मंदिर शब्द जुबान पर आते ही हमारे मन-मष्तिस्क में ऐसे स्थान की तस्वीर बन जाती है जो दीवारों से घिरी होगी ओर जहाँ मूर्ति स्थापित होगी। लेकिन हम जिस मंदिर की बात करने जा रहे हैं वह अदभुद है। वहाँ देवी, दीवारों से घिरी किसी मंदिर में स्थापित नहीं हैं और न ही वे किसी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं। क्योकि परमेश्वर और उनकी महमाया किसी स्थान विशेष से ही सम्बंधित नहीं हैं बल्कि, वह तो सर्वव्यापी हैं।
मरी माता मंदिर लखनऊ (mari mata mandir lucknow)
जी हाँ आज हम बात करने जा रहे हैं उन देवी की, जो प्रकृति के गोद में स्वछंद रूप में स्थापित, शक्ति स्वरूपा माँ हैं जो भक्तों पर अपनी कृपा वर्षा कर रहीं हैं। यह आस्था का स्थल है उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित मरी माता का मंदिर, जो लखनऊ -सुल्तानपुर हाईवे पर है।
मरी माता का इतिहास
लगभग 150 साल पुराना यह मरी माता का मंदिर, जहाँ भक्तों की उम्मीदों को जिंदा रखने वाली माँ निवास करती हैं। यहाँ न तो बड़े-बड़े भवन हैं और न ही बड़ी -बड़ी मूर्तियां। यहाँ है एक जलता हुआ छोटा सा दिया जो भक्तों की बड़ी से बड़ी मनौतियों कों पूरा करने की ताकत रखता है।
इस जगह की महिमा से अनजान व्यक्ति भी जब स्थान के पास से गुजरता है तो माता के प्रताप की चमक से प्रभावित हो जाता है। यहां मरी माता के मंदिर की राह में दूर-दूर तक सड़क के किनारे बंधी लाखों घंटियां पथिक को अपनी ओर खींचती हैं। यह वह घंटिया हैं जो भक्त अपनी मनो कामनाएं पूरी होने के बाद बांध गये।
मरी माता की कहानी (mari mata story)
यहाँ बंधी लाखों घंटिया अपनी अनगिनत कहानियां कह रहीं हैं। मैने देखा एक व्यक्ति को जो लड़खड़ाता हुआ लाठी के सहारे मंदिर की ओर आगे बढ़ रहा था। उससे पूछने पर पता चला कि वह व्यक्ति राजस्थान के अलवर जिले से आया है।
एक वर्ष पूर्व जब वह मरी माता के मंदिर आया था तो वह बिस्तर से उठ नहीं पाता था तब उसे कुछ लोग कंधे पर उठा कर यहाँ तक लेकर आये थे। लेकिन मरी माता की कृपा से वह अब चलने लायक हो गया। आज अपनी मनौती पूरी होने पर माँ के चरणों में नतमस्तक होकर उनके चरणों में प्रणाम करने और लोक आस्था के अनुसार मुताबिक घंटी चढ़ाने आया था।
मरी माता कौन है
एक महिला लखनऊ के ही अलीगंज इलाके से आयी थीं। उसने बताया कि उनकी बेटी बोल नहीं पाती थी लेकिन अब मरी माता की महिमा से मुँह से कुछ शब्द निकालने लगी है। ऐसे ही चमत्कारों की कितनी कहानियां यहाँ की हवाओं में तैर रहीं हैं। मैने मंदिर के पास ही बैठे एक बुजुर्ग व्यक्ति से सवाल किया कि क्या आपको पता है कि जिनके नाम पर यह मंदिर बना है वह मरी माता कौन हैं?
उन्होने बताया सती जी ने जब योग बल से आत्मदाह कर के जान दे दी थी तो तभी से उन्हें मरी माता भी कहा जाने लगा है। अब जा कर मुझे पता लगा था कि भोले बाबा भगवान शंकर जी की अर्धांगिनी माता सती का यह पावन स्थल है जहाँ दया और करुणा की नदियां बह रहीं हैं जिसमें श्रध्दालु डुबकी लगा रहे हैं।