जब कानपुर के इंजीनियर अपनी मौत के बाद वापस लौट कर आये

जब कानपुर के इंजीनियर अपनी मौत के बाद वापस लौट कर आयेमनुष्य की मृत्यु के पश्चात उसकी आत्मा कहाँ जाती है और किस प्रकार उसे अगले जीवन के लिए नया शरीर मिलता है? यह सभी प्रश्न रहस्य के दायरों में कैद हैं, लेकिन जब देश-विदेश में कुछ ऐसी अदभुत घटनायें घटीं, जिन घटनाओं में कुछ व्यक्तियों की दुर्घटना या बीमारीवश की मृत्यु हो गयी। लेकिन कुछ क्षणों बाद वह फिर जीवित हो उठे। उन व्यक्तियों में से जब कुछ ने अपने मरने और फिर जीवित होने के बीच के समय का जो किस्सा सुनाया वह बहुत आश्चर्य जनक था।

मौत के बाद फिर से जी उठे लोगों के अनुभवों को सुनने के बाद पता चलता है कि इस जीवन की बाद की दुनिया बहुत रहस्यमय है जिसका केवल अनुमान लगाया जा सकता है। आत्माओं के संसार से सच्चाई का परदा उठाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। लॉकडाउन के दौरान एक ऐसी ही घटना घटी। यह घटना जनवरी 2021 की है। एक व्यक्ति कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित होने के बाद दम तोड़ने वाला था। उसकी सांसें लगभग थम सी गयीं थी। लेकिन तभी उसके लिये प्लाज्मा की व्यवस्था हो गयी।

उसे प्लाज्मा चढ़ाया गया और वह मरणासन्न अवस्था से वापस जीवित हो गया। उसने ठीक होने के बाद बताया कि जब वह जिंदगी और मौत के बीच में झूल रहा था। तब उसका शरीर कुछ क्षण के लिए मृत अवस्था में पहुँच गया था। उसकी आत्मा ने उसके शरीर से निकल कर अनंत यात्रा के लिये चलना शुरू कर दिया था। लेकिन फिर उसकी आत्मा अपने अनंत मार्ग का यह सफ़र बीच में रोककर फिर वापस आ गयी। उस व्यक्ति ने अपनी आत्मा की अनंत यात्रा का जो वर्णन किया वह अदभुद ही नहीं रहस्यमय भी था।

यह सत्य घटना उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के किदवई नगर में रहने वाले इंजीनियर राहुल देव (गोपनीयता की वजह से नाम बदला हुआ है) की है। वह दुर्भाग्यवश कोरोना पॉजिटिव हो गये। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक सप्ताह तक उनका इलाज चला। लेकिन उनकी स्थिति नाजुक होती गयी। धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य गिरता गया और वे मृत्यु की ओर उन्मुख होते चले गये। प्लाज्मा की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी।

इंजीनियर राहुल देव की तबीयत बिगड़ती चली जा रही थी। उनकी सांसें उखड़ने लगीं, तब उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। तभी उनके लिए प्लाज्मा की व्यवस्था हो गयी। उन्हें प्लाज्मा चढ़ाया गया। अगले आधे घंटे में वह मौत के मुँह से बाहर निकल आये। लेकिन कोरोना के नेगेटिव होने के बाद उन्होनें बताया कि वह कुछ पल के लिए वह मौत के मुँह में चले गये थे और उनकी आत्मा शरीर से निकल कर अनंत मार्ग पर चल पड़ी थी। उनकी आत्मा का अनंत मार्ग पर चल पड़ना, इंजीनियर राहुल देव के लिए बड़ा अदभुद और अचरज से भरा था।

इंजीनियर राहुल देव ने बताया कि कोरोना वायरस से अत्यधिक संक्रमित होने पर जब अस्पताल में उनकी हालत बिगड़ रही थी और प्लाज्मा की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। तब उनकी सांसें उखड़ने लगीं थीं। उन्होंने बताया “जैसे-जैसे मेरी सांसें उखड़ती जा रहीं थीं वैसे-वैसे मै इस दुनिया को छोड़ते जा रहा था । बल्कि कुछ क्षण बाद मुझे लगा कि सब कुछ शांत हो चुका है। मैं बहुत हल्कापन महसूस कर रहा था, न कोई दर्द था और न कोई पीड़ा।

मैं बहुत आनंद का अनुभव कर रहा था। लग रहा था कि कोई अदृश्य शक्ति मुझे खींचने लगी थी। लग रहा था कि मेरी आत्मा अनंत मार्ग पर निकल पड़ी थी। क्यों कि मैं इस समय अपने आपको शरीर के रूप में नहीं बल्कि एक प्रकाश बिंदु के रूप में देख रहा था। वह संसार बहुत विचित्र और कल्पना से परे था, चारों तरफ कई रंगों की रोशनी छिटकी हुई थी। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई चुंबकीय शक्ति मुझे अपनी ओर खींच रही है और मैं उसकी ओर लगातार बढ़ा चला जा रहा था।

मुझे रास्ते में अनेकों तरह की आवाजें सुनाई दे रही थी, जो मुझे अपनी और बुलाना चाह रही थी, लेकिन मैं उस अदृश्य शक्ति के आकर्षण में खिंचा चला जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि मैं शक्ति विहीन हो चुका हूं और मैं अपना अस्तित्व खो चुका है।

मैं महसूस कर रहा था कि मेरे शरीर के सारे दुख-दर्द समाप्त हो चुके हैं, क्योंकि मैं अपना शरीर छोड़कर नयी दुनिया की ओर बढ़ चला था। मेरे मार्ग की रौशनियों का रंग लगातार बदलता जा रहा था। सबसे पहले मैं जब चला था तो चारों ओर घना अंधेरा था। धीरे-धीरे वह अंधेरा रौशनी में बदलने लगा। फिर वह रौशनी चमकीली दिखायी देने लगी। कोई अनजानी ताकत थी जो मुझे खींचे ले जा रही था।

न जाने वह अदृश्य शक्ति मेरे साथ क्या करना चाहती थी। ऐसा लग रहा था कि मैं एक कठपुतली की भांति उस अदभुत प्रकाश के पीछे-पीछे भागा जा रहा था। रास्ते में मुझे तरह-तरह की आकृतियाँ नज़र आ रहीं थीं। यह सब इतना विचित्र था लेकिन इसके बाद भी मुझे डर नहीं लग रहा था। मुझे लग रहा था कि मार्ग में मिलने वाली वह आकृतियाँ मुझ से कुछ कहना चाह रहीं हैं। कहीं यह आकृतियाँ मुझसे पहले मरे लोगों की आत्मायें तो नहीं थीं।

मैं भी उन आकृतियों की बातें सुनना चाहता था लेकिन सुन नहीं सका। क्योंकि मेरी अनंत मार्ग पर आगे बढ़ने की गति रॉकेट से भी तेज थी। मैं चला जा रहा था। यह एक ऐसा रहस्यमय आनंद मार्ग था जिसका छोर कहाँ मिलेगा पता नहीं। मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह अदृश्य शक्ति कौन सी थी, जो मुझे अपनी ओर खींच रही थी और मैं खिंचता चला जा रहा था। तभी मुझे लगा कि मैं चलते-चलते अचानक रुक गया हूं।

वह अदृश्य शक्ति मुझे आगे की ओर खींच रही थी लेकिन न जाने एक ताकत मुझे अब पीछे की ओर खींचने लगी थी, जहाँ से मैं इस विचित्र पथ पर चला था। अब मुझ पर दो विपरीत दिशाओं की ताकत लगने लगी थी। एक शक्ति मुझे उस विचित्र रहस्यमय दुनिया में ले जाना चाहती थी और दूसरी शक्ति जो मुझे वापस पुनः सांसारिक दुनिया में खींच रही थी। धीरे-धीरे मुझे लगा कि विभिन्न रोशनी से भरी उस विचित्र दुनिया से मैं वापस खिंचने लगा हूँ।

मुझे लगा कि मेरी वापसी हो रही है। मैं अब उस अदभुत दुनिया के प्रकाश पुंज से बाहर निकलता जा रहा हूं। मेरी यात्रा काली अंधेरी दुनिया से शुरू हुई थी और मैं वापस उसी अंधेरी काली दुनिया में पहुँच चुका था। धीरे-धीरे मुझे किसी की आवाज सुनायी देने लगी। कोई पूछ रहा था कि अब आपकी तबीयत कैसी है? मैंने आंखें खोल कर देखा तो पाया कि मैं उस अनंत दुनिया से निकलकर अस्पताल के बेड पर था। डॉक्टर ने मुझे बताया कि अब आप खतरे से बाहर है।

अब मुझे समझ में आ रहा था कि मैं उस विचित्र आत्मा की दुनिया से बाहर निकल कर वापस अपने शरीर में आ चुका था। इसका साफ मतलब था कि मै कुछ क्षण को मृत अवस्था में था। तभी तो मेरी आत्मा अनंत मार्ग पर चल पड़ी थी। मैं अब लोगों कैसे समझाता कि मैं थोड़ी देर के लिए इस हॉस्पिटल के बेड पर अपना शरीर त्याग चुका था और लौटकर वापस अपने शरीर में आया हूं।

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