एक खटमल था । उसके बाल-बच्चे भी थे । बाल-बच्चों के भी बाल बच्चे थे । खटमल का बहुत बड़ा कुटुंब था । वह अपने बहुत बड़े कुटुंब के साथ राजा के पलंग में निवास करता था । खटमल बड़ा बुद्धिमान था | उसने अपने कुटुंब के लोगों को शिक्षा दे रखी थी, “यदि राजा के पलंग में रहना है, तो समय-असमय का ध्यान रखना होगा । राजा को उसी समय काटना होगा, जब वह शराब पीकर गाढ़ी नींद में सोया हुआ हो ।
इसके विपरीत, यदि कोई राजा के रक्त को चूसने का प्रयत्न करेगा, तो वह तो मार ही डाला जाएगा, कुटुंब के अन्य लोग भी निर्दयतापूर्वक मार डाले जाएंगे।” परिवार के सभी खटमल उसकी दी हुई शिक्षा के अनुसार ही काम करते थे । वे राजा को कभी भी उस समय नहीं काटते थे, जब वह जागता रहता था | फलतः खटमल अपने पूरे परिवार के साथ बड़े सुख से रहता था |
राजा को पता नहीं चलता था, इसलिए वह कभी भी खटमलों को मारने का प्रयत्न नहीं करता था । कुछ दिनों के बाद एक दिन कहीं से एक मच्छर उड़ता हुआ आ गया । वह राजा के कोमल बिस्तरे पर लोट-पोट होने लगा । उसे जब बिस्तर अधिक मुलायम लगा, तो वह उस पर जोर से उछलने-कूदने लगा । खटमल ने मच्छर को देख लिया ।
उसने प्रश्न किया, “तुम कौन हो और कहां से आए हो ?” मच्छर ने उत्तर दिया, “मैं मच्छर हूं । गंदे पानी के नाले में रहता हूं । वाह, वाह, यह बिस्तर तो बड़ा मुलायम है !” खटमल ने उत्तर दिया, “मुलायम नहीं होगा, तो क्या कठोर होगा ? यह राजा का बिस्तर है । इसे गंदा मत करो । भाग जाओ यहां से ।”
मच्छर बोला, “यह राजा का बिस्तर है? तब तो राजा इस पर अवश्य सोता होगा अरे भाई, मैं तुम्हारा मेहमान हूं । मेहमान को इस प्रकार भगाया नहीं जाता | मुझे भी जरा इस मुलायम बिस्तर का आनंद तो लेने दो !” खटमल बोल उठा, “नहीं-नहीं, तुम मेरे मेहमान नहीं हो सकते । मैं तुम्हें राजा के बिस्तर पर लोटने नहीं दूंगा । तुम भाग जाओ यहां से ।”
मच्छर विनती करने लगा, नम्रता से कहने लगा, “बस, आज रात-भर रहने दो । मैं अब तक अनेक मनुष्यों के रक्त का स्वाद ले चुका हूं, पर कभी राजा का रक्त चूसने का अवसर नहीं मिला । राजा अच्छे-अच्छे भोजन खाता होगा । अवश्य, उसका रक्त मीठा होगा । मुझ पर दया करो । मुझे राजा के रक्त का स्वाद ले लेने दो ।”
खटमल बोला, “अभी तो मुलायम बिस्तर पर लोट-पोट करने की बात कर रहे थे, अब रक्त चूसने की बात करने लगे | बड़े प्रपंची लग रहे हो । मैं तुम्हें यहां नहीं रहने दूंगा । जाओ, भाग जाओ यहां से ।” खटमल ने मच्छर से बराबर यही कहा कि तुम भाग जाओ यहां से, पर मच्छर खटमल से बराबर विनती करता रहा कि मैंने कभी किसी राजा का रक्त नहीं चखा है ।
कृपया आज मुझे राजा के रक्त को चखकर यह जान लेने दो कि उसका स्वाद कैसा होगा ?” मच्छर ने जब बार-बार प्रार्थना की, तो खटमल के मन में दया उत्पन्न हो उठी । उसने कहा, “अच्छी बात है। तुम एक रात यहां रह सकते हो, पर राजा का रक्त चूसने के संबंध में तुम्हें मेरी शर्त माननी होगी ।” मच्छर बोला, “बताओ, तुम्हारी शर्त क्या है ?”
खटमल ने कहा, “तुम्हें दो बातों का ध्यान रखना होगा । एक तो यह कि जब राजा गाढ़ी नींद में सो जाएगा, तभी तुम उसे काटोगे। और दूसरी बात यह कि तुम राजा के पैरों के तलुओं को छोड़कर और कहीं नहीं काटोगे ।” मच्छर बोला, “मुझे तुम्हारी शर्ते मंजूर हैं । मैं तुम्हें वचन देता हूं, तुम्हारी दोनों बातों का ध्यान रखूगा ।” मच्छर के वचन देने पर खटमल चला गया और मच्छर स्वतंत्रतापूर्वक पलंग पर उछलने-कूदने लगा ।
धीरे-धीरे दिन बीता । शाम हुई और शाम के बाद रात आई । राजा खा-पीकर पलंग पर सोने लगा । पर कुछ देर तक उसे नींद नहीं आई | राजा को देखकर मच्छर के मन में लोभ पैदा हो गया | उसने सोचा, कैसा हृष्ट-पुष्ट है ! इसका रक्त अवश्य बड़ा मीठा होगा | खटमल ने कहा था, जब राजा को गाढ़ी नींद जाए तभी काटना, पर न जाने इसे गाढ़ी नींद कब आएगी ! ऊंह, गाढ़ी नींद आए या न आए, मैं तो अभी काटूंगा । ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता ।
खटमल ने यह भी कहा था | कि पैरों के तलुओं को छोड़कर और कहीं मत काटना, पर इससे क्या होता है? जैसे पैरो के तलुए, वैसे ही शरीर के दूसरे अंग | मैं तलुओं में न काटकर गरदन में काटूंगा । गरदन में रक्त भी अधिक होता है । बस, फिर क्या था ! मच्छर ने राजा की गरदन में डंक गड़ाने आरंभ कर दिए- एक बार, दो बार, तीन बार ।
राजा घबरा उठा । उसने अपना दाहिना हाथ गरदन पर जोर से मारा–पटाक, पर मच्छर उड़कर भाग गया । पकड़ में नहीं आया । राजा व्याकुल होकर नौकरों को पुकारकर बोला, “न जाने किस कीड़े ने मेरी गरदन में काट लिया । बड़ी जलन हो रही है ।
“बिस्तर और पलंग को झाड़कर देखो, क्या है? राजा पलंग से उठकर खड़ा हो गया । नौकर बिस्तर और पलंग को झाड़-झाड़कर देखने लगे | मच्छर तो भाग गया था । मिला खटमल और उसका कुटुंब । नौकरों ने सभी खटमलों को बीन-बीनकर मार डाला ।
कहानी से शिक्षा
किसी की चिकनी-चुपड़ी बातों में नहीं आना चाहिए | समझ-बूझकर किसी को घर में ठहराना चाहिए । लालची का विश्वास करने से हानि ही उठानी पड़ती है |