चुनारगढ़ वाला भूत

चुनारगढ़ की बावड़ी वाला भूतमैं प्रसिद्ध चुनारगढ़ किले में उस दिन अपने मित्रों के साथ था। हर गर्मी की छुट्टी में, मैं और मेरे मित्र किसी न किसी डरावने या रहस्यमय स्थान पर घूमने का कार्यक्रम बनाते थे। इस बार हमने मिर्जापुर जिले के चुनारगढ़ किले में घूमने का प्रोग्राम बनाया था। यहाँ की रहस्य से भरी सुरंगें, डरावने तहखाने और अदभुद फाँसीघर को देखने की मुझे और मेरे मित्रों में बहुत जिज्ञासा थी।

लखनऊ से त्रिवेणी एक्सप्रेस से चलकर मैं और मेरे मित्र इस रहस्य की नगरी चुनार गढ़ में आ पहुँचे थे। यहाँ सड़क के दोनों ओर बिक्री के लिये सजे चीनी- मिट्टी के बर्तन और खिलौने, लोगों को अपनी ओर खींचते हैं। ऐसा लगता है कि उनकी खूबसूरत बनावट में अदभुद आकर्षण है।

यहाँ आकर पता लगा कि चुनार गढ़ में आत्माओं का डेरा भी है। इस चुनार के किले में मृत व्यक्तियों के भूत भी घूमा करते हैं जो कभी -कभी अपने मौजूद होने का अहसास यहाँ घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों को कराते रहते हैं। हम सारे दोस्त चुनार के किले की डरावनी जगहों की चर्चा करते हुये आगे बढ़ रहे थे। मेरे मित्र इस किले का डरावना फाँसी घर देखना चाहते थे और मैं यहाँ की बावड़ी।

इसलिये मेरा और मेरे दोस्तों का रास्ता अलग -अलग हो गया था। पहले मैनें सोचा अकेले इस किले में घूमना कोई समस्या न पैदा कर दे। लेकिन फिर अपने दिल को समझाया कि तू इतना कमजोर मत बन। जो होगा वह देखा जाएगा।

चुनारगढ़ की बावड़ी वाला भूत

दोपहर के तीन बज चुके थे। दोस्तों का साथ छोड़ कर मैं आगे चला आया था, जहाँ किले में पानी की बावड़ी थी। क्योंकि मुझे चुनारगढ़ किले की बावड़ियों को देखने का बहुत मन था। दरअसल चुनार गढ़ किले में पानी भरने की व्यवस्था के लिये बावड़ी बनी हुईं हैं। इन बावड़ियों की विचित्र बात यह है कि पानी भरने के लिये इन बावड़ियों में अंदर तक सीढ़ियां बनायी गयीं हैं, जो देखने में बहुत रहस्यमय लगती हैं।

मैं कौतूहलवश बावड़ियों के अंदर तक पहुँच गया। अब कुएं के अंदर जाती हुई सीढ़ियाँ सचमुच मुझे बहुत अनोखी लग रही थीं। मैं कल्पना कर रहा था कि कोई किस प्रकार पानी की बावड़ी में सीढ़ियां से अंदर उतरकर पानी भरता होगा? जिज्ञासावश मैं बावड़ी की सीढ़ियों के सहारे पानी की ओर नीचे उतरने लगा।

सीढ़ियों से नीचे उतरते समय मैंने देखा कि उस बावड़ी की दीवारों पर ना जाने कुछ लिखा हुआ है। उसकी लिपि मुझे समझ में नहीं आ रही थी। लेकिन फिर भी मैं ध्यान से उसी को समझने की कोशिश कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि इस बावड़ी की दीवार पर लिखी स्क्रिप्ट उसी समय की है जब यह चुनारगढ़ का किला बना होगा।

दीवारों पर बनी उन टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं को देखने में, मैं पूरी तरह तल्लीन हो गया था, कि तभी एक अविश्वसनीय घटना घट गयी। मुझे लगा कि मेरा बायाँ हाथ किसी ने पकड़ लिया है। मेरा हाथ जिस किसी ने पकड़ा था, वह नज़र नहीं आ रहा था। कहने का अर्थ यह कि मैं किसी भूत-प्रेत के कब्जे में आ गया था। मैं बुरी तरह से डर गया और उस भूत के चंगुल से बचने के लिये जोर-जोर से चिल्लाने लगा।

लेकिँन उस सुनसान जगह में मेरी आवाज कौन सुनता? मैंने अपना हाथ छुड़ाने की बहुत कोशिश की। लेकिन उस भूत से अपना हाथ नहीं छुड़ा पाया। वह अदृश्य हाथ, अब मुझे खींचकर बावड़ी की पानी की तरफ नीचे की ओर ले जा रहा था। मैं बहुत भयभीत था और अपनी जान बचाने के लिये पूरी ताकत से चिल्ला रहा था, लेकिन मेरी आवाज सुनने वाला वहाँ कोई नहीं था।

मुझे समझ में आ गया था कि यह भूत मुझे बावड़ी के पानी में डुबो देना चाहता है। लगता था कि आज मुझे चुनारगढ़ की बावड़ी में सजा ए मौत मिलने वाली है। मैं लगातार चीख रहा था कि तभी एक आश्चर्यजनक बात हुईं। मेरी आवाज शायद किसी दूसरे भूत ने सुन ली। मैंने महसूस किया कि मेरा दाहिना हाथ किसी ने पकड़ लिया है। वह हाथ मुझे बावड़ी से बाहर निकलने का प्रयास करने लगा।

अच्छी और बुरी आत्मा वाले भूत के बीच में, मै फंस गया

अब मेरी जान में जान आयी। अब मैंने महसूस किया कि मैं दरअसल बुरी और अच्छी आत्मा के भूत के बीच में फंस गया हूँ। बुरी आत्मा का भूत मुझे पानी की बावड़ी में नीचे की ओर ले जा रहा है ताकि वह मुझे डुबोकर मार डालें और अच्छी आत्मा मुझे पानी से बाहर निकालने का प्रयास कर रही है।

दोनों अच्छी बुरी आत्मा के बीच रस्साकशी शुरू हो गयी। रस्सी की जगह मैं था। मेरा एक हाथ एक भूत ने पकड़ा था और दूसरा हाथ दूसरे भूत के हाथ में था। दोनों खींच रहे थे विपरीत दिशा की ओर। बुरी आत्मा वाला भूत बार-बार अच्छी आत्मा वाले भूत पर हावी हो रहा था।

दूसरी ओर अच्छी आत्मा वाला भूत मुझे इस संकट बचाने की पूरी कोशिश कर रहा था कि तभी मैंने अनुभव किया कि कोई नई ताकत मुझे बचाने के लिए लग गई है। उस ताकत ने मेरी कमर पकड़ ली और वह अदृश्य शक्ति मुझे बावड़ी से बाहर निकाल रही थी। अब तो दो भूतों की ताकत के आगे बुरी आत्मा की पकड़ ढीली हो गई थी। दोनों अच्छी आत्माओं की भूतों के सहारे मैं उस बावड़ी के बाहर आ चुका था।

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