रोहित श्रीवास्तव इस रॉयल कॉलोनी में नये-नये ही बसे था। उनके घर में अभी दो ही लोग थे। वह और उनकी वाइफ निशा। घर में अभी बाल-गोपालों का जन्म नहीं हुआ था। इसलिए रोहित और उनकी पत्नी अभी बच्चों की जिम्मेदारियों से दूर थे। रोहित और निशा की लव- मैरेज हुई थी। वह दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे।
साथ-साथ काम करते-करते कब दोनों में प्यार हो गया, पता ही न चला। पहले दोनों के माता-पिता इस शादी के लिये राजी ही नहीं थे। लेकिन दोनों के प्यार के सामने सबको झुकना पड़ा। फिर दोनों का विवाह बड़े धूम-धाम के साथ हुआ। शादी में रोहित को गिफ्ट में मिला रॉयल कॉलोनी का यह मकान, जो लंदन वाले मामा जी बनवाया था।
दोनों इस मकान में बहुत खुश थे। रोहित और उसकी पत्नी निशा को कंपनी के काम के सिलसिले में महीने में पंद्रह दिन आउट ऑफ स्टेशन रहना पड़ता था। इसीलिए रोहित की इच्छा थी कि छत वाला वन रूम सेट किराये पर उठा दिया जाये। ताकि उनके काम से दूसरे शहर में जाने पर भी घर सुरक्षित रहे। लेकिन मन में यही बात थी कि कोई ढंग का किरायेदार मिले जिस पर विश्वास करके घर छोड़ा जा सके।
इस बीच न जाने कितने लोग किराये पर रहने के लिये आये। लेकिन कोई भी रोहित को अपने मन माफिक नहीं लगा। इसीलिए उसने अभी तक अपना मकान किराये पर नहीं उठाया।
संडे का दिन था। रोहित और उसकी पत्नी दोनों की छुट्टी थी, इसलिए आज दोनों घर पर ही थे। रोहित और उसकी वाइफ निशा दोनों छत पर जाड़े की धूप में पर चाय पी रहे थे कि किसी ने उनके मकान की डोरबेल बजायी। निशा ने कहा कि रोहित तुम चले जाओ देखो कौन है? तब तक मैं यहाँ छत पर पौधों को पानी दे देती देती हूं।
रोहित छत से नीचे आया और उसने दरवाजा खोला, देखा कि सामने एक महिला खड़ी थी। रोहित ने उसे पहले कभी नहीं देखा था। उसने उस महिला से पूछा कि आप कौन हैं और क्या चाहती हैं? उस महिला ने अपना परिचय दिया कि “मेरा नाम अर्चना है मैं एक वर्किंग लेडी हूं। मुझे पता चला है कि आपके यहां वन रूम सेट किराये के लिये खाली है। मुझे आवश्यकता है इसलिए आपके पास आयी हूं।”
रोहित ने उस महिला से पूछा कि ‘क्या आप अकेली ही रहेंगी?’ वह बोली कि ‘हां, फिलहाल तो मैं अकेली ही हूँ।’ रोहित ने उस अकेली महिला को अपना मकान किराये पर देना उचित नहीं समझा। इसलिए जब वह उस महिला से अपना कमरा किराये पर देने से मना करने ही जा रहा था कि तभी उस महिला ने रोहित की आँखों में आँखें डालकर कहा कि कमरा दे दीजिए प्लीज।
रोहित को लगा कि उस महिला की आँखों में अजीब सा सम्मोहन है। रोहित को लग रहा था कि उस महिला से मिलने के बाद उस पर कोई बाहरी शक्ति हावी हो गई है। वह अब अपने बस में नहीं है। वाकई उस महिला का जादू रोहित पर चल गया था। वह अपने मकान का कमरा उस महिला को देने के लिए मना नहीं कर पाया।
बल्कि बोल पड़ा ‘ठीक है देख लीजिए हमारा किराये पर उठाया जाने वाला पोर्शन, यदि आपको पसंद आये तो रह लीजिए।’ पीछे-पीछे रोहित की वाइफ निशा भी आ गयी। अब उस महिला को लगा कि कहीं बनती हुई बात बिगड़ ना जाये। कहीं निशा उसे अकेली जानकर उसे कमरा किराये पर देने से इंकार न कर दे।
इसलिये निशा को देखते ही बोल पड़ी कि ‘आप बरेली की हैं न?’ निशा बोली ‘नहीं मैं तो शाहजहाँपुर की हूँ। हाँ मैनें एम.बी.ए. बरेली से किया था।’ “बस-बस वहीं कॉलेज में आपसे मुलाकात हुई थी।” निशा ने कहा ‘मुझे याद नहीं आ रहा है।’ किराये के लिये आयी उस महिला ने निशा की आँखों में आँखें डाल कर कहा कि ‘अब कुछ याद आया?’
निशा बोली ‘हाँ… हाँ, अब कुछ याद आ रहा है।’ मतलब यह कि निशा भी उस महिला के सम्मोहन के जादू में फंस चुकी थी। निशा भी अब उसके वश में आ गई थी। उस अकेली महिला को बिना जाने-बुझे रोहित और निशा दोनों ही अपना मकान किराए पर देने के लिए तैयार हो गए थे।
निशा उस महिला अर्चना को अपने छत पर ले गयी, उसे अपना कमरा दिखाने के लिए। उस महिला को कमरा पसंद आ गया और उसी रात अपना सामान लाकर उनके मकान में शिफ्ट हो गयी। लेकिन बात-बात में अपने सम्मोहन का जादू चलाने वाली उस महिला की चालाकी देखिये कि रोहित और निशा के सो जाने पर ग्यारह बजे के बाद अपना सामान लेकर आयी।
रोहित और निशा से न जाने क्या वह छिपाना चाहती थी इसीलिए रात के अंधेरे में अपना सामान लायी थी। कहीं उसका संबंध किसी भूत -प्रेत से तो नहीं था। रोहित और निशा तो ज्यादातर कंपनी के काम से शहर के बाहर रहते थे। उसी महिला किरायेदार के हवाले सारा मकान रहता था। रोहित को कुछ दिनों में ही उसके हाव-भाव और रहन-सहन पर शक होने लगा।
उसका स्वभाव आम इंसानों की तरह नहीं था। वह कभी-कभी कूदती-फांदती, कभी रोती तो कभी हंसती तो कभी मकान की सबसे ऊँची पानी की टंकी पर जाकर बैठ जाती थी। रोहित कभी -कभी सोंचता था कि इस महिला के चाल-ढाल बड़े रहस्यमयी हैं। कहीं हमने किसी भूतनी को तो घर में नहीं रख लिया है? लेकिन फिर रोहित यही सोंचता था कि यह निशा की बरेली वाली सहेली है। हो सकता है मेरी उस महिला के प्रति गलत धारणा हो।
उस दिन रोहित किसी काम से दिन में घर पर ही रुक गया था। वह घर पर कंपनी का कोई काम निपटा रहा था कि उसे किसी के रोने की आवाज आयी। रोहित ने उस आवाज का पीछा किया। वह आवाज उसे छत पर ले गयी। वह आवाज उस महिला किरायेदार के कमरे से आ रही थी। उस समय वह महिला किरायेदार घर पर नहीं थी। छत के कमरे की खिड़की आदि सब कुछ बंद थी। इसलिए रोहित को कुछ पता नहीं लगा।
जब शाम को वह किरायेदार अर्चना बाहर से वापस आयी तो रोहित ने उससे पूछा कि तुम्हारे कमरे से सुबह किसी के रोने की आवाज आ रही थी। पहले तो वह यह सब सुनकर सकपकाई।
लेकिन फिर उसने अपने आप को संभाला और फिर बोली कि ‘शायद वह आपका भ्रम होगा। आप तो जानते ही हैं कि मैं अकेली रहती हूं।’ रोहित ने सोचा कि शायद वह ठीक कह रही है। हो सकता है कि उसके कानों को भ्रम हुआ हो। वह किरायेदार अपने कमरे में छत पर चली गयी।
लेकिन उस रात बारह बजे के लगभग फिर किसी के रोने की आवाज सुनाई देने लगी। रोहित अपने बिस्तर से उठ कर सीधे छत पर गया। तो उसका शक यकीन में बदल गया कि वह रोने की आवाज किरायेदार अर्चना के कमरे से ही आ रही थी। रोहित ने आधी खुली खिड़की से झांककर देखा तो भौचक्का रह गया।
उसकी किराएदार अर्चना बहुत डरावनी लग रही थी। उसके बाल बिखरे हुए थे। उसके सामने एक बिल्ली काले रंग की बैठी थी, जो जोरों से रो रही थी। अब रोहित को समझ में आ गया था कि उसने गलत महिला को अपना मकान किराये पर दे दिया है। अब उसे लग रहा था कि अपना नाम अर्चना बताने वाली वह महिला वास्तव में इंसान नहीं चुड़ैल है, जो इस तरह बिल्ली से खेल रही है।
वह मारे डर से काँपने लगा। इससे पहले कि वह वापस नीचे आता, उस चुड़ैल किरायेदार को इस बात का आभास हो गया था कि उसके इस रहस्य को किसी ने जान लिया है। उसने तेजी से अपना दरवाजा खोला और रोहित पर झपट पड़ी। ऐसा लग रहा था कि वह रोहित को मार डालने का प्रयास कर रही है।
रोहित अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था और वह उसका पीछा कर रही थी कि रोहित का पाँव छत पर रखीं कुर्सियों से जा टकराया और कुर्सियां गिर पड़ी। छत पर उठा-पटक की आवाज सुनकर निशा, जो नीचे सो रही थी जागकर छत पर आ गयी। जब उसने भी अपनी किरायेदार का चुड़ैल रूप देखा तो डर गई। लेकिन अगले ही पल उसने उससे मुकाबला करने का मन बना लिया।
कमरे में बिल्ली लगातार रो रही थी। उस चुड़ैल ने अब अपने दोनों हाथों से रोहित और निशा दोनों की गर्दन पकड़ ली। और उन्हें दबाने का प्रयास करने लगी। रोहित और उसकी पत्नी उस चुड़ैल से अपनी गर्दन को छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे। इस भागमभाग में रोहित की पत्नी का हाथ उस बिल्ली से जा टकराया।
बिल्ली से हाथ टकराने पर वह चुड़ैल घबरा गयी। तेजी से चिल्ला पड़ी कि ‘उस बिल्ली को मत छूना नहीं तो मैं तुम दोनों को खा जाऊँगी।’ अब निशा को यह पक्का विश्वास हो गया था इस बिल्ली और चुड़ैल का गहरा संबंध है। उसने बिना देरी किये उस बिल्ली को उठाकर छत के नीचे फेंक दिया।
बिल्ली के छत के नीचे गिरते ही वह चुड़ैल भी नहीं…नहीं..करती हुई छत से नीचे कूद गयी। थोड़ी देर में बिल्ली और चुड़ैल दोनों सड़क पर गिरकर मरे पड़े थे। रोहित और उसकी पत्नी छत के ऊपर से झांक रहे थे। वह दोनों पसीने- पसीने थे।
चुड़ैल को मरा हुआ देखकर उन्हें अब सांस में सांस आयी थी। उन्हें लगा कि आज उन्होंने अपनी मौत को बहुत करीब से देखा था। रोहित सोंच रहा था कि यदि उस बिल्ली को छत से नीचे न फेंका जाता तो वह चुड़ैल हम दोनों को मार डालती।