हनुमानगढ़ी मंदिर, क्या अयोध्या का सबसे प्राचीन मंदिर है

hanuman garhi temple

आज हम आपको पवन पुत्र हनुमान जी के उस मनोहर रूप के दर्शन कराने जा रहें हैं जहाँ हनुमान जी एक कोतवाल की भांति अपने भक्तों की रक्षा हेतु इस धाम में विराजमान हैं। इस मंदिर की एक नहीं, कई विशेष बातें भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस धाम की सबसे प्रमुख बात यह है़ कि इस पावन स्थल पर बजरंगबली अपनी माँ अंजनी के साथ अपने भक्तों को दर्शन दे रहें हैं। इससे भी अनोखी बात यह कि यहाँ हनुमान जी अपनी माँ अंजनी की गोद में बैठें हैं।

कहा जाता है़ कि प्रभु के ऐसे अनुपम दर्शन विश्व में कहीं और नहीं हैं। क्योंकि यहाँ माँ अंजनी के लाल हनुमान जी अपने भक्तों के लिए परम कल्याणकारी स्वरूप में दर्शन देने के लिए विराजमान हैं। पंडित श्याम सुंदर कहते हैं कि इस मंदिर में भगवान का अदभुत रूप भक्तों को मंगल प्रदान करने वाला है़।

इस बजरंग बली के पावन धाम में हनुमान जी कण-कण में बसते हैं। यह भक्तों के लिए परम शक्ति का वह गढ़ है़ जहाँ आज भी पवन पुत्र हनुमान जी की उपस्थिति का आभास किया जाता है़। यहाँ भक्तगण दूर- दराज से त्रेता युग के बाहुबली मारुति नंदन के दर्शन कर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए वर्ष भर आते रहते हैं। फिर यह देव स्थान इस लिए भी प्रसिद्ध है़ क्योंकि यह पावन धाम भगवान श्री राम की कृपा पाने का मार्ग खोलता है़।

कहाँ है यह हनुमानगढ़ी मंदिर

हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में स्थित है। वैसे तो अयोध्या अधिकांश रूप से श्री राम मंदिर के लिए जानी जाती है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अयोध्या के तीर्थ स्थलों में हनुमानगढ़ी मंदिर को प्रथम स्थान दिया जाता है।

यह मंदिर एक अत्यंत पवित्र धाम है। जहाँ मंदिर में युवा हनुमान जी अपनी माँ अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं। इस मूरत की सबसे अधिक विशेष बात यह है कि इस मूर्ति के दर्शन करने के पश्चात भक्तगण उस मूरत में कुछ पल को खो जाते हैं। उन्हें लगता है कि यह माँ अंजनी नहीं बल्कि उनकी ही माँ हैं।

क्या है इस हनुमानगढ़ी मंदिर की विशेष बात

ऐसी पौराणिक मान्यता है कि अयोध्या आने के पश्चात रामलला के दर्शन तब तक पूर्ण नहीं होते हैं जब तक भक्त हनुमानगढ़ी मंदिर के दर्शन न कर ले। यह सच है कि अयोध्या के प्रसिद्ध श्री राम मंदिर दर्शन करने के पूर्व भक्तगण पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में पवन पुत्र हनुमान के चरण स्पर्श करने जाते हैं।

और वहाँ स्थापित हनुमान जी से विनती करते हैं कि हे प्रभु, आप भी हमारे साथ श्री राम मंदिर चल दें। ताकि भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए हनुमान जी अपने प्रभु श्री राम से अपनी ओर से सिफारिश कर दें और भगवान श्री राम अयोध्या आये भक्तों की अर्ज शीघ्र सुन लें। इस मंदिर की यह अदभुत परंपरा सदियों पुरानी है़।

क्यों करते हैं भक्त श्री राम मंदिर के पहले हनुमानगढ़ी मंदिर के दर्शन

कहा जाता है कि जब लंका-विजय के पश्चात पवन सुत हनुमान जी, श्री राम जी के साथ अयोध्या लौटे तो उस समय हनुमान जी ने भगवान श्री राम से प्रार्थना की कि हे प्रभु, अब आप भी हमारे साथ यहीं रहें। प्रभु श्री राम जी ने तब हनुमान जी से कहा कि हे हनुमान चिंता मत करो, इस अयोध्या नगरी में आने वाले भक्त को तब तक उसके दर्शन का प्रतिफल नहीं मिलेगा जब तक की वह हनुमानगढ़ी होकर हमारे पास नहीं आयेगा।

हनुमान जी भगवान श्री राम जी की यह बात सुनते ही उनके चरणों में लोट गये। क्योंकि श्री राम ने अपने परम भक्त को अपने से ऊँची पदवी दे दी थी । कहते है़ कि उसी समय से यह परंपरा बन गयी कि अयोध्या आने पर प्रसिद्ध श्री राम मंदिर के दर्शन के पूर्व भक्तगण सरयू नदी में स्नान के उपरांत पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करते हैं तत्पश्चात श्री राम मंदिर को जाते हैं।

किसने बनवाया हनुमानगढ़ी मंदिर

अयोध्या का यह हनुमानगढ़ी मंदिर कब किसके द्वारा बनवाया गया , इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं मिलता है। कुछ पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि यह हनुमानगढ़ी मंदिर 10 वीं शताब्दी में बनवाया गया होगा। यह बात अवश्य महसूस की जाती है कि निश्चित रूप से यहाँ सब कुछ हनुमानमय है़।

यह वह स्थान है जहाँ का कण-कण हनुमान जी की गाथा सुना रहा है। अयोध्या में, 52 बीघा में फैला हुआ यह मंदिर आस्था का अनुपम धाम है। जहाँ आकर भक्तों को शक्ति, आरोग्य और ऊपरी बाधा से मुक्ति मिलती है ।

हनुमानगढ़ी मंदिर की 76 सीढ़ियाँ देती हैं अभय का वरदान

हनुमानगढ़ी में मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को वहाँ स्थित 76 सीढ़ियों का रास्ता तय करना होता है। कहा जाता है कि यह सीढ़ियाँ उन्हें बजरंग बली के माध्यम से श्री राम के शरण में ले जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इन सीढ़ियों को चढ़ते समय यदि कोई भक्त हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ कर लेता है तो उसके जीवन की तमाम मुश्किलें पवनसुत हनुमान हर लेते हैं। साथ ही उन्हें सर्व भय मुक्त कर आजीवन शक्ति का वरदान देते हैं। कहते हैं कि यहाँ आने के बाद हनुमान जी भक्तों के साथ उनके घर तक जाते हैं और अपने आश्रय की छाया प्रदान करते हैं।

विश्व के शीर्ष धामों में है हनुमानगढ़ी मंदिर

हनुमानगढ़ी मंदिर बहुत पावन स्थान है। ऐसा अदभुत दृश्य किसी अन्य धाम में देखने को नहीं मिलता है। हनुमानगढ़ी मंदिर बजरंग बली के उन मंदिरों में से एक है जहाँ आज भी हनुमान जी के होने का आभास होता है। बताया जाता है की मंदिर आरती के समय पवनसुत हनुमान जी स्वयं धाम में उपस्थित हो जाते हैं।

यहाँ कई बार आरती के दौरान तेज आँधियाँ चलने और घनघोर बारिश होने की घटनायें हुईं। लेकिन उन आंधियों में भी हनुमानगढ़ी मंदिर का दीपक टिमटिमाता रहा। क्योंकि उस रोशनी के पीछे पवन पुत्र हनुमान जी का दैवीय प्रभाव था। जिससे किसी भी शक्ति का टकराना असंभव है़।

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