हम जब भी भारत के मंदिरों के रहस्यों की बात करते हैं तो केरल के तिरुअनंतपुरम में स्थित भगवान विष्णु के इस पद्मनाभ मंदिर का नाम सबसे ऊपर आता है। इस मंदिर में कदम-कदम पर रहस्यों का साया है, जो आज तक इंसान नहीं समझ पाया है।
इस मंदिर का तिलस्म लोगों को आष्चर्यचकित कर देता है। यहाँ जो भी गलत इरादों के साथ आया, उसका सर्वनाश हो गया, क्योंकि यहाँ स्वयं भगवान विष्णु के अवतार नाग देवता पहरा दे रहे हैं। उनके कोप से कोई आसुरी शक्ति बच नहीं पायी फिर वह कोई आम आदमी हो या शहंशाह।
पद्मनाभ मंदिर के नाम का रहस्य
सबसे पहले मन में यह प्रश्न उठता है कि इस मंदिर का नाम पद्मनाभ ही क्यों रखा गया ? इस विषय पर जब हम गहराई से पता लगाते हैं और भारतीय पुराणों को खंगालते हैं, तब हमें इसका उत्तर मिलता हैं। हम अधिकतर प्रतिमाओं में भगवान विष्णु को शेषनाग पर लेटे हुए देखते हैं। क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु की इस लेटी हुई इस अवस्था को क्या कहते हैं?
इसका उत्तर है कि भगवान विष्णु की ऐसी विश्राम अवस्था को पद्मनाभ कहा गया है। इस मंदिर में भी भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन कर रहे हैं। इसलिए इस मंदिर का नाम पद्मनाभ मंदिर रखा गया है। मंदिर की मूर्ति इतनी मनमोहक है कि जो भी भक्त भगवान की ओर देखता है, भगवान उसी के हो जाते हैं।
मंदिर की स्थापना का रहस्य
केरल के तिरुअनंतपुरम में भव्य रूप में स्थापित 5000 वर्ष (या शायद इससे भी काफी अधिक) पुराने इस मंदिर की स्थापना किसने की? इस बात का पक्का प्रमाण नहीं मिलता है। अनेकों शोधों के बाद भी यह रहस्य आज तक नहीं खुल पाया है कि भगवान विष्णु के इस मंदिर का निर्माण वास्तव में किस शासक ने कराया और कितने समय पूर्व कराया।
यह अवश्य बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कलियुग के प्रारंभ के प्रथम दिन किया गया। कुछ (वामपंथी) इतिहासकारों का कहना है कि इस मंदिर को 18वीं शताब्दी के त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया है, लेकिन यहाँ फिर भी यह स्पष्ट नहीं है कि उन राजा का क्या नाम था, जिन्होंने इस मंदिर की नींव रखी? ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की एक मूर्ति इसी स्थान पर प्राप्त हुई थी, जहाँ यह मंदिर बना है।
भक्तों की अगाध श्रध्दा का रहस्य
इस मंदिर में दूर- दूर से भक्तगण आते हैं। मंदिर में प्रवेश करते समय पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य हैं। ऐसी क्या बात है कि इतनी भारी संख्या में लोग यहाँ दर्शन के लिये आते हैं। लोग -बाग बताते हैं कि इस मंदिर के दर्शन के बाद भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। लोगों की मनोकामना पूरी होती है और उनका जीवन खुशहाल हो जाता है।
मंदिर के खजाने का रहस्य
अगर हम इस मंदिर को खजाने वाला मंदिर कहें, तो अतिशियोक्ति नहीं होगी। क्योंकि यह भारत का एक मात्र मंदिर है जिसके तहखानों में, दुनिया के किसी भी ख़ज़ाने से ज्यादा, सम्पत्ति छुपी हुईं है। ऐसा अनुमान है कि इस मंदिर के तहखानों में अरबों-खरबों के सोने-हीरे, मोती, माणिक्य, पन्ने आदि के आभूषण भरे पड़े हैं।
वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सात जजों की एक टीम बनायी गयी। उनके द्वारा लिये गये निर्णय के फलस्वरूप इस मंदिर के तहखानों को खोलने का निर्णय लिया गया। 30 जून 2011 को भारी पूजा-पाठ और मेहनत मशक्कत के इस मंदिर के रहस्यमयी तहखानों को खोला गया। आश्चर्य की बात यह थी कि इस मंदिर के छह तहखानों में 1,32,000 करोड़ की बहुमूल्य संपत्ति प्राप्त हुईं।
रहस्य की एक बात यह भी है कि इस मंदिर के तहखानों में इतना धन कहाँ से आया? यह संपत्ति किन राजाओं ने जमा कर के रखी थी?क्या इतना धन किसी कारण विशेष से यहाँ जमा करके रखा गया था? इन सबका रहस्य आज तक नहीं खुल सका है।
कुछ (वामपन्थी) इतिहासकारों के अनुसार यहाँ 18वीं शताब्दी के राजाओं ने अपने काली मिर्च के व्यवसाय (जो सुदूर पश्चिमी देशों से सैकड़ों, हज़ारों वर्षों से होता आया है) से मिलने वाली आय को इस मंदिर में संग्रहित किया। इन राजाओं का व्यवसाय बढ़ता गया और बढ़ता गया मंदिर का खजाना। उन इतिहासकारों के अनुसार यह त्रावणकोर के महाराजा का खजाना है। आज उन्हीं के वंशजों के पास इस अदभुद मंदिर का अधिकार है।
मंदिर का बाहरी, विदेशी आक्रमण से बचे रहने का रहस्य
इतिहास बताता है कि यह वह मंदिर है जहाँ कभी कोई विदेशी शासक अपना कब्जा नहीं जमा सका। और न ही वह यहाँ रखे हुये खजाने को लूट सका। कुछ धूर्त इतिहासकार इसका कारण यह बताते हैं कि यह मंदिर केरल राज्य में ऐसे स्थान पर बना हुआ है जहां किसी विदेशी राजा की नजर ही नहीं पड़ी। जबकि यह असत्य है। अंग्रेजों ने पूरे भारत वर्ष को देख लिया था।
कहते हैं कि एक बार टीपू सुल्तान ने इस मंदिर पर अपना कब्जा करने की कोशिश की थी लेकिँन इस मंदिर के भगवान विष्णु का चमत्कार देखिए। वह लुटेरा अपने इस नापाक इरादे में पूरी तरह विफल रहा।
विदेशी इतिहासकार एमिली हैच ने भी अपनी पुस्तक में इस बात का उल्लेख किया है कि वर्ष 1908 और 1931 में इस मंदिर की संपत्ति को हड़पने का कुत्सित प्रयास किया गया, लेकिन उस समय यहाँ जमीन में रह रहे हजारों सांपों ने उन लोगों पर हमला बोल दिया, जिसके कारण उन्हें भागना पड़ा। उसके बाद फिर किसी ने इस मंदिर की तरफ आँख भी उठाने की हिम्मत नहीं की।
मंदिर में सुनाई देने वाली आवाजों का रहस्य
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में गलत इरादों से आने वाले व्यक्तियों के सामने तरह-तरह की आवाजें गूंजने लगती है। ऐसा लगता है वे आवाजें उन्हें ईश्वर की इच्छा के विरूध्द कार्य करने से मना कर रहीं हों। कुछ लोगों ने सुना है कि मंदिर के तहखानो के दरवाजों के पीछे से समुद्र के पानी के उछाल मारने की आवाजें आती हैं। लेकिन मंदिर की रहस्यमयी आवाजों के पीछे का रहस्य आज तक नहीं पता चल सका है।
मंदिर के तहखाने को खोलने का निर्णय लेने वाले जज की मौत का रहस्य
ऐसा कहा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के जज पी. टी. सुंदर राजन ने अपनी अध्यक्षता में इस मंदिर के तहखानों को खोलने का निर्णय लिया था, जिन पर मंदिर का श्राप लग गया और कुछ समय पश्चात ही उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद लोगों में और भय व्याप्त हो गया कि जो भी इस मंदिर के भगवान की इच्छा के विरुध्द कार्य करेगा उसका बुरा हश्र होगा।
मंदिर के सातवें तहखाने का रहस्य
भगवान विष्णु के इस मंदिर में सात तहखाने हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर के छह तहखाने खोले जा चुके हैं। लेकिन बहुत कोशिशों के बावजूद इस मंदिर के सातवें तहखाने का द्वार आज तक नहीं खोला जा सका है। जबकि इस तहखाने का दरवाजा लकड़ी का बना है और इस दरवाजे पर ना कोई ताला है और ना कोई कुंडी।
ऐसी मान्यता है कि इस द्वार को एक अदभुद मंत्र (जिसे अष्टनाग बंधन मंत्र कहा जाता है) के द्वारा बंद किया गया है। इस अष्टनाग बंधन मंत्र का सही उच्चारण करने वाला व्यक्ति ही इस द्वार को खोल सकता है लेकिन इस सातवें तहखाने को खोलने के लिये गरुड़ मंत्र की आवश्यकता होगी।
गरुड़ मंत्र को जानने वाले व्यक्ति को भी जान हथेली पर रख कर यह कार्य करना होगा, क्योंकि यदि इन मन्त्रों का गलत उच्चारण किया जाता है तो उस व्यक्ति की मौत हो जायेगी। ऐसा अनुमान है कि इस सातवें तहखाने में अन्य तहखानों की तुलना में सबसे अधिक संपत्ति बंद है।
या शायद यहाँ कुछ ऐसा बंद (शायद कोई टेक्नोलॉजी) है जिसकी कीमत पूरी दुनिया के हीरे-जवाहरात दे कर भी नहीं चुकाई जा सकती। अरबों -खरबों के हीरे जवाहरात जैसे बहुमूल्य धातुओं को अपने अंदर समेटे हुए यह मंदिर का सातवाँ तहखाना लोगों को भयभीत भी करता है।
कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि जिस दिन इस सातवें तहखाने के द्वार को खोला दिया जायेगा, उस दिन धरती पर प्रलय आ जायेगी, क्योंकि इस तहखाने की रक्षा स्वयं विष्णु भगवान् के अवतार नाग देवता कर रहे हैं।
पद्मनाभ मंदिर पर अधिकार के विवाद का रहस्य
अरबों-खरबों के खजाने को अपने अंदर रखने वाले इस मंदिर पर किसका अधिकार होना चाहिए? कुछ वर्ष पहले यह विवाद का विषय बन गया। मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन के बीच कानूनी विवाद चला। जिस पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया है। इस मंदिर पर प्रबंधन का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार का है न कि राज्य सरकार का। ये आस्था की विजय है।