कभी कभी ऐसी घटनाएं हमारे सामने आ जाती है कि उन पर एक दम से यकीं करना बहुत मुश्किल होता है | लेकिन फिर भी सच्चाई पता चलने पर उसे स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता |
अपने आप में एक अनोखे तरह की ये घटना लिसेनागियर (आयरलैण्ड) की है। मदर बिद्दी कैशल्श एक ऐसी स्त्री थीं जिन्होंने अपने गर्भ से एक बार में दो चार नहीं पूरे 100 मुर्गी के अण्डे दिये। सुनने में ये बड़ी अजीब घटना लग सकती है किन्तु यह सत्य घटना है | मातृ भावना वश कहें अथवा किन्हीं पूर्व जन्मों के संस्कार कि जिस तरह मुर्गी अपने अंडों के ऊपर बैठ कर उन्हें बच्चे न निकलने तक सेती रहती है।
बिद्दी कैशल्श लगातार एक घोंसला बनाकर और अंडे उसमें सुरक्षित रखकर 3 सप्ताह तक उसमें बैठी रही। 3 सप्ताह बाद उन अंडों में से आदमी के नहीं 100 मुर्गी के बच्चे पैदा हुए।
वैसे तो विकासवादी अध्यात्मिक धार्मिक मान्यताओं की खाल उधेड़ते रहते हैं और जहाँ-तहाँ से नर कंकालों के आधार पर सिद्ध करते रहते हैं कि मनुष्य एक कोशीय जीव अमीबा का विकसित रूप है पर जब उनसे पूछा जाता है कि यह मुर्गी के बच्चे जो स्त्री के पेट से पैदा हुए तो वे झुँझला पड़ते हैं और कहते हैं कि यह अपवाद है, अपवाद ही सही पर उसका भी तो कुछ तार्किक आधार होना चाहिए।
यह विश्व-व्यापी ईश्वरीय सत्ता के सार्वभौमिक उपस्थिति के अतिरिक्त और क्या हो सकता है ?