सिलाई मशीन का आविष्कार किसने और कब किया
आज घर-घर में सिलाई मशीन का प्रचलन है। कम ही लोग जानते हैं कि इसके आविष्कारक एलिआस हो (Elias Howe), हैं | और उनसे भी कम लोग जानते हैं कि इस मशीन का आविष्कार उन्होंने कैसे किया | दरअसल इस मशीन को बनाने के लिए एलियास हो को घोर मानसिक यातनाएं सहनी पड़ी थी। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, वर्ष 1846 में एलियास हो (Elias Howe) ने सिलाई मशीन का पेटेंट कराया था।
सिलाई मशीन का आविष्कार क्या किसी और ने भी किया था
ये वो समय था जब एक ही कालखंड में, अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग लोग एक ही मशीन के आविष्कार में लगे रहते थे। उस समय, आज के जमाने के तरह इंटरनेट, स्मार्टफोन्स या सोशल मीडिया जैसी चीजें तो होती नहीं थी, जो शोध सामग्रियाँ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो पाती। इसलिए अक्सर, अलग-अलग स्थानों पर शोध कर रहे शोधकर्ताओं को यह पता ही नहीं लग पाता कि वे एक ही मशीन के अविष्कार के लिए शोध कर रहे हैं।
कुछ दस्तावेज़ों के अनुसार सिलाई के कार्य के लिए बनाई जाने वाली पहली मशीन का आविष्कार ए. वाईसेन्थाल ने सन 1755 ईस्वी में किया था। कहा जाता है कि इस मशीन में जिस सुई का प्रयोग किया गया उसके दोनों सिरे नुकीले थे और धागा डालने के लिए उस सुई के मध्य में छेद था। हाँलाकि ये मशीन थोड़ा ही सिलने के पश्चात् फंस जाती और धागे इसके उलझ जाते इसलिए व्यवहारिक रूप से यह सिलाई मशीन अस्वीकार्य हो गयी और लोगों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
कुछ समय बाद वर्ष 1790 में थॉमस सेंट ने एक दूसरी सिलाई मशीन का आविष्कार किया। लेकिन उनकी सिलाई मशीन की सुई में भी मध्य में ही छेद था और दोनों सिरे नुकीले थे जिसकी वजह से उनकी मशीन भी अव्यवहारिक सिद्ध हुई। आगे चल कर सिलाई मशीन की इसी कमी को एलिआस हो (Elias Howe) ने दूर किया। इसीलिए सिलाई मशीन के आविष्कार का श्रेय एलिआस हो (Elias Howe) को ही दिया जाता है।
कौन थे एलिआस हो (Elias Howe)
एलिआस हो (Elias Howe) का जन्म साल 1819 में 9 जुलाई को, अमेरिका के मेसाचुसेट्स में हुआ था। उन्हें बचपन से ही मशीनों में दिलचस्पी थी। शुरुआती शिक्षा और फिर कॉलेज की पढ़ाई के बाद उन्होंने वर्ष 1835 में अमेरिका की एक टेक्सटाइल कंपनी में बतौर ट्रेनी अपने करियर की शुरुआत की। कुछ समय पश्चात् उन्हें वर्ष 1846 में सिलाई मशीन के लॉकस्टिच डिजाइन के लिए पहले अमेरिकी पेटेंट पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था।
सिलाई मशीन का आविष्कार कैसे हुआ
असल में हुआ यह था कि मशीन तो एलिआस हो द्वारा बना ली गई थी पर उन्हें यह नहीं समझ में आ रहा था की सुई में धागा कहाँ से डाला जाए कि वह धागा नीचे अपने आप खींच ले। एलिआस इसी उधेड़बुन में बहुत दिन से पड़े थे लेकिन उन्हें समझ में कुछ नहीं आ रहा था |
हाथ की सुई की तरह आखिरी छोर से लेकर होते हुए, सुई के बीच में छेद बनाकर सब तरह से प्रयोग कर डाले लेकिन सफलता नहीं ही मिलती दिखाई दी एलिआस को। अन्ततः वह निराश हो गए। अपना प्रयोग विफल होने की घोषणा करने के बाद उस दिन निराश और थके मन से बिस्तर पर लेटे। पता नहीं कब नींद आ गई उन्हें पता ही नहीं चला | लेकिन नींद में उन्होंने एक सपना देखा, बिलकुल जीवंत सपना ।
सिलाई मशीन का आविष्कार एक सपने में हुआ
उनका सपना इस प्रकार से था कि जंगली जाति के कुछ लोग ‘हो’ को पकड़ कर अपने राजा के पास ले गए तथा राजा को बताया कि इस व्यक्ति ने सिलाई मशीन बनाई है, लेकिन उसे चालू नहीं कर पाया है, उनके राजा ने सारी बातें सुनी और फिर एलिआस को बिना कोई स्पष्टीकरण का मौका दिए यह शाही फरमान निकाल दिया गया कि यदि 24 घण्टे के भीतर सिलाई की मशीन चालू नहीं की गई तो उसे यानी एलियास को भाले से मार दिया जाए।
डर के मारे एलियास ने देखा कि उसे चारों ओर से हाथ में भाला लिए सैनिकों ने घेर रखा है, बीच में आग जल रही है और उस आग की रोशनी में भालों की नोंक चमक रही हैं | भयभीत हो का ध्यान भालों की नोक पर केन्द्रित हो गया, उनमें छेद हो रहे थे।
सिलाई मशीन का आविष्कार, एक सपने में यंत्रणा झेलते हुए एलियास हो ने किया
अचानक ही एलिआस की आंखें खुल गई और वह बिस्तर से उठे तथा सुई निकाल कर उसका नीचे वाला हिस्सा लोहे से काटा तथा नोक वाले हिस्से में छेद किया। अब अपनी इस सुई को उन्होंने मशीन पर चढ़ा दिया और मशीन चल निकली।
पिछले दिन विफल घोषित कर दिया गया आविष्कार एक सपना देखकर ही सफल हो गया। इस तरह से एक सपने में यंत्रणा झेलते हुए एलियास हो ने सिलाई मशीन का अविष्कार किया |