सोन गुफ़ा में छिपे हुए खजाने की कई कथाएं प्रसिद्ध हैं | भारत वर्ष के पूर्व में स्थित बिहार का एक छोटा सा कस्बेनुमा शहर ‘राजगीर’ जो की नालंदा जिले में आता है, प्राचीन होने के साथ-साथ कई मायनों में महत्वपूर्ण है | कभी ये शहर प्राचीन मगध की राजधानी और यहाँ का गौरव हुआ करता था |
और यहीं पर भगवान बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को बौद्ध धर्म का उपदेश दिया था | इसी राजगीर में स्थित है सोन भंडार गुफ़ा जिसके बारे में ये प्रसिद्ध है कि यहाँ अकूत स्वर्ण-भण्डार छिपा हुआ है | यहाँ हो सकने वाले अकूत स्वर्ण भण्डार की विशालता का आकलन किसी को नहीं है |
अधिकतर इतिहासविदों द्वारा यह खज़ाना मगध के सम्राट बिम्बिसार का बताया जाता है, हांलाकि कुछ लोग इसे बिम्बिसार के पूर्ववर्ती सम्राट जरासंध का भी बताते हैं लेकिन इस बात के अधिक प्रमाण है कि ये खज़ाना बिम्बिसार का ही है क्योकि इस गुफा के पास ही उस कारागार के अवशेष हैं जहाँ पर बिम्बिसार को उनके पुत्र अजातशत्रु ने बंदी बना कर रखा था |यह ऐतिहासिक तथ्य है |
यहाँ पर गौर करने वाली बात ये है कि ये बिम्बिसार, मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त के पुत्र तथा अशोकवर्धन के पिता नहीं थे बल्कि उनके भी लगभग 450 वर्ष पूर्व हुए सम्राट बिम्बिसार थे | इनका वर्णन पॉल ब्रंटन ने अपनी पुस्तक ‘गुप्त भारत की खोज’ में किया है | अब आते हैं इस गुफा पर | सोन भंडार गुफा में प्रवेश करते ही लगभग साढ़े दस मीटर लम्बा, साढ़े पांच मीटर चौड़ा तथा डेढ़ मीटर ऊंचा एक कक्ष आता है |
ये कक्ष उस खजाने की रक्षा करने वाले सैनिको के लिए था | इसी कक्ष की पिछली दीवार से खज़ाने तक पहुँचने का रास्ता जाता है | लेकिन इस रास्ते का प्रवेश-द्वार, पत्थर की एक बहुत बड़ी और कठोर चट्टान जैसे दरवाज़े से बंद किया हुआ है | इस दरवाज़े को आज तक कोई खोल नहीं पाया |
इस प्रकार से इस दरवाज़े के उस पार रखा अकूत स्वर्ण-भंडार और खज़ाना आज भी एक मिथक और रहस्य बना हुआ है | जब भारत पर अन्ग्रेज़ो का राज था तब एक बार खज़ाने के लालच में अन्ग्रेज़ो ने इस गुफ़ा के दरवाज़े को अपनी शक्तिशाली तोपों के गोलों से उड़ाने का प्रयास किया लेकिन वे इसमें असफल रहे | आज भी इस गुफा पर उन गोलों के निशान देखे जा सकते हैं |
अपनी सारी शक्तियों का प्रयोग कर लेने के बाद भी असफल हो जाने पर अन्ग्रेज़ लौट गए | इस गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि में कुछ लिखा है जो की आज तक नहीं पढ़ा जा सका है |कहा जाता है कि इसमें ही इस दरवाज़े को खोलने का तरीका लिखा हुआ है | कुछ लोगों का यह भी मानना है कि खज़ाने तक पहुँचने का यह रास्ता वैभावगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है, जो की सोन भंडार गुफा के दूसरी तरफ तक पहुँचती है |
इस सोन भंडार गुफ़ा के पास ही ऐसी ही एक और गुफ़ा है जो की आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुकी है इसका सामने का हिस्सा गिर चुका है | इस गुफा के दक्षिणी दीवार पर 6 जैन तीर्थंकरो की मूर्तियाँ उकेरी गयी हैं |