पाकिस्तान के कराची शहर की घटना है ये | देर रात का वक़्त था, हल्की-हल्की झींसी सी पड़ रही थी | जुलाई के महीने में वैसे भी बेवक्त बारिश होती रहती है | गैराज का काम निपटा कर अब्दुल रऊफ अपने घर की तरफ़ लौट रहे थे |
थोड़ी दूरी पर सड़क के किनारे उन्हें नीली साड़ी में एक नौजवान लड़की दिखाई दी | वह काफी परेशान दिख रही थी | हाँलाकि आस-पास सन्नाटा था जिससे रऊफ को लगा की शायद उसे घर जाने के लिए कोई सवारी नहीं मिली होगी, इसी से वो घबरा रही है | उन्होंने लड़की से बात की उसे अपनी स्कूटर पर बैठाया और उसके कहे अनुसार, उसे एक चौराहे के पास वाली गली के सामने उतार दिया |
लेकिन रऊफ मियां ने जैसे ही अपनी स्कूटर दोबारा स्टार्ट की, वो लड़की उनके सामने दो कदम चल कर हवा में ग़ायब हो गयी | रऊफ मियां को जितना बारिश ने नहीं भिगोया था, उससे ज्यादे वो पसीने से भीग गए | भय से दांत किटकिटा रहे थे रऊफ के |
अगली सुबह उन्होंने अपने मित्रों को पूरी घटना बतायी | हाँलाकि ज्यादातर लोगों ने उनकी बातों को कोरी गप्प समझा | लेकिन चार दिन बाद, 22 जुलाई 1979 की सुबह रऊफ मियाँ का इंतकाल हो गया | उन्हें तेज़ बुखार आया था | चर्चाओं का बाज़ार गर्म था | कुछ लोगों का यह भी कहना था कि रऊफ समंदर के किनारे बदहवास हालत में मिले थे | वहाँ से जब उन्हें लाया गया तो उनका शरीर तेज़ बुखार से तप रहा था |
परिवार वालों ने साज़िश की आशंका जताई और पुलिस थाने में शिकायत भी की | पुलिस ने अपनी जांच शुरू की | पुलिस की तफ्तीश में जो निकल कर आया उसके अनुसार अब्दुल रऊफ का क़त्ल नहीं हुआ था इसलिए किसी क़ातिल की तलाश भी नहीं हुई | मगर जांच के दौरान पुलिस को कई हैरतअंगेज़ बातें पता चली | पहली बार पूरा मामला सामने आया |
तक़रीबन दो साल पहले ताहिरा नाम की एक नौजवान लड़की, अपने भाई के साथ, अपनी सहेलियों के घर से वापस आ रही थी | रास्ते में एक सड़क पर उसकी कार के ब्रेक फेल हो गए | इससे पहले कि उसका भाई कार को रोक पाता, कार एक बिजली के खम्भे से टकरा कर उलट गयी | इस हादसे में ताहिरा की मौके पर ही मौत हो गयी |
कुछ लोगों का मानना था कि ताहिरा की एक्सीडेंटल मौत दरअसल एक साज़िश थी जिसमे वहीँ, कराची के ही एक उद्योगपति का हाँथ था जो ताहिरा को फाँसना चाहता था | इसके लिए ही उसने दुर्घटना का पूरा खेल रचा जिसमे उसने एक मैकेनिक और अपने एक पुलिस अधिकारी मित्र की मदद ली |
प्लानिंग थी कि दुर्घटना में ताहिरा के भाई की मौत हो जाए (क्योंकि कार वही चला रहा था) और ताहिरा अकेली पड़ जाए जिससे उसे आसानी से फांसा जा सके लेकिन हुआ इसका उल्टा और ताहिरा की मौत हो गयी | आश्चर्यजनक रूप से, ताहिरा की कार दुर्घटना में मौत के ठीक एक साल बाद कराची के उसी मशहूर उद्योगपति की कार दुर्घटना में मौत हो गयी |
इस दुर्घटना का वक़्त, हादसे का स्थान, वही था जो एक साल पहले ताहिरा की मौत का था | दुर्घटना के वक़्त, वहाँ खड़े चश्मदीदों का कहना था कि उन्होंने सड़क के किनारे एक नीली साड़ी वाली लड़की को उस वक़्त देखा, जब कार बिजली के खम्भे से टकराई थी | जबकि कार के सामने की तरफ़, कुछ ही दूरी पर, रात में गश्त करने वाले सिपाहियों का कहना था कि दुर्घटना के वक़्त उन्होंने कार के भीतर, ड्राइविंग सीट के बगल में, नीली साड़ी पहने एक खूबसूरत महिला को बैठे देखा था |
रहस्य गहरा था क्योंकि ऐसा कैसे संभव है कि एक ही लड़की कार के भीतर भी मौजूद हो और उसी समय कार के बाहर भी मौजूद हो | बहरहाल ऐसा प्रतीत होता है कि अपनी सीट के बगल में ताहिरा को बैठी देख कर उस उद्योगपति ने भय के मारे अपने होश खो दिए हों और ब्रेक की बजाय एक्सेलरेटर पर पैर रख दिया हो |
उस रात वो उद्योगपति एक नाईट क्लब से लौट रहा था | थोड़े फासले पर, उसके पीछे आ रहे उसके दोस्तों ने इसी घटना को थोड़ा अलग तथ्यों के साथ बताया | उसके दोस्तों ने अपनी आँखों देखी बात बतायी कि क्लब से थोड़ी दूरी पर एक खराब ट्यूबलाइट लगे खम्भे के नीचे एक नीली साड़ी पहने लड़की खड़ी थी | उसने उस बिजनेसमैन की गाड़ी को रोका |
उसके दोस्तों ने बताया कि अँधेरा होने की वजह से वे उस लड़की का चेहरा नहीं देख पाए लेकिन तुरंत ही उनके दोस्त की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया | अगर उस उद्योगपति के दोस्तों की बात सही माना जाय तो संभव है कि सामने से गाड़ी रोकने का ईशारा करने वाली लड़की को उसी समय कार में, अपनी बगल वाली सीट पर बैठा देख कर उसके होश उड़ गए हों और उसकी गाड़ी खम्भे से टकरा गयी हो |
अगले साल उन्ही दिनों के आस-पास अब्दुल रऊफ की भी मौत हुई | कहा जाता है कि अब्दुल रऊफ की मौत के एक साल बाद फिर उसी 17-18 जुलाई की रात को कराची स्थित कस्टम विभाग में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को, उसी स्थान पर वो नीली साड़ी वाली लड़की दिखाई दी | वह उस रास्ते से घर लौट रहे थे जब उस अजनबी लड़की ने उनकी कार को इशारा कर के रुकवाया |
उस लड़की ने उनको बताया कि वह एक हादसे में घायल हो गयी है और जल्दी घर पहुंचना चाह रही है | उस पुलिस अधिकारी ने खुद अपनी आँखों से उस लड़की की गर्दन पर ताज़ा ज़ख्मों के निशान देखे | वह उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाना चाह रहे थे मगर लड़की ने जिद की कि पहले मेरे घर ले चलो मुझे |
आश्चर्यजनक रूप से इस बार भी, जब वह अधिकारी उसे लेकर एक घर के सामने रुका तो उसमे भीतर जाने से पहले ही वह लड़की हवा में गायब हो गयी | इस घटना के तीसरे दिन, अफीम तस्करों के अड्डे पर छापा मारने के दौरान वह पुलिस अधिकारी उन अपराधियों की गोली का शिकार हो गया |
कहते हैं कि उस दिन के बाद से, कराची के प्रमुख राजमार्गों पर भी चलने वाले वाहनचालक, रात के वक़्त, कभी भी किसी नीली साड़ी वाली लड़की को देख कर नहीं रुकते विशेष तौर पर तब, जब महिना जुलाई का हो और तारीख़ 17 या 18 की हो तो |
पाकिस्तान के कराची में ये घटना आपको अलग-अलग तरीके से सुनने को मिल सकती है, काफ़ी वक़्त भी बीत चुका है इस घटना के बाद से | रहस्य जब अनसुलझे रह जाते हैं तो उनके इर्द-गिर्द कहानियों के झाले बुने जाने लगते हैं |
लेकिन इन्ही कहानियों में कुछ के पास, उस रहस्य की तह में जा कर उसे सुलझाने की क्षमता होती है | पर ऐसा जुनून कम ही लोगों में होता है, आखिरकार हम सभी जानते हैं कि किसी रहस्य में सम्मोहकता तभी तक होती है जब तक वो अनसुलझा है !