प्रसिद्ध विद्वान रेने देकार्ते का जीवन कई पैरानोर्मल घटनाओं का साक्षी रहा है | आज से करीब 350 वर्ष पूर्व हुए प्रसिद्ध फ्राँसीसी दार्शनिक रेने देकार्ते ने अपना जीवन सेना में नौकरी से आरम्भ किया था। बहुत दिनोँ तक वह सैनिक जीवन में रहे लेकिन सैनिक जीवन की कठिनाइयों को सहने से वह इस जिंदगी से तंग आ गये थे।
वे बस किसी तरह से अपने दिन काट रहे थे। लेकिन रेने देकार्ते के मष्तिष्क में कुछ और ही चल रहा था | केवल आजीविका के लिए वो अपने सैन्य जीवन को किसी तरह से बस निभा रहे थे |
उसी दौरान पूर्णमासी की एक रात को उन्होंने एक विचित्र स्वप्न देखा जो उनके भविष्य की तरफ स्पष्ट रूप से संकेत कर रहा था | उस स्वप्न ने उनके जीवन की दिशाधारा ही नहीं मोड़ दी, बल्कि उन्हें सैनिक जीवन से अवकाश प्राप्त करने का रास्ता भी सुझा दिया। अगली सुबह रेने देकार्ते काफी प्रसन्न और तारो ताज़ा महसूस कर रहे थे | वो सपना उन्हें गणित और दर्शन के एक प्रखर विद्वान के रूप में स्थापित कर रहा था |
उस स्वप्न के आधार पर उन्होंने गणित और दर्शन के समन्वय का ऐसा प्रतिपादन किया जिसने यूरोपीय जगत के दार्शनिक चिन्तन को एक नई दिशा दे डाली और रेने देकार्ते अपने समय के एक अद्वितीय विद्वान बनें |
जहाँ तक स्वप्नों की बात है तो प्रख्यात गणितज्ञ हेनरी फेहर ने गणित के 38 विद्वानों से उनके जीवन चिन्तन और विश्वासों के बारे में पूछा तो उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उन 38 विद्वानों में से 31 विद्वानों ने कठिनतम प्रश्न और प्रमेयों का हल अपने स्वप्न में ही किया था।
भारत के रामतीर्थ जी के सम्बन्ध में तो प्रसिद्ध है कि गणित का कोई कठिन प्रश्न आने पर वे उसे हल करने की भरसक कोशिश करते। फिर भी हल नहीं होता तो वे थक कर सो जाते थे और सोते समय स्वप्न में ही उन्हें अपने प्रश्नों का हल मिल जाता था। स्वप्नों की दुनिया निराली है लेकिन स्वप्नों के विज्ञान को बहुत कम लोग समझते हैं | जो इसे समझ सकता है वो इसका फायदा भी उठा सकता है |