अब इसे ईश्वर के प्रति विश्वास कहें या अंधविश्वास, लेकिन एक ऐसा विचित्र मंदिर है जहाँ की मान्यता सुनने में अमानवीय सी लगती है। लोगों का मानना है़ कि उस मंदिर के देवता शिशुओं पर अपनी विशेष कृपा रखते हैं।
इस मंदिर के भगवान अपनी शरण आने वाले हर बच्चे को अच्छा स्वास्थ्य और सुनहरा भविष्य प्रदान करते हैं। इसके लिये माँयें अपने बच्चों को इस मंदिर में लेकर आतीं हैं और यह बात यहीं समाप्त नहीं होती हैं।
वह मातायें अपने बच्चों को लेकर छत पर चढ़ जाती हैं। इसके बाद वह अपने बच्चों को छत से नीचे बने जाल पर गिरातीं हैं। उनका ऐसा मानना है़ कि अपने बच्चे को छत से नीचे गिराने से मंदिर के देवता प्रसन्न होगें और उनके शिशु को अच्छी सेहत और सुखमय जीवन प्रदान करेंगे।
यहाँ के स्थानीय लोगों के मन में ऐसा विचार क्यों और कैसे आया? इस मंदिर से नीचे गिराने पर नवजात शिशु को चोट नहीं लगती है? इन प्रश्नों के उत्तर जानने से पहले आइये जानते हैं कि यह अनोखा मंदिर कहाँ हैं? इस जगह के मंदिर में यह विचित्र मान्यता कैसे विकसित हुई?
कहाँ है ये मंदिर
यह विचित्र मंदिर अपने ही देश में कर्नाटक के नागराला में स्थित है। इसे लोग दिगंबेश्वर मंदिर के नाम से जानते हैं। लोग इस मंदिर में अपने नवजात शिशु को छत के ऊपर से क्यों गिराते हैं? इस मंदिर के देवता के ऊपर उनका यह अटूट विश्वास कैसे बना? इसकी एक चमत्कारिक कथा है।
मंदिर के रहस्य की कहानी
बहुत समय पहले की बात है कि इस क्षेत्र की एक महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। दुर्भाग्य की बात यह हुई कि वह बच्चा गूंगा और बहरा पैदा हुआ। उस माँ ने अपने बच्चे को कई डॉक्टरों को दिखाया। लेकिन सभी ने बताया कि इसका कोई इलाज नहीं है।
कहते हैं कि जब सब दरवाजे बंद हो जाते हैं तो ऊपर वाले का द्वार अपने आप खुल जाता है। सभी डॉक्टरों ने जब बताया कि उस माँ के मूक और बधिर बच्चे का कोई इलाज नहीं है़ तो वह स्त्री बहुत निराश और बहुत दुखी हो गयी।
वह अपने बच्चे को लेकर दिगंबेश्वर मंदिर में प्रार्थना करने आयी कि हे भगवान मेरी विनती सुन ले और मेरे गूंगे और बहरे बच्चे को सामान्य बना दे। मंदिर के देवता से प्रार्थना करते-करते न जाने उसके मन में क्या विचार आया कि वह मंदिर की छत पर चढ़ गयी। उसने मन में ठान लिया कि यदि आज उसका बच्चा भगवान ठीक नहीं करते तो वह अपने बच्चे सहित छत से कूदकर जान दे देगी।
मंदिर में चमत्कार हुआ
मंदिर की छत पर पहुँचकर जैसे उसने वहाँ से नीचे झाँका कि उसका शिशु उसकी गोद से छूटकर मंदिर के जाल पर जा गिरा। शिशु के नीचे गिरते ही चमत्कार हो गया।
वह नन्हा सा बालक जोर-जोर से रोने लगा। उसकी माँ को बड़ा आश्चर्य हुआ कि जो बच्चा पैदा होते समय नहीं बोला था वह इस मंदिर की छत से गिरने से कैसे रोने लगा?
वह स्त्री दौड़ कर नीचे आयी और मंदिर के जाल पर गिरे हुए अपने बच्चे को गोद में उठा लिया। दिगंबेश्वर भगवान की कृपा से उसे खरोंच तक नहीं आयी थी। मंदिर के भगवान ने उस बच्चे की जान ही नहीं बचाई थी बल्कि उसे बोलने और सुनने की भी क्षमता प्रदान कर थी। दिगंबेश्वर भगवान का ऐसा चमत्कार देखकर वह स्त्री खुशी के मारे रो पड़ी। वह दौड़ी-दौड़ी मंदिर के अंदर गयी और भगवान के पैरों में पड़ गई।
क्या अदृश्य रूप में भगवान दिगम्बेश्वर स्वयं प्रकट हुए
आज इस मंदिर के देवता ने उसके बच्चे को स्वस्थ कर दिया था। जो लोग भी उस समय मंदिर में उपस्थित थे उन्होनें चारों तरफ हल्ला मचा दिया कि आज मंदिर में चमत्कार हो गया है। अदृश्य रूप में आज भगवान दिगम्बेश्वर स्वयं प्रकट हो गये और उन्होनें एक शिशु की जान बचायी और उसे स्वस्थ कर दिया।
जिसने भी यह खबर सुनी, वह दौड़ा-दौड़ा मंदिर आया। लोग-बाग मंदिर की मूरत के सामने नतमस्तक हो गये। सभी ने भगवान से विनती की कि हे महराज, हम पर इसी तरह अपनी कृपा बनाये रखना।
उस दिन के बाद यह धारणा बन गयी कि इस मंदिर के दिगम्बेश्वर भगवान छोटे बच्चों पर अधिक कृपालु हैं। उस दिन के बाद से इस मंदिर की मान्यता बन गयी कि यदि इस मंदिर के छत से मंदिर के जाल पर कोई बच्चा गिराया जाये तो मंदिर के देवता खुद प्रकट होकर शिशुओं को अपनी गोद में उठा लेते हैं और उसे ढेरों आशीर्वाद देते हैं। ऐसा भी कहना है़ कि यदि उन बच्चों में कोई रोग हो तो देवता उसकी वह बीमारी दूर कर देते हैं।
कूछ लोग इस मंदिर के देवता को बच्चों का भगवान भी कहते हैं। कुछ चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स भी दिगम्बेश्वर भगवान से आशीर्वाद लेने आते हैं कि हे भगवान हमें ऐसी क्षमता प्रदान कर कि मेरे पास आने वाले सभी बच्चों का सफलता पूर्वक इलाज कर सकूँ।
भारत में यह दिगम्बेश्वर मंदिर अपने आप में अनोखा मंदिर है। जो अपनी विचित्र मान्यता के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। लोग दूर-दूर से इस विचित्र मान्यता वाले मंदिर के दर्शन करने आते हैं। कहते है कि इस मंदिर के देवता संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।