बिजली महादेव मंदिर, जहां शिवलिंग पर आकाशीय बिजली गिरती है

बिजली महादेव मंदिरबिजली महादेव मंदिर, वहाँ सब कुछ टूटता है बिखरता है और फिर पहले की तरह जुड़ जाता है। देखने वाले लोग यही सोचते हैं कि यह हकीकत है या आंखों का भ्रम। लेकिन जो कुछ भी है वह सबके सामने होता है। क्योंकि यहाँ कुछ भी छिपा नहीं है। दरअसल यह रहस्यमय कहानी है एक शिव मंदिर की, जहाँ पर हर बारह वर्षों बाद आकाश से बिजली गिरती है और यहाँ सब कुछ तहस-नहस हो जाता है।

यहाँ तक की महादेव के इस मंदिर का शिवलिंग भी चकनाचूर हो जाता है। लेकिन इसे सृष्टि को रचने वाले की शक्ति कहें या प्रकृति का चमत्कार, कुछ समय बाद ही सब कुछ पहले की तरह नज़र आने लगता है जैसे कुछ हुआ ही न हो। भगवान का टूटा हुआ शिवलिंग भी पहले की तरह जुड़ जाता है।

जी हाँ, हम बात कर रहें हैं भगवान शंकर के प्रसिद्ध धाम बिजली महादेव मंदिर की, जहाँ हर बारह वर्षों बाद आकाशीय बिजली गिरती है। उस समय मंदिर के आस-पास का दृश्य इतना भयावह हो जाता है कि ऐसा लगता है भगवान शंकर खुद तांडव नृत्य कर रहें हों।

प्रभु की लीला प्रभु ही जानें। इस रहस्यमय मंदिर में बिजली गिरने से शिवलिंग का टूटना और फिर चमत्कार के फलस्वरूप टूटे हुए शिवलिंग का फिर से जुड़ जाना, इस मंदिर का अजीबोगरीब किस्सा है। यह वह पहेली है जो अनसुलझी है। यह मंदिर भारत के उन रहस्यमय जगहों में से एक है जहाँ के बारे में सुनते ही हमारा मुख आश्चर्य से खुला का खुला रह जाता है।

कहाँ है बिजली महादेव मंदिर

यहां भगवान शंकर की शिवलिंग पर आकाशीय बिजली गिरने के कारण ही इस अनोखे मंदिर को बिजली महादेव का नाम ही दे दिया गया है। यह अदभुद मंदिर है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में। बिजली महादेव के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर कुल्लू शहर में व्यास ओर पार्वती नदी के संगम के निकट एक पर्वत पर स्थित है।

यह मंदिर अति प्राचीन है। हर बारह वर्षों बाद यहां एक भूचाल आता है। आकाश से बिजलियां गिरने लगती है। जिसके कारण यहां के मंदिर का शिवलिंग टुकड़े -टुकड़े हो जाता है। लेकिन मंदिर के पुजारी उस टूटे हुये शिवलिंग को हटाते नहीं है।

बल्कि मक्खन के द्वारा शिवलिंग को फिर से जोड़कर ठीक-ठाक कर दिया जाता है। यहाँ के मंदिर का चमत्कार देखने योग्य है। कुछ ही माह के पश्चात टूटा हुआ शिवलिंग फिर पूर्व की भांति ठोस रूप में बदल जाता है।

पूरी कुल्लू घाटी में भगवान शिव विराजते हैं

यहां हिमाचल प्रदेश के कुल्लु के कण-कण में भगवान शिव बसते हैं। यदि हम पूरी कुल्लू घाटी को ध्यान से देखें तो ऐसा लगता है कि यह घाटी एक विशालकाय सर्प के आकार की है। कहा जाता है कि यहाँ एक विशालकाय सर्प का भगवान शिव ने वध किया था। जिस सर्प ने मरने के पश्चात पहाड़ का रूप धारण कर लिया।

यहाँ कुल्लू में बिजली गिरने के रहस्य के बारे पौराणिक कथा यही कही जाती है कि भगवान शंकर ने दानव शक्ति के विध्वंस के लिये यहाँ इंद्र देव को बिजली गिराने का आदेश दिया था। तभी से यहां पर हर बारह वर्षों में बिजली गिरती आ रही है।

अब इस आकाशीय बिजली को भगवान शंकर अपनी शिवलिंग पर धारण कर लेते हैं ताकि बिजली गिरने का प्रभाव कहीं अन्य स्थान पर न हो और पृथ्वी लोक के लोग सुरक्षित रहें ओर उन्हें कोई नुकसान न पहुंचे। कुल्लु शहर से लगभग सात किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित बिजली महादेव का यह मंदिर समुद्र स्तर से 2450 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

सर्दी के मौसम में यहाँ भारी बर्फबारी होती है। लेकिन मौसम ठंडा हो या गर्म हर मौसम में दर्शन के लिये भक्तों की भीड़ लगी रहती है क्योंकि इस पूरे कुल्लू क्षेत्र में महादेव यहाँ के सर्व प्रिय भगवान् हैं। लोग दूर-दूर से बिजली महादेव के मंदिर में अपनी हाजिरी लगाने आते हैं।

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