दिन 18 दिसंबर सन 2012, स्थान राजस्थान का एक खूबसूरत शहर जोधपुर ! एक आम दिन की तरह उस दिन की भी शुरुआत हुई थी लेकिन उस सुबह करीब 11:25 पर कुछ ऐसा हुआ जिसे जोधपुर के लोग कभी भूल नहीं पायेंगे | राजस्थान के गौरवशाली राजपूताने के अतीत को समेटे जोधपुर, राजस्थान का एक दर्शनीय शहर है | उस दिन भगवान् भास्कर की रश्मियों ने अभी शहर को अपने आलोक से सरोबार किया ही था कि जोधपुर के आसमान में एक कर्णभेदी धमाका हुआ |
धमाका इतना जोरदार था कि लोग, जो अपने घरो में थे, भौचक्के होकर घरों से बहार निकल आये ये देखने के लिए कि आखिर ये किसका धमाका था? वहां के प्रत्यक्ष अनुभवियों ने बताया कि धमाका कुछ ऐसा था जैसे कोई जेट फाइटर प्लेन बिलकुल आपके सर के ऊपर से गुजरा हो, लेकिन कुछ लोगों ने दावा किया ये आवाज़ उससे भी ज्यादे कर्णभेदी थी |
लेकिन सबसे बड़ा रहस्य उस आवाज़ के स्रोत यानि सोर्स का था जो की वहां था ही नहीं | यानि उस कर्णभेदी आवाज़ का पता लगाने जब लोग सड़को पर और मैदान में आये तो उन्हें वहां ऐसा कुछ भी नहीं दिखा जो इस बात की गवाही दे सके कि ये आवाज़ उससे आई थी |
यद्यपि ये आवाज़ एक अत्यंत भीषण विस्फोट की थी किन्तु इस विस्फ़ोटक आवाज़ से ज्यादे इस बात ने आतंक मचाया कि उसी समय, इस रहस्यमय आवाज़ के बाद,जोधपुर की जनता के मन में ये बात स्ट्राइक की कि “दुनिया के अंत की शुरुआत हो चुकी है” | ये बात सर्वविदित है कि माया सभ्यता के कैलेंडर की भविष्यवाणी के अनुसार दुनिया के अंत की तारीख 21 दिसंबर 2012 तय हुई थी |
आज हम सब जानते हैं की ऐसा कुछ नहीं हुआ और ये केवल परिकल्पना साबित हुई | लेकिन उस दिन यही भविष्यवाणी साक्षात् आतंक का पर्याय बनकर जोधपुर के लोगों के दिलो-दिमाग में छा गयी | इस एक रहस्यमय आवाज़ के बाद थोड़ी ही देर में अफ़वाहे भी फैलने लगी |
कुछ लोगों ने कहा कि ये विस्फ़ोटक आवाज़ एक नए किस्म के युद्धक विमान की टेस्टिंग है जो आवाज़ की गति से भी काफ़ी तेज़ गति से चलता है | कुछ लोगों ने ये बात भी फैलाई की शहर से थोड़ी ही दूर स्थित सेना के आयुध भंडार गृह में रखे गोला-बारूद में विस्फोट हुआ होगा | हांलाकि सेना ने ऐसी किसी भी घटना से साफ़ इनकार किया |
सेना के प्रवक्ता कर्नेल एस. डी. गोस्वामी ने सबके सामने कहा की ये कर्णभेदी आवाज़ किसी विस्फोट का नतीज़ा नहीं थी | उन्होंने आगे इस बात को भी जोड़ा कि ये किसी युद्धक विमान के परिक्षण का भी नतीज़ा नहीं है | उन्होंने बताया कि ऐसे विमानों का परीक्षण शहरी क्षेत्र में पूरी तरह प्रतिबंधित है |
उन्होंने समझाया की जब कोई विमान ध्वनि की गति से भी तीन गुना या पांच गुना तेज़ गति से उड़ता है (सुपर सोनिक या हाइपर सोनिक) तो उससे अपार मात्रा में ध्वनि उर्जा तरंगो के रूप में निकलती है, जो की शहरी क्षेत्रों में स्थित घरों को काफ़ी क्षति पहुंचा सकती है इसलिए ऐसे परीक्षण हमेशा शहर से कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी पर होते हैं |
तो इस प्रकार से उस दिन जोधपुर के आकाश में हुई कर्णभेदी आवाज़ आज भी रहस्य बनी हुई है | इस रहस्य से पर्दा उठेगा की नहीं ये तो समय बतायेगा |