इतिहास में कुछ विस्मयकारी घटनाओं के उदहारण ऐसे हैं जो स्तब्ध कर देते हैं | लिवरपूल में एक घटना ऐसी घटी जिसमें एक व्यक्ति के स्वप्न ने उसका रोग ठीक कर दिया। यह 1919 की बात है | उस समय वहाँ नव धनाढ्य लोगों का काफी जलवा था | लिवरफूल में जेम्स नामक एक व्यक्ति रहता था जो बहुत पहले कभी फौज में भी अपनी सेवायें दे चुका था।
हुआ ये कि एक लड़ाई के दौरान भीषण तोपों की भारी गर्जना के कारण उसके कान के पर्दे फट गये थे और वह लगभग बहरा हो गया था। सेना से सेवा नेवृत्त होने और पैंशन पर आ जाने के बाद एक रात उसने एक विचित्र स्वप्न देखा।
उसने अपने आपको सेंट विनिफ्रेड कुँए के पास खड़ा पाया। लिवरपूल के लोग उसे भारत में गंगा नदी की तरह पवित्र मानते हैं। तो बात स्वप्न की करें तो जेम्स ने कुँए के पास खड़े देवता के दर्शन भी किये | देवता के दर्शन की जेम्स को बड़ी प्रसन्नता हुई |
उसने सोचा इस कुँए में उसे स्नान कर लेना चाहिये। फिर स्वप्न में ही पानी निकाल कर उसने जैसे ही अपने शरीर पर डाला कि उसे शीत की सी कंपकंपी लगी। और इसी क्षण उसकी नींद टूट गई।
वह हड़बड़ा कर उठ बैठा | पास में सो रहे उसके घरवालों ने पूछो कौन ! और यह “कौन” शब्द जेम्स को जीवन का नया सन्देश बन गया | उसने आश्चर्यपूर्वक बताया “मैं हूँ जेम्स” पर यह क्या हो गया ? उसके जिस बहरेपन को अच्छे-अच्छे डाक्टर ठीक नहीं कर सकते थे एक स्वप्न ने उसे कैसे ठीक कर दिया था ।
इस घटना की सटीक व्याख्या, विज्ञान ठीक तरीके से नहीं कर सकता क्योकि उसके पास कोई तार्किक आधार ही नहीं है | यह घटना इस बात का भी प्रमाण है कि स्वप्न में जो तत्व सक्रिय रहता है उसे सर्वव्यापी ही नहीं सर्वशक्तिमान भी होना चाहिये।
रेवरेण्ड फ्रीमैन विल्स की लँगड़ी टाँगें भी इसी तरह स्वप्न में ही ठीक हुईं थी जब उसने यह स्वप्न देखा था कि कोई एक फरिश्ते ने आकर उसके टूटे हुए अंग में प्रकाश की किरणें इस तरह फेंकी जैसी कोई प्लाज्मा लाइट वैल्डिंग करते समय किसी धातु पर फेंकी जाती है।
स्वप्न टूटने पर जागे विल्स यह देखकर आश्चर्यचकित रह गये कि उनकी टाँगें जिनके बारे में डॉक्टरों का कथन था कि मृत्यु होने तक ये टाँगें सीधी नहीं हो सकती, ठीक हो गई और विल्स चलना फिरना तो क्या दौड़ में भी लोगों को पछाड़ने लगे । बिना किसी औषधि बिना किसी शल्य क्रिया के इस प्रकार किसी असाध्य रोगी का ठीक हो जाना स्वप्न-सत्ता को और भी रहस्यपूर्ण ही बनाता है।