कहते हैं न कि हमारे सच्चे मित्र वास्तव में संबंधियों या रिश्तेदारों से बढ़कर होते हैं। उनके द्वारा दिये गये प्यार, स्नेह और अपनेपन की पूँजी जिस किसी को मिल जाती है़ वह मालामाल हो जाता है़। फिर दोस्ती यदि बचपन की हो तो और भी कीमती हो जाती है़ लेकिन यह समय का चक्र है़। हमारे बचपन के मित्र हमसे बिछड़ जाते है़।
वर्षों पुराना वह मित्र जो कभी हमारे साथ स्कूल में रहा होगा। एक ही क्लास की बेंच पर साथ-साथ बैठ कर पढ़ा होगा अथवा बचपन का वह दोस्त जिसके साथ आप ने मोहल्ले या गाँव खेले-कूदे।
बड़े हो जाने पर कभी-कभी यह सवाल मन में उठता होगा कि वह बिछड़ा मित्र अब हमको भूल गया या वह आज भी कभी-कभी याद करता है। कभी-कभी बचपन का वो प्यार जो आपको किसी लड़के या लड़की के साथ हुआ होगा ।
बड़े होने पर अक्सर जब आपको उसका ख्याल आता है तो मन उस समय में चला जाता है जब वह प्यारा मित्र आपके बहुत निकट था। समय बदलता गया आप उस स्थान से कहीं और चले जाते हैं।
पढ़ाई के बाद हम किसी नौकरी या व्यवसाय में व्यस्त हो जाते हैं तो कभी-कभी फुरसत के क्षणों में मन में अपने पुराने मित्रों का ख्याल आता है वह कहाँ होंगे? कैसे होंगे? उनका पता या मोबाइल नंबर हमारे पास नहीं होता।
उन पुराने मित्रों के साथ खिंचाये फोटोग्राफ भी न जाने कहाँ, किस जगह रखें होंगे। हम यह बात भूल जाते हैं। ऐसे में उन मित्रों की यादें ही केवल हमारे साथ होतीं हैं।
आज हम आपको एक ऐसा वह अचूक उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आप यह जान सकते हैं कि आपका बिछड़ा मित्र आज भी आपको याद करता है या नहीं।
इस उपाय में किसी मोबाइल फोन या पत्र आदि का सहारा नहीं लिया जाता। क्योंकि यह उपाय किसी प्राचीन काल के ज्योतिषी ने उस समय बताया होगा जब संचार का कोई माध्यम नहीं रहा होगा।
प्राचीन विद्वान ज्योतिषियों द्वारा सुझाये गये (अपने बिछड़े मित्र को जानने के) इस उपाय में न आपको टेलीफोन करने की जरूरत है और न ही पत्र लिखकर पूछने की। क्योंकि यह एक अनोखा उपाय हैं जिसको करने में आपका एक पैसा खर्च नहीं होता। फिर जो उपाय हम आपको बताने जा रहे हैं वह बड़े-बड़े सिद्ध महर्षियों द्वारा परखा गया है।
आपको बस इसके लिए अपनी आंखें मूंदकर उस बिछड़े मित्र का ध्यान करना है, जिस मित्र के बारे में आपको यह पता करना है कि वह आपको भूल गया या नहीं?
ध्यान करने के दौरान यदि आप के द्वारा उस मित्र का नाम (मानसिक रूप से) लेते ही उसकी तस्वीर आपके दिलो-दिमाग पर बनने लगती है। तो ऐसा निश्चय मान के चलिए कि वह बिछड़ा मित्र आपको आज तक भूला नहीं है। क्योंकि उसका नाम मस्तिष्क में लेते ही उसका चेहरा आपके मानस पटल पर बनने लगता है़।
लेकिन इसके विपरीत यदि उस मित्र का नाम लेने पर भी आपको उसका चेहरा याद नहीं आ रहा है तो यह शत प्रतिशत मान कर चलिए कि आपके बिछड़े मित्र ने आपको भुला दिया है।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आपको अपने बिछड़े मित्र का चेहरा पहले याद रहता है लेकिन धीरे-धीरे भूलता जाता है। यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि वह बिछड़ा मित्र पहले आपको याद करता था। जब तक आपको उसका चेहरा याद था। लेकिन धीरे-धीरे आप उस बिछड़े मित्र का चेहरा इसलिए भूलते जाते हैं क्योंकि उसने अब आपको भुला दिया है।
ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि कभी-कभी पुरानी किताबें या पुराने कागज उलटते-पलटते कभी अचानक आपको अपने बिछड़े मित्र की फोटो देखने को मिल जाए तो आपके मन-मस्तिष्क में उसकी तस्वीर फिर तरोताजा हो जाती है़।
तो क्या ऐसे में आपका बिछड़ा मित्र आपको फिर याद करने लगता है? हाँ यह संभव हो सकता है क्योंकि यह दिल का दिल से वायरलेस कनेक्शन है जो अदृश्य, अनोखा और अदभुत है़ जो एक बार जुड़ने पर आसानी से नहीं टूटता।
कभी-कभी फुरसत के क्षणों में एक खेल खेलिये। आप अपने सभी बिछड़े मित्रों का नाम लीजिए। जिन-जिन मित्रों के चेहरे आपको याद आते जायेंगे, वह जरूर आज भी आपको भूले नहीं हैं।
लेकिन जिन मित्रों के चेहरे नाम लेने पर भी ध्यान नहीं आ रहें हैं वे अब आपको भूल चुकें हैं। इसलिए पुराने किस्से-कहानियों से मन हटा कर हमें अपने वर्तमान और भविष्य की ओर ध्यान देना चहिए। क्यों कि कहा गया है़ कि बीती बात बिसारि दे आगे की सुधि ले।