जोनल पार्क में प्रवेश टिकटों में धांधली का समाचार सुनते-सुनते अधिकारियों के कान पक गये थे। यह वही पार्क था जिस जगह भूत और भूतनी के अक्सर नज़र आने के किस्से सुनाई पड़ा करते थे। यहाँ पिछ्ले दिनों जोनल पार्क के कर्मचारियों की यह खबर अखबार में भी छपी कि वह पार्क में घूमने वालों से प्रवेश शुल्क तो ले लेते हैं लेकिन उन्हें टिकट नहीं देते हैं।
बिक्री किये गये टिकटों की गिनती से ही सरकारी खजाने में पैसे जमा होते हैं इसलिए उन्होंने अपनी कमाई का ऐसा रास्ता निकाल लिया था। दरअसल सच्चाई यह थी कि जोनल पार्क के टिकट विक्रेता पार्क में घूमने वालों से प्रवेश शुल्क तो ले लेते थे लेकिन कुछ को टिकट देते थे, और कुछ को नहीं।
अखबार वालों ने इस समाचार को बढ़ा-चढ़ा कर प्रकाशित कर दिया था। उनकी इस हेरा-फेरी की सूचना प्रशासनिक कार्यालय तक पहुँच गयी थी। अधिकारियों ने सोचा कि एक दिन इस बात का औचक निरीक्षण किया जाये ताकि इस शिकायत की असलियत का पता चले।
उस दिन शनिवार था, पाँच अधिकारियों की एक जांच-टीम जोनल पार्क के औचक निरीक्षण के लिए पहुँच चुकी थी। यह जाँच-टीम टिकट बिक्री में होने वाली धांधली का पता लगाने आयी थी। कोरोना के खौफ के चलते पार्क में भीड़-भाड़ कम थी।
उन अधिकारियों ने पार्क में घूमने वाले लोगों की गिनती की। उसके बाद में पार्क में बिक्री किए गये टिकटों की संख्या को गिना। उन्हें लगा कि दो टिकट और बिकने चाहिये थे क्योंकि टिकट बिक्री के लेखा जोखा के अनुसार पार्क में घूमने वालों की संख्या 45 बताई जा रही थी जबकि अधिकारियों की टीम ने घूमने वाले लोगों की संख्या 47 गिनती की थी।
अधिकारीगण अब कर्मचारियों को डांटने लगे कि यह भ्रष्टाचार ठीक नहीं, तुम सब के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। तभी जोनल पार्क का चौकीदार कुछ सोंचकर अधिकारियों से बोला। साहब, क्या आपको पीपल के पेड़ के नीचे वाली बेंच पर कोई बैठा हुआ नजर आया था? चौकीदार को पता था कि पीपल के पेड़ के नीचे वाली बेंच वही जगह है जहाँ एक भूत और भूतनी कभी-कभी दिखाई देते हैं।
जाँच टीम में से एक अधिकारी कुछ सोंचकर बोला, हाँ मैंने उस बेंच पर एक लड़का और लड़की को देखा था। अब चौकीदार ने अपना माथा पकड़ लिया क्योंकि अब उसको समझ में आ गया था कि पार्क में दो व्यक्तियों की संख्या अधिक क्यों हो रही थी। चौकीदार फिर बोला अरे साहब, पीपल पेड़ के नीचे बैठे लड़का और लड़की इंसान नहीं हैं। एक जांच अधिकारी बोल पड़ा तो क्या वह दोनों भूत-भूतनी हैं?
चौकीदार बोला, हाँ साहब वह दोनों इस पार्क में ही मरने वाले प्रेमी प्रेमिकाओं की प्रेत आत्मायें हैं। साहब, आपने उन दोनों को ध्यान से देखा? उनके हाथ पैर काफी लंबे होंगे। साहब उस चौकीदार की बातें सुनकर उखड़ गए।
वह गर्म होकर बोले, “तुम मुझे मूर्ख बना रहे हो? उन दोनों को भूत बताकर टिकटों की बिक्री के घपले में साथ दे रहे हो।” चौकीदार फिर बोला “साहब आपको इस पार्क में भटकने वाले उन भूत-भूतनी के बारे में कुछ नहीं पता इसलिये आप ऐसी बात कह रहे हैं।” चौकीदार ने अधिकारी से कहा कि “चलिये, फिर से पार्क में घूमने वालों को गिनते हैं।”
अधिकारियों ने चौकीदार के अतिरिक्त अन्य कर्मचरियों से जोनल पार्क में दिखने वाले भूत-भूतनी के बारे में पूछा। सभी ने बताया कि चौकीदार सच कह रहा है। लेकिन अधिकारियों को भूत-प्रेत वाली बेसिर-पैर की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
सच जानने के लिये उन्होनें फिर पार्क में घूम रहे लोगों की गिनती करने के बारे में विचार किया। उन अधिकारियों ने पार्क से निकलने वाले गेट पर ताला लगवा दिया ताकि कोई घूमने वाला कोई व्यक्ति बाहर निकलने न पाये।
चौकीदार के साथ उन अधिकारियों ने पार्क का दोबारा चक्कर लगाया लेकिन इस बार पार्क में घूमने वाले 45 लोग ही मिले और पीपल के पेड़ के नीचे वाली बेंच भी खाली थी। उस पर कोई लड़का और लड़की नहीं बैठे थे।
अब उन अधिकारियों का माथा ठनका। उन्हें पार्क में नज़र आने वाले भूत-प्रेत की कहानी पर विश्वास होने लगा था। तब जोनल पार्क के कर्मचारियों ने उन अधिकारियों को इस जोनल पार्क में घूमने वाले भूत-भूतनी का किस्सा सुनाया।
उन्होंने बताया कि लगभग 10 वर्ष पहले जोनल पार्क में एक लड़का और एक लड़की, जो प्रेमी-प्रेमिका लग रहे थे; घूमने के लिए इस पार्क में आये। उन्होंने टिकट लिया और जोनल पार्क में घूमने लगे। दोनों इस पार्क में रोमांस के उद्देश्य से आए थे इसलिए दोनों ने पार्क का एकांत स्थान पीपल के नीचे वाली बैंच को बैठने के लिये चुना। दोनों प्रेमी-प्रेमिका पीपल के नीचे वाली बेंच पर बैठ गये और वे दोनों घंटों बातें करते रहे।
धीरे-धीरे शाम हो गयी और अंधेरा होने लगा। प्रेमी प्रेमिका की गोद में सर रखकर लेटा था। दोनों आपस में प्यार भरी बातें करने में मस्त थे कि उधर कहीं से घूमता हुआ एक नाग आ गया। वह नाग उन दोनों की बेंच पर चढ़ गया। इससे पहले कि वे दोनों अपना बचाव करते, उस नाग ने दोनों प्रेमी-प्रेमिका को डस लिया। पार्क के सबसे पिछले हिस्से में बैठे जाने के कारण उन दोनों पर किसी की नजर नहीं पड़ी।
वह नाग बेहद जहरीला था अतः दोनों प्रेमी-प्रेमिका के मुंह से झाग निकलने लगे और देखते ही देखते उनके प्राण पखेरू उड़ गये। तब से इस पार्क में उन दोनों प्रेमी प्रेमिका का भूत अक्सर नजर आता है। लोगों का कहना है कि उनकी आत्मायें आज भी इसी पार्क में भटक रही हैं। लोग डर के मारे शाम ढलने के बाद जोनल पार्क के पिछले हिस्से में पीपल के पेड़ के नीचे वाली बेंच की तरफ नहीं जाते।
पिछले दिनों एक पति-पत्नी का जोड़ा शाम के समय गलती से उस तरफ चला गया। तब उस प्रेमी का भूत उस पति पर सवार हो गया और वह अपनी पत्नी का गला घोटने लगा। यह सब देखते ही वहां भीड़ इकट्ठी हो गई।
उसके ऊपर सवार भूत वहाँ से भाग निकला। औचक निरीक्षण के लिए आये अधिकारी लोग भूत-भूतनी की डरावनी कहानी सुनकर बहुत भयभीत हो गये थे। उन्हें लगा कि अब यहाँ से चलना चाहिए। वह जाँच अधिकारी पसीने-पसीने था जिसने इंसानों की गिनती में भूतों को भी गिन लिया था।