वर्तमान में भारत सरकार ने मौसम के अनुमान के लिए मौसम विभाग की स्थापना की है लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि प्राचीन काल में इस पूरी सृष्टि को चलाने वाली सरकार अर्थात ईश्वर की सत्ता ने एक मंदिर को मौसम की भविष्यवाणी करने की चमत्कारी क्षमता प्रदान की थी।
जी हाँ, यह बिल्कुल सच है अपने भक्तों के लिये भगवान ने न जाने कितनी बार कैसे-कैसे चमत्कार किये। पौराणिक गाथाओं में उल्लेख है कि प्रभु ने अपने शरण में आये भक्तों के लिये असंभव को संभव कर दिखाया।
क्या विशेषता है इस मंदिर की
बिन पानी बरसात करने वाले इस चमत्कारी मंदिर को आप आज भी प्रत्यक्ष देख सकते हैं क्योंकि वह मौसम का अनुमान लगाने वाला मंदिर आज भी अस्तित्व में है। इस मंदिर की अदभुद बात यह है कि वर्षा ऋतु आने से एक सप्ताह पूर्व ही इस मंदिर की छतों से पानी टपकने लगता है।
प्राचीन काल में यह मंदिर अपने किसान-भक्तों को यह यह बताता था कि मानसून आने वाला है। खेतों में बीज बोने के लिए तैयार हो जाओ बारिश में छतों से पानी टपकने की बात बहुत सामान्य है लेकिन यहाँ रहस्य की बात यह है कि इस मंदिर में बिना बारिश के छतों से पानी टपकने लगता है।
कहाँ है ये मंदिर
वर्षा ऋतु का पूर्वानुमान लगाने वाला यह मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बेहटा गांव में स्थित है। भगवान जगन्नाथ जी यह का मंदिर प्राचीन कला का श्रेष्ठ नमूना है। इस मंदिर की मोटी-मोटी दीवारें और सुंदर बनावट देखने योग्य है। जगन्नाथ जी के इस मंदिर की रहस्यमय बात यह है कि बारिश होने से कुछ दिनों पूर्व ही इस मंदिर की छतों से पानी की बूंदें टपकने लगती हैं।
अचरज की बात यह कि बारिश का मौसम आते ही छत से पानी टपकना बंद हो जाता है और छत पूरी तरह सूख जाती है। इस अजीबोगरीब रहस्य को जानने के लिए पुरातत्व विभाग ने काफी कोशिश की लेकिन उनके हाथ कुछ न लगा। यह अनसुलझा रहस्य आज भी बरकरार है।
भगवान जगन्नाथ के इस अदभुद मंदिर की स्थापना कब हुई
इस विषय में कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं मिलता है। इतिहासकार डॉ.आर.के. विश्वकर्मा इस मंदिर की वास्तुकला के अनुसार इस मंदिर को सम्राट अशोक के काल का होना बताते हैं, जब कि कुछ पुरातत्व विशेषज्ञ इस मंदिर को सम्राट हर्षवर्धन के समय में निर्मित होने का अनुमान लगाते हैं।
जगन्नाथ जी का यह मंदिर बहुत ही सुंदर बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी, बलदाऊ और सुभद्रा जी की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं। इस मंदिर के आंगन में भगवान सूर्य और पद्मनाथ देवता विराजमान है। कानपुर के इस जगन्नाथ जी के मंदिर में वर्षा होने के पहले ही छत टपकने कारण के पीछे अनेकों पुरानी कहानियां प्रचलित हैं।
कहानी मंदिर के रहस्य की
उनमें से एक कहानी इस प्रकार है कि एक बार इस बेहटा क्षेत्र में सूखा पड़ गया। सारी खेत-खलिहान सूख गये। किसान बादलों की बाट जोहते-जोहते निराश हो गये।
कहते हैं कि जब आशा के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो एक ही दरवाजा खुला रह जाता है वह है प्रभु का द्वार। बारिश होने की मनोकामना लिये कुछ गरीब किसान भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर आये। उन्होंने जगन्नाथ जी के सामने अपना दुखड़ा सुनाया।
उन किसानों ने कहा कि प्रभु हमारा जीवन इसी खेती पर निर्भर है यदि वर्षा नहीं हुई तो फसल नहीं होगी और हम अन्न के बिना भूखों मर जाएंगे। भगवान जगन्नाथ जी को उन किसानों पर पर दया आ गयी। उसी समय मंदिर में एक चमत्कार हुआ। इस मंदिर की छत से अचानक पानी टपकने लगा। छत से टपकते पानी को देखकर किसानों ने सोंचा कि शायद बाहर बारिश होने लगी है।
वे भाग कर बरसते हुये पानी को देखने के लिये मंदिर के बाहर गये लेकिन बाहर वर्षा नहीं हो रही थी। आसमान में बादलों का दूर-दूर तक नामों निशान नहीं था। उन किसानो को आश्चर्य हुआ कि जब बारिश नहीं हो रही है तो मंदिर की छत से पानी कैसे टपक रहा है?
मंदिर की छत से बिना बारिश पानी टपकता देखकर वे किसान भगवान के इस चमत्कार से अचंभे में पड़ गये। वे किसान गांव के अन्य किसानों को भी वहाँ मंदिर में ले आये।
गांव वालों ने टपकती छत को देखकर अनुमान लगाया कि यह उनके लिए भगवान का शुभ संकेत है। अब भगवान जगन्नाथ जल्द ही हमें इस सूखे की समस्या से निजात देने वाले हैं। गाँव वालों का यह अनुमान शत प्रतिशत सच निकला।
उस मंदिर की छत से पानी टपकने के एक सप्ताह के अंदर ही इस क्षेत्र में तेज बारिश होने लगी। सारे गाँव के किसान भागे-भागे भगवान जगन्नाथ के मंदिर गये। उन्होंने भगवान को धन्यवाद दिया। उस दिन के बाद से हर वर्ष मानसून आने से पहले इस मंदिर की छत से पानी टपकने लगता है।
बारिश कम होगी या अधिक, ये रहस्य भी खोलता है ये मंदिर
इस मंदिर के संबंध में यह भी मान्यता है कि इस मंदिर द्वारा भविष्य में होने वाली बारिश कम या अधिक होने का संदेश देने का तरीका अनूठा है। कहा जाता है कि जिस वर्ष इस जगन्नाथ मंदिर के अंदर की पूरी छत पानी से भीग जाती है उस वर्ष तेज वर्षा होती है लेकिन जिस साल मंदिर की छत से कुछ छोटी-छोटी बूंदें ही गिरती हैं तो कम बारिश होती है।
किसी मंदिर के द्वारा आने वाले मौसम की जानकारी देने वाले इस चमत्कार का आधार क्या है? सभी विशेषज्ञ निरूत्तर हैं क्योंकि उस नीली छतरी वाले की माया अजब निराली है। सब उसी का खेल है उसकी जादुई छड़ी के सामने सब फेल हैं।