‘यमद्वार’ ! नाम के कई मतलब निकाले जा सकते हैं लेकिन हम बात कर रहे हैं मृत्य के देवता यमराज के घर के प्रवेश-द्वार की | भारतवर्ष के उत्तर में स्थित हिमालय अपने अन्दर असीम रहस्यों को समेटे है उसी हिमालय के उत्तर-पूर्व में स्थित तिब्बत (प्राचीन काल का त्रिविष्टप), जो की कभी अखंड भारत का ही हिस्सा हुआ करता था, को अगर हम रहस्यों की धरती कहें तो ये अतिश्योक्ति नहीं होगी |
उसी तिब्बत में दार-चेन से ३० मिनट के दूरी पर है ये यम का द्वार | यम का द्वार पवित्र कैलाश-पर्वत के रास्ते में पड़ता है | इसकी परिक्रमा करने के बाद ही कैलाश यात्रा प्रारम्भ होती है | तिब्बती लोग इसे ‘चोर-टेन कांग नग्यी’ के नाम से जानते है जिसका मतलब होता है दो पैर वाले स्तूप | हिन्दू मान्यता के अनुसार इसे यमराज के घर का प्रवेश द्वार माना जाता है |
यह कैलाश-पर्वत की परिक्रमा यात्रा का आरम्भ स्थल है | ऐसा कहा जाता है कि यहाँ रात में रुकने वाला जीवित नहीं बचता | ऐसी कई घटनाएं भी हो चुकी हैं लेकिन इनके पीछे के कारणों का खुलासा आज तक नहीं हो पाया, साथ ही ये मंदिर नुमा द्वार किसने और कब बनवाया ? इसका कोई प्रमाण नहीं है |
कई शोध हुए लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका | कहते हैं की द्वार के इस ओर संसार है तो उस पर मुक्ति-धाम | बौद्ध लामा लीग का विश्वास है कि यहाँ आकर प्राणांत होने पर मुक्ति प्राप्त होती है इसलिए बीमार लामा अंतिम इच्छा के रूप में यहाँ आते हैं और प्राण त्यागते हैं |