कुछ ऐसी अविश्वसनीय रहस्यमय घटनाएं घट जातीं हैं जिनका प्रभाव कभी-कभी वर्षो तक बना रहता है़। हम मानें या न मानें, लेकिन जो भी लोग ऐसी भूत-प्रेत से संबंधित घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी होते हैं वह मानते हैं कि इसमें शत प्रतिशत सच्चाई हैं। ऐसी ही एक भूतिया सत्य घटना से आपको परिचित करा रहें हैं हम, जिसमें भूत आज भी बस में घूमता है़।
उपनगरीय बस सेवा के अन्तर्गत मिर्जापुर से श्री ग्राम जाने वाली बस तैयार खड़ी थी। बस पूरी तरह भर चुकी थी, केवल पीछे वाली एक सीट खाली थी लेकिन उस सीट के खाली होने के बाद भी कुछ लोग खड़े होकर यात्रा करने के लिए तैयार थे।
वह बस की उस खाली सीट पर नहीं बैठ रहे थे। मैंने कौतूहलवश बस कंडक्टर से पूछा कि इस बस की पीछे वाली एक सीट खाली है लेकिन उसके बाद भी लोग बस में खड़े हैं।
लोग उस सीट पर क्यों नहीं बैठ रहे हैं? मेरे इस सवाल पर कंडक्टर ने जो कुछ बताया वह आश्चर्य से भरा हुआ था। कंडक्टर ने बताया कि पीछे वाली वह सीट एक भूत के लिए सुरक्षित है इसीलिए लोग उस पर बैठ नहीं रहे हैं।
मैंने सोचा वह कंडक्टर शायद मुझसे मजाक कर रहा है लेकिन बाद में पता चला कि यह मजाक नहीं हकीकत थी। जब मुझे बस में भूत वाली सीट का पूरा किस्सा पता चला तो भौचक्का रह गया।
पता चला कि बस में पीछे वाली सीट वास्तव में शमशेर सिंह नाम के एक व्यक्ति के भूत के लिए खाली रखी जाती है़। यह शमशेर सिंह कौन थे और उनके लिए यह पीछे वाली सीट क्यों खाली रखी जाती है? यह पूरी कहानी बड़ी दिलचस्प है।
लोगों ने बताया कि दस साल पहले तक शमशेर सिंह नाम के व्यक्ति रोज सुबह इसी बस से मिर्जापुर से श्रीग्राम जाते थे क्योंकि उनकी श्रीग्राम में एक दुकान थी। लेकिन वह रहते मिर्जापुर में थे और अपनी दुकान श्रीग्राम में चलाते थे।
शमशेर सिंह रोज सुबह 6:00 बजे इसी उपनगरीय बस सेवा का लाभ उठाते हुये रोज मिर्जापुर से श्रीग्राम जाते थे। उनकी आदत थी कि वह बस में पीछे वाली ही सीट पर बैठते थे।
दिनभर श्रीग्राम दुकान में काम करने के बाद वापस इसी बस से मिर्जापुर आ जाते थे। वे अपने जीवन के पचासों वर्ष तक अपने आवागमन के लिए इसी बस की सेवा लेते रहे। इसलिए अब व्यवसायी शमशेर सिंह के बस में बैठे बिना बस चलती ही नहीं थी।
क्योंकि बस के ड्राइवर और कंडक्टर को पता था कि उनका हर दिन श्रीग्राम जाना निश्चित है़। शमशेर सिंह के सरल व्यवहार से, इस मार्ग में चलने वाली उपनगरीय बस सेवा मे काम करने वाला हर कर्मचारी उनके खुले हृदय वाले व्यवहार से प्रभावित था।
लेकिन दस साल पहले की बात है़। बसंत पंचमी का दिन था। उस दिन जब शमशेर सिंह बस पर चढ़ रहे थे कि उन्हें अचानक अपने सीने में बाईं तरफ दर्द महसूस हुआ। दरअसल उन्हें हार्ट अटैक पड़ गया था।
उस ग्रामीण क्षेत्र में उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने का कोई साधन नहीं था। इसीलिए बिना किसी सवारी के श्रीग्राम जाने वाली बस ही शमशेर सिंह को लेकर शहर के सिटी हॉस्पिटल लेकर पहुंची लेकिन अफसोस शमशेर सिंह को बचाया नहीं जा सका।
शमशेर सिंह को मरे अभी कुछ ही दिन बीते थे। बस अब भी हर दिन मिर्जापुर से श्रीग्राम तक जाती थी लेकिन यात्री शमशेर सिंह के बिना। एक दिन की बात है़ कि मिर्जापुर से श्रीग्राम तक जाने वाली बस जाने के लिए तैयार खड़ी थी।
बस पूरी तरह भर चुकी थी केवल वही सीट खाली थी जिस पर शमशेर सिंह बैठते थे। बस में चढ़ने वाला एक यात्री पूरी भरी हुई बस देखकर पीछे वाली उस खाली सीट पर बैठने लगा, जिस पर अब तक शमशेर सिंह बैठते थे।
वह यात्री जैसे ही उस सीट पर बैठा कि उसे लगा कि किसी ने उसे पकड़कर बुरी तरह सीट के नीचे पटक दिया। वह यात्री तो बुरी तरह घबरा गया।
उस बस के ड्राइवर और कंडक्टर को यह समझ में आ गया था कि यह हो न हो शमशेर सिंह का भूत है़ जिसने उस यात्री को पटक दिया। अब लोगों को समझ में आ गया था कि शमशेर सिंह की सीट पर किसी का बैठना मुसीबत को दावत देना है।
यह शमशेर सिंह के भूतिया सीट वाली घटना आग की तरह पूरे क्षेत्र में फैल गई। सबको पता चल गया कि आज भी शमशेर सिंह का भूत बस के पीछे वाली सीट पर बैठकर मिर्जापुर से श्री ग्राम जाता है। लोगों ने जान लिया अगर किसी को शमशेर सिंह के भूत से पंगा लेना हो तभी वो पीछे वाली सीट पर बैठे।
अब मिर्जापुर से श्री ग्राम जाने वाली बस अपने नियत समय से मिर्जापुर से चलती है। बस की सारी सीटें भर जाती है लेकिन पीछे वाली सीट पर कोई नहीं बैठता क्योंकि वह सीट शमशेर सिंह के भूत के लिए खाली छोड़ दी जाती है। कुछ लोग, खासतौर पर, भूत-प्रेत को न मानने वाले व्यक्तियों ने जब उस सीट पर बैठने का दुस्साहस किया तो उनकी तबीयत बिगड़ने लगी।
अब उस बस का ड्राइवर और कंडक्टर इस बात का पूरा ध्यान रखते है कि कोई शमशेर सिंह की सीट पर न बैठे। कुछ लोग कहते हैं कि श्रीग्राम वाली इस बस पर भूत का कब्जा हो गया है। अब जो कोई भी इस बस के भूत वाली घटना को सुनता है वह एक बार उस बस को देखने की तमन्ना अवश्य रखता है। इस रहस्यमय घटना को जानकर लोग मन ही मन यही सोच कर चकित हो जाते हैं कि क्या ऐसा भी हो सकता है?