भारत की दस सबसे डरावनी जगहों में शामिल गुजरात के डुमास बीच का रहस्य क्या है

भारत की दस सबसे डरावनी जगहों में शामिल गुजरात के डुमास बीच का रहस्य क्या है भारत के दस सबसे डरावनी जगहों की बात जब भी चलेगी, गुजरात के दमस बीच का नाम उनमे ज़रूर आएगा | गुजरात के औद्योगिक शहर सूरत के समुद्री तट पर स्थ‍ित दमस बीच जिसे अंग्रेजी में लोग Dumas (डुमस) बीच भी कहते हैं, अक्सर अपने यहाँ होने वाली डरावनी घटनाओं की वजह से चर्चा में रहता है। विशेष तौर पर वहां घूमने वाले पर्यटकों के लिये।

क्यों प्रसिद्ध है गुजरात का डुमास बीच

वैसे तो ज्यादा तर टूरिस्ट इस बीच का लुत्फ उठाने यहां आते हैं, लेकिन अगर यहाँ के स्थानीय लोगों की बातें सुने तो अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। स्थानीय लोगों और यहाँ घूमने आये कुछ पर्यटकों के अनुसार इस बीच पर अशरीरी प्रेतात्माओं का बसेरा है। कहते हैं कि दिन ढलने के बाद, अँधेरा होने पर अगर आप इस बीच पर गये, तो आपको यहाँ कुछ असामान्य, पैरानॉर्मल घटनायें देखने को मिल सकती हैं |

आपको यहाँ अदृश्य स्रोतों से चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें भी सुनायी दे सकती हैं। यहाँ घूमने आये लोगो द्वारा सुनी हुई बातों पर यकीन करें तो इनके अनुसार यहाँ कई पर्यटक जो रात को घूमने के लिए निकले थे, फिर कभी नहीं मिले वो हमेशा के लिए गायब हो गए | वहाँ पर हर रात को कुत्तो के भोंकने और भयानक तरीके से रोने की आवाजे आती है जो वहा पर भूतों और आत्माओं के होने का एहसास दिलाते है | परन्तु उसका भी एक संभावित कारण हो सकता है |

भारत वर्ष में किसी का प्राणान्त हो जाने पर उसके शरीर का दाह संस्कार, उसके शरीर को श्मशान में जला कर किया जाता है | ऐसे श्मशान गृहों के आस-पास कुत्ते भी दिख ही जाते हैं | यह भी सत्य है कि गुजरात के इस डुमास समुद्र तट के एक हिस्से में दाह संस्कार की प्रक्रिया भी की जाती है |

गुजरात का डुमास समुद्र तट कहाँ स्थित है

भारत वर्ष के गुजरात राज्य के औद्योगिक शहर सूरत से 21 किमी दक्षिण पश्चिम में अरब सागर के किनारे पर स्थित है यह बीच | वैसे तो यह जगह अपनी काली रेत और विशाल नीले समुद्र के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन वर्तमान में यह अपने यहाँ होने वाली भूतिया घटनाओं के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है | इसी समुद्र तट पर मृतको के दाह संस्कार भी किये जाने के कारण यहाँ पर लोगो को रात में होने वाली असामान्य घटनाएं व स्तब्ध कर देने वाली आवाजें बेचैन कर देती हैं | इसी कारण से इस जगह को भारत वर्ष की सबसे अधिक भयावह व प्रेतबाधित जगहों में से एक करार दिया गया है |

डुमस बीच का इतिहास

अरब सागर से लगे हुए गुजरात के इस बीच का इतिहास, भानगढ़ और कुलधरा की तरह किसी राजा-रानी की प्रेम कथा, या किसी जादूगर से नहीं जुड़ा है, बल्कि यहाँ होने वाली पैरानॉर्मल घटनाएं आम लोगों से ही जुड़ी हुई होती हैं | लेकिन हां, यहाँ पर होने वाली भूतिया घटनाएं कब से हो रही हैं, इसके विषय में कोई निश्चित एकमत नहीं है | हांलाकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि सदियों पहले यहां पर भूत-प्रेतों ने अपना गढ़ बना लिया था और इसीलिये यहां की रेत काली हो गई।

यूं तो सोशल मीडिया पर अक्सर चर्चा का विषय बन जाने वाले, गुजरात के इस डुमास बीच के बारे में कइयों ने अपने अनुभव, इंटरनेट पर शेयर किये हैं किन्तु मुझे इसके बारे में लिखने के लिए प्रेरित किया, मेरे मित्र हर्षद पटेल के अनुभवों ने |

क्या कहा हर्षद ने

ये घटना आज से कोई तीन साल पहले की है | हर्षद ने बताया कि उसे भूत प्रेतों पर यकीन तो था लेकिन इससे पहले उसे कभी कोई ऐसा अनुभव नहीं हुआ था जो उसे डरा सके | गणेश मंदिर के पास में ही रहने वाले हर्षद का मूड उस दिन खराब था क्योंकि दो दिन पहले ही उसकी चाची का देहांत हुआ था |

अपनी कजिन जलपा से बात करके जैसे ही हर्षद ने फ़ोन काटा, उसके मोबाइल की डिजिटल वॉच ने रात के आठ बजके दो मिनट का समय बताया | अपने मित्र मिलिंद की प्रतीक्षा करते हुए उसे लगभग पौना घंटा हो चुका था, लेकिन मिलिंद अभी तक नहीं पहुँचा था | बीच पर चलते हुए उसे अभी दस मिनट ही बीते थे कि उसे अपने पीछे किसी के चलने की स्पष्ट आहट सुनाई दी |

उसने झटके से पीछे मुड़ कर देखा लेकिन वहाँ दूर-दूर तक कोई नहीं था | उस दिन पूर्ण चन्द्रमा की रात्रि थी इस लिए दूर तक सब कुछ साफ़ दिख रहा था | हर्षद ने बताया कि उस दिन पहली बार उसे किसी अनजान चीज से डर लगा क्योंकि उसने स्पष्ट रूप से किसी के चलने की आहट सुनी थी, अपने से कोई पाँच फ़ीट पीछे | उसने बताया कि जब थोड़ी देर तक खड़े रहने पर भी कुछ नहीं हुआ तो वह फिर आगे बढ़ा |

थोड़ी दूर चलने के बाद सामने से मिलिंद आता दिखाई दिया जिसे देख कर उसका मन खुश हो गया | मिलिन्द को, अपने थोड़ी देर पहले हुए अनुभव को सुनाने की इतनी उत्सुकता थी हर्षद को कि उसने उससे देर से आने का कारण ही नहीं पूछा | अपने साथ चल रहे मिलिंद को अपना रोमांचक अनुभव बताने के दौरान हर्षद के दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी, और इस बात का उसे अहसास भी था |

लगभग पांच मिनट तक लगातार बोलने का उसका क्रम टूटा, उसके मोबाइल की रिंगटोन से | “एक मिनट रुक तुझे बताता हूँ” कह कर हर्षद थोड़ा आगे बढ़ गया और मोबाइल को अपने कान से लगा कर बोला “हेलो” | जवाब में उधर से एक महिला की खरखराहट के साथ आवाज उभरी “हेलो, आप हर्षद पटेल बोल रहे हैं?, आपके फ्रेंड मिलिंद का एक्सीडेंट हो गया है, उनकी हालत यहाँ सीरियस है आप जल्दी पहुंचिए, हॉस्पिटल का एड्रेस आपको sms किया जा रहा है”|

फोन कटते ही हर्षद ने पीछे मुड़कर देखा फिर तेजी से अपने आस-पास देखा लेकिन कहीं कोई नहीं था | हर्षद को मानो काठ मार गया | उसे अपने पेअर इतने भारी महसूस हो रहे थे कि वो उठ ही नहीं रहे थे | किसी तरह से वह हॉस्पिटल पहुँचा, वहाँ मिलिंद के माता-पिता पहले ही पहुँच चुके थे | बाद में हर्षद ने मुझे बताया कि उसके मोबाइल पर फ़ोन आने के आधा घंटा पहले ही मिलिंद हॉस्पिटल में मर चुका था|

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