अपने ही देश में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जिसके निर्माण के 7 साल बाद ही भूतों ने उस स्टेशन पर अपना कब्जा कर लिया। तब उन भूतों को भगाने के लिए बहुत सारे उपाय किये गये। लेकिन भूतों ने उस रेलवे स्टेशन को नहीं छोड़ा।
फिर मजबूरी में सरकार को उस रेलवे स्टेशन को बंद करना पड़ा। आइए जानते हैं वह भूतिया रेलवे स्टेशन कौन सा है जिसकी हम बात कर रहें हैं और किस कारण से उस रेलवे स्टेशन पर भूतों ने अपना डेरा जमाया ? जानते हैं कि उन भूतों ने किस प्रकार रेलवे स्टेशन की व्यवस्था को तहस- नहस किया? यह भी जानेंगे कि बाद में उस रेलवे स्टेशन को उन भूतों से छुटकारा मिला भी या नहीं?
पश्चिम बंगाल का बेगुनकोडोर है बहुत डरावना रेलवे स्टेशन
वर्ष 1960 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में बेगुनकोडोर नाम के रेलवे स्टेशन की स्थापना की गई। बताते है कि स्थापना के सात साल बाद इस स्टेशन पर डरा देने वाली कुछ अनहोनी घटनाएं घटने लगीं। एक दिन इस स्टेशन से जब एक ट्रेन चल पड़ी तो उसके ड्राइवर को ऐसा लगा कि जैसे कोई महिला चिल्ला चिल्लाकर कह रही हो कि ड्राइवर साहब, गाड़ी रोक दो, मुझे भी ट्रेन में बैठ जाने दो।
भिनभिनाहट जैसी, किन्तु बिल्कुल स्पष्ट आवाज सुनकर रेल के ड्राइवर ने चलती गाड़ी से बाहर प्लेटफार्म पर झांक कर देखा, लेकिन वहां कोई महिला नहीं थी। ड्राइवर ने इसे अपना भ्रम समझ कर अपने काम पर ध्यान दिया। इसी स्टेशन का पोर्टर कहता था कि एक रात उसे इस रेलवे स्टेशन के ट्रैक पर, कुछ दूरी तक खून के छीटें दिखे, जो सुबह गायब थे।
मौत के बाद एक यात्री बन गई भूतनी
बताते हैं कि बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर नल से पानी लेने के लिए एक महिला पैसेंजर अपनी ट्रेन से नीचे उतरी, लेकिन जब तक वह अपनी बोतल में पानी भरती, तब तक ट्रेन चल पड़ी। इसके बाद वह अपनी गाड़ी की बोगी में पहुंचने के लिए दौड़ी, लेकिन चलती ट्रेन में चढ़ने से पहले ही उसका पांव फिसला और ट्रेन के नीचे आ गई और वहीं उसकी दर्दनाक मौत हो गई।
स्थानीय लोग बताते हैं कि उसका ही भूत आज भी बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर दिखाई देता है और लोगों को हैरान -परेशान करता रहता है। कभी कभी दिन मे भी रहस्यमयी घटनाएं घट जाती है और किसी प्रेतात्मा के होने का अहसास दिलाती है।
भूतनी के खौफ से बचने के लिए तेज रफ्तार में ट्रेनें गुजरने लगीं
कई बार ऐसा भी हुआ कि स्टेशन मास्टर की लाल झंडी उनकी टेबल से गायब हो जाती थी और वे ट्रेनें भी अपने आप बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर रूक जाती थीं जिनका स्टॉपेज इस स्टेशन पर नहीं भी होता था। कुछ यात्रियों को एक महिला के कटे हुए हाथ और बिना सिर का धड़ भी खिड़की से दिखाई दिया।
इस रेलवे स्टेशन पर भटकने वाली प्रेतात्मा का इतना अधिक आतंक हो गया कि यहां से आने- जाने वाली ट्रेनें फुल स्पीड से दौड़ने लगीं ताकि इस स्टेशन की भूतनी के चंगुल से बच जाएं।
कर्मचारी इस स्टेशन पर नौकरी करने से डरने लगे
कहा जाता है कि इस रेलवे स्टेशन पर होने वाली अजीबोगरीब घटनाओं के चलते रेल कर्मचारी इस स्टेशन पर काम करने से डरने लगे। एक अफवाह यह फैल गई कि रेलवे स्टेशन की प्रेतात्मा स्टेशन पर आने वाले हर कर्मचारी और यात्री को मार डालेगी।
इसके बाद रेल कर्मचारी इस स्टेशन से ट्रांसफर के लिए आवेदन करने लगे। लोगों में भय के चलते इस रेलवे स्टेशन को बंद करने का निर्णय ले लिया गया। अब लगभग 42 साल बंद रहने के बाद वर्ष 2009 में फिर से पूजा पाठ के बाद इस रेलवे स्टेशन को शुरू कर दिया गया है।