जिस युग में हम रह रहे हैं उसे परमाणु युग कहा जाता है। आज विश्व के कई देशों में युद्ध से लेकर शान्तिपूर्ण उद्देश्यों तक के लिए परमाणु शक्ति का उपयोग हो रहा है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि परमाणु शक्ति के उपयोग की खोज कैसे हुई थी | ये तो हम सभी जानते हैं कि इस शक्ति के उपयोग की संभावना का पता सर्वप्रथम प्रसिद्ध वैज्ञानिक नील्स बोर ने लगाया था।
पिछली शताब्दी यानी बीसवीं सदी के प्रारम्भ में जब वह विज्ञान के विद्यार्थी थे, उस समय तक परमाणु के अस्तित्व का पता तो लगाया जा चुका था लेकिन किसी को यह मालूम नहीं था कि उसकी संरचना किस प्रकार की है। हांलाकि उस पर शोध का कार्य जारी था |
दुनिया भर के वैज्ञानिक इस गुत्थी को सुलझाने के लिए दिन-रात तरह-तरह के सैकड़ों प्रयोग कर रहे थे, लेकिन उनके लिए किसी भी निष्कर्ष पर पहुँच पाना संभव नहीं हो पा रहा था। छात्र जीवन से उत्साही वैज्ञानिक बने नील्स बोर भी उसके लिए प्रयासरत थे।
एक रात नील्स बोर ने एक बड़ा ही विचित्र स्वप्न देखा | उन्होंने देखा कि वे सूर्य के बीचों बीच उबलती हुई गैसों के गर्भ में खड़े है, तथा सूरज के चारों ओर अन्तरिक्ष में अनेक ग्रह चक्कर काट रहे हैं। इन ग्रहों को उन्होंने स्वप्न में ही एक पतले किन्तु बेहद मज़बूत तन्तु से जुड़े हुए देखा।
जब कोई ग्रह नील्स के पास से गुजरता था तो उन्हें ऐसा लगता था जैसे वे ग्रह उनसे कुछ कहते हुए जा रहे हैं। वे उनसे क्या कह रहे हैं ? यह नील्स बोर को स्पष्ट समझ में नहीं आ रहा था। देखते ही देखते जलती हुई गैसें शान्त हो गई, सूर्य ने ठोस रूप ग्रहण कर लिया और इसके बाद सब कुछ टूट कर बिखर गया।
और इसी के साथ उनका सपना भी टूटा लेकिन सपने में उन्हें जो कुछ दिखा था वह उनके मन मस्तिष्क पर इस कदर छाया रहा कि जागने के बाद भी एक-एक दृश्य याद आता रहा। अचानक नील्स के मन में न जाने कैसे यह विचार उठा कि सपने में जो कुछ देखा है, कहीं वही परमाणु रचना का भेद तो नहीं है।
यह सोचते ही वह अपने शोध कार्य में जुट गए और अनुसंधान के आधार पर पाया कि सचमुच परमाणु की संरचना उसी प्रकार की है। यह बात याद रखने योग्य है कि नील्स द्वारा पता लगाये गए परमाणु के रचना स्वरूप ने ही परमाणु भौतिकी की नींव डाली है, जिस आधार पर आज परमाणु ऊर्जा के विकास और उत्पादन की लम्बी-चौड़ी योजनाएं बनाई जाती है।