ज़ोंबी रेड्डी आज ही के दिन यानी 5 फ़रवरी 2021 को रिलीज़ हुई एक भारतीय, तेलुगू-भाषा की एक्शन हॉरर फिल्म है, जिसमे कॉमेडी भी देखने को मिलती है। इस फिल्म के निर्देशक है प्रशांत वर्मा और इसमें मुख्य भूमिकायें निभाई हैं तेजा सज्जा, आनंदी हर्ष वर्धन, दक्षा नागरकर और रघु बाबू ने।
ये फिल्म एप्पल ट्रीज स्टूडियोज के बैनर तले बनी है। कहा जा रहा है कि ये तेलगु सिनेमा की दुनिया की पहली फिल्म है जो ज़ॉम्बीज़ पर आधारित है। वैसे तो यह पारम्परिक दक्षिण भारतीय फिल्मों की तरह ही है लेकिन इसकी स्टोरीलाइन आंशिक रूप से COVID-19 महामारी पर आधारित है। फिल्म की पृष्ठभूमि कुरनूल में सेट की गई है।
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक गेम डेवलपर मारिओ (तेजा सज्जा) के इर्द गिर्द घूमती है। इसमें एक गेम डेवलपर अपने दोस्तों के साथ कुरनूल के लिए निकलता है अपने दोस्त की शादी अटेंड करने के लिए। लेकिन वहां उनका इंतजार विवाह की दावत नहीं बल्कि कोई बहुत खौफ नाक चीज कर रही थी।
डरावनी हिंदी फिल्मों के लिए ज़ॉम्बीज़ कोई नया विषय नहीं है। इससे पहले हिंदी सिनेमा में गो गोवा गॉन जैसी ज़ॉम्बीज़ आधारित फिल्मे बन चुकी हैं जो अपने में ठीक ठाक ह्यूमर भी समेटे हुए थी।
वैसे भी हॉरर फिल्मों के प्रशंसकों के लिए जोंबी कॉमेडी देखना मनोरंजक तो होता है लेकिन ये कोई नई चीज नहीं है याद करिए शॉन ऑफ द डेड, जोंबीलैंड और वर्ल्ड वार जेड तथा आई एम लीजेंड जैसी फिल्मे कैसे यादगार बनी।
हांलाकि पहली ज़ॉम्बीज़ आधारित तेलगु फिल्म ज़ोम्बी रेड्डी में प्रशांत वर्मा ने खूब सारा देसी तड़का मिलाने की कोशिश की है विशेष रुप से प्यार, दोस्ती धोखा, और साथ में फसाद जैसा ढेर सारा देसी मसाला। लेकिन सवाल ये है क्या प्रशांत इन सब का फ़ायदा उठाते हुए अपने उद्देश्य में सफल हो पाएंगे, ये तो वक्त ही बताएगा।
तो वापस लौटते कहानी पर। फिल्म का नायक मारियो (तेजा सज्जा) एक गेम डेवलपर है जिसके नए गेम में कुछ तकनीकी खराबी है और वह क्रैश होने वाला है। अपने गेम को बचाने के लिए उसे अपने गेम के सोर्स कोड को ठीक करना होता है जिसके लिए उसे अपने मित्र (आर जे हेमंत) के हेल्प की ज़रुरत पड़ती है।
अपने दोस्त से हेल्प लेने के लिए वो अपने दोस्तों के साथ जिसमें मैगी (दक्षा नागरकर) जो खुद भी एक गेम डेवलपर है, के साथ कुरनूल के रुद्रवरम के लिए निकलता है।
हर तरीके के किरदारों से भरा पूरा यह ग्रुप कुछ ही देर में खुद को जोंबीज से, मोबाइल स्क्रीन की जगह, सच्चाई में लड़ता हुआ पाता है और उन्हें खुद को बचाने के लिए जल्द से जल्द कोई रास्ता ढूंढना होता है, इससे पहले की खतरनाक वायरस और फैल जाए।
फिल्म के मज़बूत पक्ष
निर्देशक प्रशांत वर्मा ने अपनी फिल्म जोंबी रेड्डी को मनोरंजक बनाने की भरपूर कोशिश की है, या यूं कहें की हर संभव कोशिश की है। बहुत सारे स्लो मोशन के दृश्य ऐसे हैं कि दर्शक सीटी बजा सकते हैं।
फिल्म निर्माण के मेकअप विभाग ने भी जोंबीज के साथ सराहनीय काम किया है। फिल्म में लड़ाई के दृश्य भी अपेक्षाकृत प्रभावी तरीके से फिल्माए गए हैं, विशेष तौर पर ज़ॉम्बीज़ से लड़ाई के दृश्य।
मार्क रोबिन का संगीत खास तौर पर पार्श्व संगीत दर्शकों को प्रभावित करता है। अनित की सिनेमैटोग्राफी भी शानदार है। निर्देशक प्रशांत ने अपने खास स्टाइल में फिल्म के शुरू में ही एक हिंट छोड़ा है कि यह सब कैसे खत्म होगा। कुल मिला कर फिल्म जोंबी रेड्डी तकनीकी दृष्टि से निश्चित रूप से एक मजबूत फिल्म है।
फिल्म के कमज़ोर पक्ष
हालांकि फिल्म का थोड़ा कमज़ोर दिखने वाला पहलू इसकी कॉमेडी है। जोंबी कॉमेडी के नाम पर परोसे गए इस ह्यूमर के 2 घंटे 20 मिनट की मूवी में कुछ ही ऐसे पल हैं जब आपको सच में हंसी आएगी। जोंबीज को भी अपने अवतार की सारी खूबियां नहीं दी गई हैं।
फिल्म में, कोरोना वायरस और लॉकडाउन जैसी चीजें, फिल्म की कहानी के साथ अपनी प्रासंगिकता नहीं बैठा पाए हैं। प्रशांत ने अपनी फिल्म के दर्शकों को अपने करेक्टर्स को समझाने में भी थोड़ा ज्यादे वक्त लगाया है। फिल्म की पटकथा चौंकाती नहीं है जबकि ऐसी फिल्मों के लिए ये आवश्यक माना जाता है।
ज़ोंबी रेड्डी में बहुत सारे उम्दा पल भी हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि फिल्म के कलाकारों ने अपने क़िरदारों को काफ़ी एन्जॉय करते हुए निभाया है। अगर प्रशांत अपनी इस फिल्म में इतना प्रेडिक्टेबल ना होते तो शायद फिल्म कुछ और बन कर आती और एक बेहतरीन मूवी होती।
अगर आपको ज़ॉम्बीज़ आधारित फिल्मे पसंद हैं तो ज़ोंबी रेड्डी आपको पसंद आ सकती है।