 वास्तव में योगनिद्रा एक बड़ी ही रहस्यमय क्रिया है | सपनो द्वारा अपने किसी प्रिय पात्र को पूर्वाभास कराना, किसी होने वाली घटना से पहले ही सजग करना अथवा कोई महत्वपूर्ण सन्देश देना सम्मोहन क्रिया का एक अंग है।
वास्तव में योगनिद्रा एक बड़ी ही रहस्यमय क्रिया है | सपनो द्वारा अपने किसी प्रिय पात्र को पूर्वाभास कराना, किसी होने वाली घटना से पहले ही सजग करना अथवा कोई महत्वपूर्ण सन्देश देना सम्मोहन क्रिया का एक अंग है।
भारतीय योगी जन, सिद्ध और सन्त एकाग्र चित्त से अपनी भावनायें प्रेक्षित कर इस तरह के संदेश दिया करते हैं लेकिन कई बार लोग अपनी विकट वासना और दूषित मानस पटल के कारण इन संदेशों को ग्रहण न कर पायें तो यह दूसरी बात है पर इस तथ्य की सत्यता पूर्ण प्रमाण सम्मत है।
इस बात को प्रमाणित करती हुई यह घटना उन दिनों की है जब रूस में क्रान्ति हो रही थी | वहाँ के डेनियल वेबर नामक एक प्रसिद्ध विचारक ने उन दिनों चीन में एक तंत्र-मन्त्र और यौगिक शक्तियों के धनी, बौद्ध लामा के बारे में सुन रखा था कि वह किसी भी व्यक्ति को उसके पिछले जन्म की घटनाओं को स्वप्न में दिखा देने की क्षमता रखता है।
मिस्टर डेनियल वेबर उस ताँत्रिक से एक बौद्ध मंदिर में तय समयानुसार मिले | मिस्टर वेबर के अनुरोध पर उस बौद्ध लामा ने एक नवयुवक पर यह करके दिखाया। योग-निद्रा-में स्वप्न की अनुभूति कराने के बाद लामा ने पाल नामक उस युवक से पूछा, तुमने क्या देखा?
उसने बताया कि मैं रूस के सेन्ट पिट्सबर्ग नगर में हूँ। मेरी प्रेमिका एक बड़े शीशे के सामने खड़ी श्रृंगार कर रही है। उसे उसकी दासियाँ “क्रास आफ अलेक्जेन्डर” हीरे की अँगूठियाँ पहना रही है | मैंने उसे मना किया कि नहीं तुम यह अँगूठी मत पहनो। मैंने सारी बातचीत रूसी भाषा में ही की। अपनी प्रेमिका से मिलन का यह स्वप्न बड़ा ही सुन्दर रहा।
वह नवयुवक अपनी आँखे बंद किये अपने अनुभव को बता ही रहा था कि तभी उसे एक दूसरा स्वप्न भी दिखाई दिया। थोड़ी देर के मौन के बाद उसने बताया कि “मैंने अपने आपको एक परिवर्तित दृश्य में निर्जन रेगिस्तान में पाया। मेरे दो बच्चे भूख से तड़प रहे हैं पर मैं उनके लिए भोजन नहीं जुटा पाया। मुझे एक ऊँट ने मेरे हाथ में काट लिया। मेरा अन्त बड़ी दुःखद स्थिति में हुआ”।
अपने सामने यह हैरतंगेज़ घटना देखने के बाद डॉ. बेबर रूस लौट आये । कुछ सालों बाद दैवयोग से एक बार सेंट पिट्सबर्ग में उनकी भेंट एक स्त्री से हुई। उससे इस बात का दौर चल पड़ा तो वह एकाएक चौंकी और बोली आप जिस महल की बातें बता रहे हैं वह मेरा ही हवेली है और मेरे पास “क्रॉस ऑफ एलेक्जंडर” हीरे की अँगूठी थी भी मैं उसे कई बार पहनना चाहा करती थी किन्तु मेरा प्रेमी रास्पुटिन इसे पसंद नहीं करता था ठीक जिस तरह आपने पाल की घटना सुनाई वह मुझे यह अँगूठी पहनने से रोकता था |
साड़ी बातें सुन कर डॉ. बेबर हतप्रभ थे | डॉ. बेबर उस स्त्री के साथ उसके घर गये। हूबहू वही दृश्य जो स्वप्न में देखकर पाल ने बताये थे। डॉ. बेबर आश्चर्यचकित रह गये और उन्होंने माना कि स्वप्न सत्य था और यह भी कि जीवात्मा के पुनर्जन्म का सिद्धान्त मिथ्या नहीं है वे सहारा जाकर दूसरी घटना की भी जाँच करना चाहते थे पर कोई सूत्र न मिल पाने से वे निराश रह गये।
यह सत्य था कि उनको जितनी भी जानकारियाँ मिली उन्होंने उन मान्यताओं का समर्थन ही किया इन घटनाओं का उल्लेख प्रो. बेबर ने अपनी पुस्तक “द मेकर ऑफ हैवेनली ट्राउजर्स” में किया है।
