसा घर जहां वास्तु दोष होता है वहाँ रहने वालों लोगों के, उनके पड़ोसियों से अच्छे संबंध नहीं हो पाते हैं। उनका सारा समय ईर्ष्या-द्वेष में जलने में व्यतीत होता है। जिसके कारण मानसिक तनाव उत्पन्न होता है। ऐसे घर में रहने वालों का, आस-पड़ोस से जरा सी बात पर किच-किच होती रहती है़। परिणाम स्वरूप घर के लोग डिप्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय की बीमारियों से ग्रस्त होने लगते हैं।
8. आर्थिक नुकसान से सामना
ऐसे घरों में रहने वाले लोगों को अधिकतर नुकसान का सामना देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए कोई प्लंबर या मिस्त्री घर में काम करने के लिए आता है तब भी घर में सुधार नहीं आने पाता और समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। घर को सुधारने के लिए खर्च होता रहता है लेकिन घर नहीं सुधर पाता। क्योंकि ऐसे घर को वास्तु विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। जो मकान में वास्तुदोषों के उपाय निकाल सके। वास्तु दोष युक्त घरों में चोरियां भी अधिक होती है।
9. मेहमानों का कम आवागमन
ऐसा कहा जाता है कि ऐसे घर जहाँ वास्तुदोष होते हैं वहाँ मेहमानों का आवागमन भी कम होता है। ऐसे घर खंडहर की तरह वीरान पड़े रहते हैं। आपको पता होना चाहिए कि घर में आने वाले मेहमान वह चलते- फिरते जीव हैं, जो घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा लाते रहते हैं। क्योंकि भगवान हर जगह नहीं जा सकता इसलिए वह कभी भी किसी को मेहमान के रूप में आपकी घर में खुशियां भरने के लिए भेज सकता है।
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जिसके साथ प्रेम पूर्वक वार्तालाप और साथ-साथ, चाय-नाश्ता और भोजन करना आपमें खुशियां और उत्साह भर सकता है। वास्तुदोष युक्त घरों में मेहमानों का आवागमन कम होता है। क्यों कि ऐसे घरों में पॉजिटिव एनर्जी का सामान्यतः आभाव होता है।
10. घरो में गन्दगी का पाया जाना
वास्तु दोष युक्त घरों में चूहे, मक्खी- मच्छर, तिलचट्टे, छिपकली आदि कीड़े मकोड़े बहुतायत में पाए जाते हैं। साथ ही ऐसे घरों में जाले आदि अधिक मिलते हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे घरों में बारिश आदि आने पर छत चूने आदि की समस्या ठीक कराने के बाद भी हमेशा बनी रहती है। ऐसे घरों में दीवारों पर सीलन आदि देखने को मिलती है। जिसका समाधान मकान में उत्पन्न वास्तु दोष के समाधान के बाद ही संभव है।